उत्तराखंड के 11 कॉलेजों के पास न भूमि और न भवन, कैसे मिलेगी नैक की ग्रेडिंग

उत्तराखंड के 29 कॉलेजों के भवन निर्माणाधीन हैं जबकि 11 कॉलेजों के पास भवन तो दूर की बात अपनी भूमि तक नहीं है।

By Edited By: Publish:Wed, 24 Jul 2019 03:00 AM (IST) Updated:Wed, 24 Jul 2019 03:26 PM (IST)
उत्तराखंड के 11 कॉलेजों के पास न भूमि और न भवन, कैसे मिलेगी नैक की ग्रेडिंग
उत्तराखंड के 11 कॉलेजों के पास न भूमि और न भवन, कैसे मिलेगी नैक की ग्रेडिंग
देहरादून, रविंद्र बड़थ्वाल। प्रदेश में 104 सरकारी डिग्री कॉलेज, इनमें से सिर्फ 64 के पास ही अपनी भूमि और भवन हैं। 29 कॉलेजों के भवन निर्माणाधीन हैं, जबकि 11 कॉलेजों के पास भवन तो दूर की बात, अपनी भूमि तक नहीं हैं। बड़ी संख्या में कॉलेज खोलने के बाद अब सरकार पैसे-पैसे के लिए रो रही है। भूमि के बगैर और निर्माणाधीन भवनों वाले कॉलेजों को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से किसी तरह का अनुदान पाने के लिए लंबा रास्ता तय करना होगा। जिन 64 कॉलेजों के पास भूमि और भवन हैं, उनमें भी 18 कॉलेज यानी महज 28 फीसद ही आयोग से अनुदान की पात्रता हासिल कर पाए हैं। अनुदान के लिए नैक (नेशनल असेसमेंट एंड एक्रेडिटेशन काउंसिल) की ग्रेडिंग अनिवार्य है। अब 40 से ज्यादा कॉलेजों में संसाधन जुटाने के लिए विभिन्न स्तरों पर प्रयास किए जा रहे हैं। 
केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय से इन कॉलेजों को प्रति कॉलेज की दर से दो-दो करोड़ रुपये देने की मांग की गई है, वहीं राज्य सरकार के स्तर से संसाधन जुटाने के लिए इन डिग्री कॉलेजों को जिला योजना में शामिल किया जाएगा। विधायक निधि से भी कॉलेजों को पैसा दिलाने के प्रयास किए जाएंगे, ताकि वे नैक ग्रेडिंग हासिल कर लें। उच्च शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ धन सिंह रावत ने कहा कि पर्वतीय राज्य के सीमित संसाधनों को देखते हुए सरकारी कॉलेजों को बगैर नैक ग्रेडिंग के ही आर्थिक मदद केंद्र से मांगी गई है।
प्रदेश में सरकारी डिग्री कॉलेजों के पास अपनी भूमि और भवन के उक्त आंकड़े उच्च शिक्षा की तस्वीर बयां कर रहे हैं। कॉलेजों में पढ़ रहे हजारों छात्र-छात्राओं को गुणवत्तापरक उच्च शिक्षा के स्थान पर कामचलाऊ शिक्षा परोसी जा रही है। सरकार की चिंता ये है कि कुल 104 कॉलेजों में 80 फीसद से ज्यादा को यूजीसी से किसी तरह का अनुदान नहीं मिलता। इस वजह से अपने संसाधनों से कॉलेज में उच्च शिक्षा के स्तर में सुधार मुमकिन नहीं है। अपनी भूमि और भवन रखने वाले 64 कॉलेजों की बात की जाए तो उनमें भी अधिकतर अच्छी लैबोरेट्री, लाइब्रेरी, कक्षाकक्षों की कमी समेत जरूरी संसाधनों के संकट से जूझ रहे हैं।
बामुश्किल डेढ़ दर्जन कॉलेज ही नैक की जांच में खरा उतरने के बाद ग्रेडिंग हासिल कर पाए हैं। नैक ग्रेडिंग से वंचित कॉलेजों को आयोग से अनुदान मिलना मुमकिन नहीं है। उच्च शिक्षा राज्यमंत्री डॉ रावत का कहना है कि नैक ग्रेडिंग के लिए पात्रता हासिल करने के लिए सरकारी डिग्री कॉलेजों के पास भूमि, भवन के साथ ही अन्य जरूरी संसाधन होने चाहिए। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय से संसाधनविहीन कॉलेजों को दो-दो करोड़ रुपये की मदद की गुहार लगाई गई है। पर्वतीय राज्य उत्तराखंड के लिए राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (रूसा) के अंतर्गत नियमों को शिथिल कर नैक के बगैर आर्थिक सहायता देने की अपेक्षा की गई है।
इन 11 सरकारी डिग्री कॉलेजों के पास नहीं है भूमि और भवन
मालधनचौड़, लमगड़ा, पोखरी पट्टी क्वीली, मांसी, भतरौंजखान, पोखड़ा, पावकी देवी, शीतलाखेत, कमांद, पार्टी और नई टिहरी।
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