बिजली कार्मिकों के आंदोलन पर सरकार सख्त, एस्मा लागू

शासन ने सख्त फैसला लेते हुए अति आवश्यक सेवा अनुरक्षण अधिनियम (एस्मा) को लागू कर दिया है। हड़ताली कर्मरियोंं को बिना वारंट के गिरफ्तार करने, जुर्माने की कार्रवाई भी जा सकती है।

By raksha.panthariEdited By: Publish:Tue, 17 Oct 2017 05:55 PM (IST) Updated:Tue, 17 Oct 2017 09:06 PM (IST)
बिजली कार्मिकों के आंदोलन पर सरकार सख्त, एस्मा लागू
बिजली कार्मिकों के आंदोलन पर सरकार सख्त, एस्मा लागू

देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: सातवें वेतनमान के आदेश जारी होने से पैदा हुई विसंगतियों से आक्रोशित बिजली कार्मिकों ने आंदोलन शुरू कर दिया है। एक घंटा अतिरिक्त काम करने के बाद शाम छह बजे कार्मिकों ने सरकारी मोबाइल को स्विच ऑफ कर दिया। इन कार्मिकों में लाइन मैन से लेकर मुख्य अभियंता तक शामिल हैं। वहीं, शासन ने सख्त फैसला लेते हुए अति आवश्यक सेवा अनुरक्षण अधिनियम (एस्मा) को लागू कर दिया है। इसके तहत हड़ताली कर्मचारियों को बिना वारंट के गिरफ्तार करने, जुर्माने की कार्रवाई भी जा सकती है। सचिव ऊर्जा ने प्रबंध निदेशकों को बिजली आपूर्ति सुचारु रखने के साथ ही एस्मा का कड़ाई से पालन करने के निर्देश दिए हैं। शाम को शासन ने बिजली कार्मिकों को वार्ता के लिए बुलाया था, लेकिन आंदोलन में शामिल प्रमुख चार संगठनों ने वार्ता का बहिष्कार कर दिया। उन्होंने स्पष्ट कहा कि जब तक मांगों के संबंध में शासनादेश जारी नहीं होगा। तब तक वार्ता नहीं होगी और आंदोलन चलता रहेगा। कार्मिकों ने दीपावली पर्व नहीं मनाने का फैसला भी लिया है। कार्मिकों के आंदोलन से रात में कई जगहों पर बिजली आपूर्ति प्रभावित हुई। हालांकि, ऊर्जा निगम प्रबंधन का दावा है कि कुछ जगहों पर छोटे फाल्ट आए, जिन्हें सही कर लिया गया। 

दरअसल, कैबिनेट से अनुमोदन के बाद सातवें वेतनमान को लागू करने के आदेश हुए। इस आदेश में ऊर्जा निगमों में लागू प्रोन्नत वेतनमान (एसीपी) की व्यवस्था में बदलाव किया। अब तक प्रोन्नत वेतनमान का लाभ 9, 14, 19 वर्ष की सेवा पर मिलता था। लेकिन, नई व्यवस्था में इसे 10, 20, 30 वर्ष किया गया है। साथ ही सातवां वेतनमान एक जनवरी, 2017 से लागू किया है और तीनों निगमों में कार्मिकों की भर्ती पर रोक लगा दी गई। इसके बाद से कर्मचारियों में उबाल है और ऊर्जा ऑफीसर्स, सुपरवाइजर्स एंड स्टाफ एसोसिएशन, उत्तरांचल पावर इंजीनियर्स एसोसिएशन, ऊर्जा कामगार संगठन, पावर जूनियर इंजीनियर एसोसिएशन ने संयुक्त रूप से लड़ाई लड़ने का फैसला लिया। 

उत्तराखंड पावर कारपोरेशन लिमिटेड (यूपीसीएल) मुख्यालय में हुई बैठक में ऊर्जा आफीसर्स, सुपरवाइजर्स एंड स्टाफ एसोसिएशन के केंद्रीय अध्यक्ष डीसी गुरुरानी ने कहा कि कार्मिकों ने 13 अक्टूबर से आंदोलन का ऐलान किया था। लेकिन, शासन ने कुछ समय मांगा तो तिथि में बदलाव किया गया था। एसीपी की व्यवस्था में बदलाव को निदेशक मंडल से प्रस्ताव पास हुआ, जिसे फिर कैबिनेट से अनुमोदन मिला। सचिव को इसमें बदलाव की पावर ही नहीं। इससे साफ है कि कार्मिकों को गुमराह किया जा रहा है। 

