मां कूष्मांडा से मांगा उन्नति का आशीर्वाद

विकासनगर मंगलवार को नवरात्र के चौथे दिन श्रद्धालुओं ने मंदिरों व घरों में मां कूष्मांडा की पूजा कर समृद्धि और उन्नति की कामना की।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 20 Oct 2020 10:12 PM (IST) Updated:Wed, 21 Oct 2020 05:16 AM (IST)
मां कूष्मांडा से मांगा उन्नति का आशीर्वाद
मां कूष्मांडा से मांगा उन्नति का आशीर्वाद

जागरण संवाददाता, विकासनगर: मंगलवार को नवरात्र के चौथे दिन श्रद्धालुओं ने मंदिरों व घरों में दुर्गा के चौथे स्वरूप मां कूष्मांडा की उपासना कर लौकिक, परलौकिक उन्नति का आशीर्वाद मांगा। नवरात्र-पूजन के चौथे दिन दुर्गा सप्तसती के चौथे अध्याय का पाठ कर श्रद्धालुओं ने मां कूष्मांडा की उपासना की।

मान्यता है कि इस दिन साधक का मन अदाहत चक्र में अवस्थित होता है। अत: इस दिन उसे अत्यंत पवित्र और अचंचल मन से कूष्मांडा देवी के स्वरूप को ध्यान में रखकर पूजा-उपासना के कार्य में लगना चाहिए। विकासनगर, हरबर्टपुर, डाकपत्थर, कालसी, सहसपुर, सेलाकुई, झाझरा, भाऊवाला आदि क्षेत्रों के मंदिरों व घरों में श्रद्धालुओं ने नवदुर्गा के चौथे स्वरूप मां कूष्मांडा की उपासना कर लौकिक, पारलौकिक उन्नति की कामना की। धार्मिक मान्यता के अनुसार देवी कूष्मांडा की आठ भुजाएं हैं। अत: ये अष्टभुजा देवी के नाम से भी विख्यात हैं। इनके सात हाथों में क्रमश: कमंडल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा है। आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जपमाला है। इनका वाहन सिंह है। मान्यता के अनुसार जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था, तब मां कूष्मांडा ने ब्रह्मांड की रचना की थी। अत: ये ही सृष्टि की आदि-स्वरूपा, आदिशक्ति हैं। इनका निवास सूर्यमंडल के भीतर के लोक में है। वहां पर निवास कर सकने की क्षमता और शक्ति केवल मां कूष्मांडा में ही है। इनके शरीर की कांति और प्रभा भी सूर्य के समान ही दैदीप्यमान हैं। धर्म ग्रंथों में वर्णित महिमा के अनुसार इनके तेज और प्रकाश से दसों दिशाएं प्रकाशित हो रही हैं। ब्रह्मांड की सभी वस्तुओं और प्राणियों में अवस्थित तेज मां कूष्मांडा की छाया है। मां कूष्मांडा की उपासना मनुष्य को व्याधियों से सर्वथा विमुक्त करके उसे सुख, समृद्धि और उन्नति प्रदान करती हैं।

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