उत्‍तराखंड के गंगोलीहाट और डीडीहाट में खेती छोड़ रहे हैं लोग

पलायन की मार से सर्वाधिक त्रस्त दो विकासखंडों गंगोलीहाट और डीडीहाट के ग्रामीण क्षेत्रों में लोग अब विभिन्न कारणों से खेती से विमुख होने लगे हैं।

By Edited By: Publish:Sat, 11 May 2019 03:00 AM (IST) Updated:Sun, 12 May 2019 01:10 PM (IST)
उत्‍तराखंड के गंगोलीहाट और डीडीहाट में खेती छोड़ रहे हैं लोग
उत्‍तराखंड के गंगोलीहाट और डीडीहाट में खेती छोड़ रहे हैं लोग

देहरादून, केदार दत्त। उत्तराखंड बनने के 18 साल बाद भी पहाड़ी जिलों में तस्वीर अभी भी नहीं बदली है। ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग की ओर से कराए गए पिथौरागढ़ जिले के सामाजिक-आर्थिक सर्वे की प्रारंभिक रिपोर्ट इसी तरफ इशारा कर रही है। इस जिले के पलायन की मार से सर्वाधिक त्रस्त दो विकासखंडों गंगोलीहाट और डीडीहाट के ग्रामीण क्षेत्रों में लोग अब विभिन्न कारणों से खेती से विमुख होने लगे हैं। विकास योजनाओं का अपेक्षित लाभ भी वहां के निवासियों को नहीं मिल पा रहा है। अलबत्ता, जिले के बाकी विकासखंडों की स्थिति कुछ बेहतर है। मुनस्यारी में होम स्टे योजना ने तकदीर बदली है और वहां होम स्टे संचालित कर रहे समूह के सदस्य सालभर में एक-एक लाख रुपये तक कमा रहे हैं। यही नहीं,अन्य क्षेत्रों में कीड़ा जड़ी, पोल्ट्री, मंडुवा बिस्कुट जैसे कार्य कमाई का जरिया बने हैं।

गांवों से हो रहे पलायन और इसके कारणों की रिपोर्ट देने के बाद अब ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग जिलों में विकासखंडवार सामाजिक-आर्थिक सर्वे कर रहा है। इसके तहत यह पता लगाया जा रहा कि वहां चल रही विकास योजनाओं से ग्रामीणों की स्थिति सुधरी है अथवा नहीं। साथ ही लोगों से संवाद कर ये जानकारी भी जुटाई जा रही कि बेहतरी के लिए क्या हो सकता है। पौड़ी व अल्मोड़ा जिलों की रिपोर्ट तैयार करने के बाद आयोग ने हाल में पिथौरागढ़ जिले का सर्वे किया, जो अब पूरा हो चुका है।

सूत्रों के अनुसार पिथौरागढ़ जिले के सर्वे की प्रारंभिक रिपोर्ट में गंगोलीहाट और डीडीहाट विकासखंडों में चौंकाने वाली तस्वीर सामने आई। यह दोनों विकासखंड पलायन की मार से सर्वाधिक त्रस्त हैं। गंगोलीहाट के तमाम इलाकों में पेयजल व सिंचाई सुविधाओं के अभाव में तमाम लोगों ने खेती करना छोड़ दिया है। कुछ ऐसा ही हाल डीडीहाट का भी है। खेती-किसानी छोड़कर तमाम गांवों के लोग पलायन कर डीडीहाट कस्बे और इसके नजदीक आ गए हैं। इन विकासखंडों के गांवों में सरकारी योजनाओं का अपेक्षित लाभ भी लोगों को नहीं मिल पा रहा।

यहां दिखी बदलाव की बयार

मुनस्यारी: आयोग की प्रारंभिक रिपोर्ट के मुताबिक मुनस्यारी में होम स्टे योजना अच्छा संबल दे रही है। वहां खुद के प्रयासों से एक समूह 15 होम स्टे संचालित कर रहा है। इसके सदस्यों ने आयोग को बताया कि होम स्टे से प्रति सदस्य एक लाख रुपये तक की आय हो रही है। अन्य लोग भी इसके लिए प्रेरित हुए हैं। मुनाकोट: इस क्षेत्र के तीन गांवों में लोगों ने पोल्ट्री को आर्थिकी का जरिया बनाया है और वे इससे अच्छी आमदनी कमा रहे हैं। वे पिथौरागढ़ समेत आसपास के क्षेत्र में सप्लाई कर रहे हैं। धारचूला: आयोग की प्रारंभिक रिपोर्ट पर गौर करें तो धारचूला क्षेत्र की 40 ग्राम पंचायतों के लोग कीड़ा जड़ी (यारसागुंबा) एकत्र करने के काम में जुटे हैं। बेरीनाग: इस विकासखंड के थल क्षेत्र में ग्रामीणों के करीब एक दर्जन समूह मंडुवा के बिस्कुट समेत अन्य उत्पाद तैयार कर आर्थिकी संवार रहे हैं।

बोले अधिकारी

डॉ. एसएस नेगी (उपाध्यक्ष, ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग) का कहना है कि पिथौरागढ़ जिले का सामाजिक-आर्थिक सर्वे पूरा कर लिया गया है। आंकड़ों का विश्लेषण चल रहा है और आचार संहिता खत्म होने के बाद रिपोर्ट सरकार को सौंप दी जाएगी। रिपोर्ट में इस जिले के गंगोलीहाट व डीडीहाट में खास फोकस करने का सुझाव भी दिया जाएगा।

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