आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ताओं ने भरी हुंकार, किया सचिवालय कूच
आशाओं आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ताओं और भोजनमाताओं ने अपनी लंबित मांगों को लेकर अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर सचिवालय कूच किया। तीनों संगठनों ने सीटू कार्यालय से अलग-अलग रैली निकाली। हालांकि पुलिस ने सचिवालय से पहले बेरिकेडिंग लगाकर उन्हें रोक लिया।
जागरण संवाददाता, देहरादून। आशाओं, आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ताओं और भोजनमाताओं ने अपनी लंबित मांगों को लेकर अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर सचिवालय कूच किया। तीनों संगठनों ने सीटू कार्यालय से अलग-अलग रैली निकाली। हालांकि, पुलिस ने सचिवालय से पहले बेरिकेडिंग लगाकर उन्हें रोक लिया। इसको लेकर पुलिस से उनकी हल्की नोकझोंक भी हुई। इसके बाद महिलाएं बेरिकेडिंग के समक्ष ही धरने पर बैठ गईं। बाद में उन्होंने सिटी मजिस्ट्रेट कुश्म चौहान को ज्ञापन देकर धरना समाप्त किया।
सचिवालय कूच के दौरान प्रदर्शनकारी महिलाओं ने मोदी सरकार द्वारा श्रम कानूनों को समाप्त किए जाने का विरोध किया। उन्होंने कहा कि सरकार ने श्रम कानूनों को समाप्त कर मजदूरों के अधिकारों पर हमला किया है। कोरोनाकाल में स्कीम वर्कर्स ने भी अपनी जान की परवाह किए बिना कार्य किया, लेकिन सरकार ने उन्हें कोरोना योद्धा घोषित नहीं किया। महिलाओं ने 45वें श्रम सम्मेलन की सिफारिशें लागू करने की मांग भी की है। उन्होंने कहा कि महिलाओं को सभी सेक्टर में समान काम के लिए समान वेतन देकर कार्य स्थलों पर पीओएसएच एक्ट को कड़ाई से लागू कराया जाए। निकायों में भी महिलाओं को 33 फीसद आरक्षण का लाभ देने के लिए एक्ट बनाया जाए। सभी स्कीम वर्कर्स को सामाजिक सुरक्षा प्रदान कर प्रतिमाह 7500 रुपये की सहायता राशि देने, आशा व आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ताओं का न्यूनतम मानदेय 18 हजार रुपये करने, भोजनमाताओं को 60 साल की उम्र के बाद पेंशन व ग्रेज्युटी का लाभ, स्वास्थ्य बीमा आदि की मांग भी उन्होंने की है। सचिवालय कूच में सीटू के प्रांतीय कार्यकारी अध्यक्ष राजेंद्र सिंह नेगी, सचिव लेखराज, आशा स्वास्थ्य कार्यकत्री यूनियन की अध्यक्ष शिवा दुबे, सुनीता चौहान, आंगनबाड़ी कार्यकत्री संगठन की महामंत्री चित्रकला, रजनी गुलेरिया, भोजनमाता यूनियन की महामंत्री मोनिका, इंदु नौडियाल, कलावती चंदोला आदि शामिल रहीं।
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