सरकार की अनदेखी पर एससी-एसटी फेडरेशन के तेवर तल्ख, शिक्षित बेरोजगार युवाओं के साथ इंसाफ की मांग

उत्तराखंड एससी-एसटी इंप्लाइज फेडरेशन ने सरकार पर अनदेखी का आरोप लगाते हुए उनके रवैये पर सवाल उठाए हैं। इस दौरान उन्होंने एससी-एसटी और ओबीसी कार्मिकों के साथ ही शिक्षित बेरोजगार युवाओं के साथ इंसाफ की भी मांग की है।

By Raksha PanthriEdited By: Publish:Sun, 18 Jul 2021 01:05 PM (IST) Updated:Sun, 18 Jul 2021 01:05 PM (IST)
सरकार की अनदेखी पर एससी-एसटी फेडरेशन के तेवर तल्ख, शिक्षित बेरोजगार युवाओं के साथ इंसाफ की मांग
सरकार की अनदेखी पर एससी-एसटी फेडरेशन के तेवर तल्ख।

जागरण संवाददाता, देहरादून। उत्तराखंड एससी-एसटी इंप्लाइज फेडरेशन ने सरकार पर अनदेखी का आरोप लगाते हुए उनके रवैये पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने एससी-एसटी और ओबीसी कार्मिकों के साथ ही शिक्षित बेरोजगार युवाओं के साथ इंसाफ की मांग की है।

विभिन्न मुद्दों को लेकर शनिवार को आयोजित बैठक में कार्मिकों ने सरकार के प्रति रोष प्रकट किया। फेडरेशन के प्रांतीय अध्यक्ष करमराम ने कहा कि राज्य गठन से ही एससी-एसटी कार्मिकों और शिक्षित बेरोजगार युवाओं के साथ सरकारों ने धोखा किया है। सभी सरकारें यह आश्वासन देती रहीं कि विशेष भर्ती अभियान चलाकर बैकलाग के पदों को जल्द भरा जाएगा, लेकिन आज तक कोई भी सरकार बैकलाग के पदों को भरने के लिए गंभीर नहीं हुई।

अधीनस्थ सेवा चयन आयोग जो भी विज्ञप्ति निकाली जा रही है, उसमें निर्धारित रोस्टर के अनुसार एससी-एसटी के पदों की गणना नहीं की जा रही है। कहा कि बीते पांच सितंबर 2012 को प्रमोशन में आरक्षण समाप्त कर दिया गया है। उसी दिन राजकीय सेवाओं में एससी-एसटी वर्ग का प्रतिनिधित्व ज्ञात करने के लिए जस्टिस इरशाद हुसैन आयोग की रिपोर्ट को भी सार्वजनिक नहीं किया गया है।

आयोग की रिपोर्ट का परीक्षण करने के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की गई थी, जिसकी बैठक फरवरी 2016 को आयोजित हुई, लेकिन तब से अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। आरोप लगाया कि कार्मिक विभाग में बैठे कुछ अधिकारियों की संकीर्ण मानसिकता के कारण वंचित वर्ग के अधिकारों का हनन हो रहा है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि फेडरेशन की मांगों को गंभीरता से लेते हुए कोई निर्णय न लिया गया तो सड़कों पर उतरकर आंदोलन करेंगे।

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