पावर इंजीनियर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष एमसी गुप्ता ने कहा कि बिजली कार्मिकों से उनका हक छीना जा रहा है। पदोन्नत वेतनमान की नई व्यवस्था को किसी भी सूरत में मंजूर नहीं करेंगे। कार्मिक प्रतिदिन शाम छह से सुबह दस बजे तक फोन बंद रखेंगे। ऊर्जा कामगार संगठन के कार्यवाहक अध्यक्ष दीपक बेनीवाल ने कहा कि आंदोलन के संबंध में पूर्व में ही शासन और ऊर्जा के तीनों निगम प्रबंधन के साथ जिलाधिकारियों सूचना दी जा चुकी है। बैठक में पावर इंजीनियर्स एसोसिएशन के महासचिव अनिल कुमार मिश्रा, पावर जूनियर इंजीनियर एसोसिएशन से संदीप शर्मा के अलावा दीपक पांडे, कार्तिकेय दुबे, संदीप शर्मा, जेसी पंत, एचएस रावत, विनीत गुप्ता, दिनेश कश्यप, गंगा सिंह ल्वांल, दीपक शैली आदि मौजूद रहे। 

ये भी है मांग 

-ऊर्जा निगमों में भर्ती पर लगाई रोक को हटाया जाए। 

-सातवें वेतनमान का लाभ एक जनवरी, 2016 से मिले। 

-सातवें वेतनमान से विभिन्न संवर्गों के वेतनमान में आई विसंगतियों को दूर किया जाए।  

सचिव ऊर्जा की टी पार्टी का भी बहिष्कार 

सचिव ऊर्जा ने दीपावली के उपलक्ष्य में जल विद्युत निगम मुख्यालय में टी पार्टी आयोजित की थी। इसमें तीनों निगमों के करीब कार्मिकों को बुलाया गया था। लेकिन, कार्मिकों ने इसका भी बहिष्कार कर दिया। शाम करीब आठ बजे तक यह आयोजन शुरू नहीं हो सका था। 

इमरजेंसी ड्यूटी भी नहीं करेंगे 

चारों संगठनों ने निर्णय लिया है कि दीपावली पर लगाई जाने वाले इमरजेंसी ड््यूटी भी नहीं की जाएगी। इससे दीपावली पर निर्बाध बिजली आपूर्ति पर बड़ा संकट खड़ा हो सकता है। क्योंकि, इस दौरान लोड ज्यादा होता है, जिस कारण फाल्ट आने की आशंका भी अधिक रहती है। 

संगठन कर रहे हैं हठधर्मिता 

सचिव ऊर्जा राधिका झा की ओर से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि कार्मिकों की समस्याओं के समाधान के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। सोमवार को वार्ता के लिए भी बुलाया था, लेकिन संगठनों ने बहिष्कार किया। संगठनों की हठधर्मिता के चलते तीनों निगमों में हड़ताल निषिद्ध करते हुए जनहित में एस्मा लगाने का निर्णय लिया गया है। 

अभियंताओं की ड्यूटी लगाई 

वहीं ऊर्जा निगम के प्रबंध निदेशक बीसीके मिश्रा ने शिकायत निवारण केंद्र में अभियंताओं की ड्यूटी लगाई है। 17 से 20 अक्टूबर तक अधीक्षण अभियंता मंदीप सिंह राणा, अधिशासी अभियंता विशाल सिंह राणा, मोहित डबराल, रुचि गुप्ता शिकायत निवारण केंद्र में मौजूद रहेंगे और उपभोक्ताओं की समस्याओं का निस्तारण न्यूनतम अवधि में कराएंगे। इसकी मॉनिटरिंग मुख्य अभियंता परियोजना सईद अहमद करेंगे। 

यह भी पढ़ें: कुंजवाल ने बोला भाजपा की केंद्र व प्रदेश सरकार पर हमला 

यह भी पढ़ें: जय शाह कंपनी की दो सिटिंग जज करें जांच: राज बब्बर

यह भी पढ़ें: भाजपा और कांग्रेस ने की उत्तराखंड के हितों पर चोट  

chat bot
आपका साथी