Chardham Devasthanam Board: देवस्थानम बोर्ड से बाहर हो सकते हैं गंगोत्री, यमुनोत्री समेत छह मंदिर

उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के दायरे में शामिल 51 मंदिरों के संबंध में पुनर्विचार की मुख्यमंत्री की घोषणा के मद्देनजर अब इसे लेकर उच्च स्तर पर मंथन शुरू हो गया है। माना जा रहा कि गंगोत्री व यमुनोत्री धाम समेत छह मंदिरों को बोर्ड से बाहर किया जा सकता।

By Raksha PanthriEdited By: Publish:Sun, 02 May 2021 07:45 AM (IST) Updated:Sun, 02 May 2021 07:45 AM (IST)
Chardham Devasthanam Board: देवस्थानम बोर्ड से बाहर हो सकते हैं गंगोत्री, यमुनोत्री समेत छह मंदिर
देवस्थानम बोर्ड से बाहर हो सकते हैं गंगोत्री, यमुनोत्री समेत छह मंदिर।

राज्य ब्यूरो, देहरादून। उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के दायरे में शामिल 51 मंदिरों के संबंध में पुनर्विचार की मुख्यमंत्री की घोषणा के मद्देनजर अब इसे लेकर उच्च स्तर पर मंथन शुरू हो गया है। माना जा रहा कि गंगोत्री व यमुनोत्री धाम समेत छह मंदिरों को बोर्ड से बाहर किया जा सकता है। ऐसे में सरकार और चारधाम के तीर्थ पुरोहितों और हक-हकूकधारियों के बीच प्रस्तावित वार्ता पर सबकी नजरें टिकी हैं। हालांकि, बोर्ड के संबंध में सरकार कोई फैसला लेती है तो उसे देवस्थानम प्रबंधन अधिनियम में संशोधन करना होगा।

संयुक्त उत्तर प्रदेश में वर्ष 1939 में बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति अधिनियम लाया गया था। इसके तहत गठित बदरी-केदार मंदिर समिति (बीकेटीसी) तब से बदरीनाथ व केदारनाथ की व्यवस्थाएं देखती आ रही थी। इनमें बदरीनाथ से जुड़े 29 और केदारनाथ से जुड़े 14 मंदिर भी शामिल थे। इस तरह कुल 45 मंदिरों का जिम्मा बीकेटीसी के पास था। वर्ष 2017 में भाजपा सरकार के सत्तारूढ़ होने के बाद वैष्णो देवी मंदिर की तर्ज पर यहां भी चारधाम के लिए बोर्ड बनाने की कसरत हुई। पिछले साल तत्कालीन त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार के कार्यकाल में उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन अधिनियम अस्तित्व में आया और फिर चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड गठित प्रक्रिया गया। 

बोर्ड के दायरे में चारधाम बदरीनाथ, केदारनाथ व उनसे जुड़े मंदिरों के साथ ही गंगोत्री व यमुनोत्री, रघुनाथ मंदिर (देवप्रयाग), चंद्रबदनी, मुखेम नागराजा मंदिर (टिहरी) और राजराजेश्वरी मंदिर (श्रीनगर) को लाया गया।हालांकि, देवस्थानम अधिनियम का चारधाम के हक-हकूकधारी लगातार विरोध कर रहे हैं। गंगोत्री में तो अभी भी विरोध जारी है। हक-हकूकधारियों का कहना है कि यह अधिनियम उनके हितों पर कुठाराघात है। जब यह अधिनियम लाया गया और बोर्ड का गठन किया गया तो तब भी उन्हेंं विश्वास में नहीं लिया गया। अलबत्ता, इस बीच देवस्थानम बोर्ड ने बदरीनाथ व केदारनाथ और उनसे जुड़े मंदिरों की व्यवस्थाएं अपने हाथ में ले ली। 

प्रदेश सरकार में नेतृत्व परिवर्तन के बाद मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कमान संभाली तो उन्होंने बोर्ड और उसमें शामिल मंदिरों के संबंध में पुनर्विचार की बात कही। मुख्यमंत्री ने साफ किया कि चारधाम के पंडा समाज और हक-हकूकधारियों से वार्ता कर सरकार उनकी भावनाएं जानेगी। सभी से बातचीत कर आगे निर्णय लिया जाएगा। इस क्रम में उच्च स्तर पर मंथन शुरू हो गया है। कोरोना संक्रमण के मद्देनजर स्थिति सामान्य होने पर सरकार चारधाम के हक-हकूकधारियों को वार्ता के लिए बुला सकती है। सूत्रों के अनुसार सरकार गंगोत्री व यमुनोत्री के अलावा देवप्रयाग, टिहरी व पौड़ी के चार मंदिरों को बोर्ड के दायरे से बाहर रखने का प्रस्ताव रख सकती है। 

इसके बाद बोर्ड के दायरे में केवल बदरीनाथ व केदारनाथ और उनसे जुड़े मंदिर ही रह जाएंगे, जो पूर्ववर्ती बीकेटीसी की तरह व्यवस्थाएं देखेगा। सूत्रों ने बताया कि बोर्ड के संबंध में सरकार जो भी फैसला लेगी, उसे अमल में लाने के लिए उसे विधानसभा से चारधाम देवस्थानम प्रबंधन अधिनियम में संशोधन करना पड़ेगा। पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज का कहना है कि चारधाम के तीर्थ पुरोहितों और हक-हकूकधारियों की जल्द ही बैठक बुलाई जाएगी। इसमें सभी पहलुओं पर गहनता के साथ विचार-विमर्श के बाद कोई निर्णय लिया जाएगा। वैसे भी सरकार पहले ही साफ कर चुकी है कि चारधाम में हक-हकूकधारियों के सभी अधिकार सुरक्षित रहेंगे।

यह भी पढ़ें- कैलास भूक्षेत्र की चुनौतियों को आसान करेगा यूनेस्को, इन अंतरराष्ट्रीय संधियों के तहत होगा संरक्षण

Uttarakhand Flood Disaster: चमोली हादसे से संबंधित सभी सामग्री पढ़ने के लिए क्लिक करें

chat bot
आपका साथी