बचपन में नहीं मिलती थी किताबें पढ़ने को,आज लोग पढ़ रहे हैं इनकी किताबें

मशहूर लेखक रस्किन बॉन्ड बताते हैं कि बचपन में उन्हें किताबें पढ़ने को नहीं मिलती थी। तब वह पड़ोस में रहने वाले दोस्तों से किताबें मांगकर पढ़ते थे।

By raksha.panthariEdited By: Publish:Mon, 04 Sep 2017 01:55 PM (IST) Updated:Mon, 04 Sep 2017 10:54 PM (IST)
बचपन में नहीं मिलती थी किताबें पढ़ने को,आज लोग पढ़ रहे हैं इनकी किताबें
बचपन में नहीं मिलती थी किताबें पढ़ने को,आज लोग पढ़ रहे हैं इनकी किताबें

देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: नेशनल बुक ट्रस्ट ऑफ इंडिया और प्रदेश सरकार की ओर से देहरादून में आयोजित पुस्तक मेले में रविवार को प्रसिद्ध लेखक पद्मश्री रस्किन बांड भी पहुंचे। रस्किन ने यहां विभिन्न स्टॉलों में सजी किताबों के बारे में जानकारी ली और बौद्धिक सत्र में भी प्रतिभाग किया। इस दौरान उन्होंने छात्र-छात्राओं के साथ अपने बचपन के तमाम अनुभव साझा किए। 

रस्किन ने छात्रों को लिखने के लिए प्रेरित करते हुए कहा कि स्कूल-कॉलेजों में पढ़ाई कर रहे विद्यार्थी भी आज लिख रहे हैं, जो साहित्य जगत के लिए काफी अच्छा है। उन्होंने कहा कि उन्हें बचपन में पढ़ने के लिए किताबें नहीं मिलती थीं। तब वह पड़ोस में रहने वाले दोस्तों से किताबें मांगकर पढ़ते थे। रस्किन ने बताया कि वह अलग-अलग लोगों के अनुभवों, साहसिक कार्यों और प्रकृति से प्रेरित होकर लिखते हैं। वह 65 वर्षों से लगातार लिखते आ रहे हैं और जब तक जीवन है, लिखते रहेंगे। उन्होंने छात्रों को नसीहत देते हुए कहा कि जीवन में भले ही कितनी भी परेशानियां क्यों न आएं, प्रयास तब तक जारी रखना चाहिए, जब तक कि सफलता न मिल जाए। कहा कि अधिक से अधिक पढऩा चाहिए, तभी शब्दों के भंडार में वृद्धि होगी। 

इस दौरान रस्किन से छात्र-छात्राओं ने सवाल भी पूछे। रस्किन ने भी उनकी  जिज्ञासा को शांत किया।  उन्होंने पुस्तक मेले की प्रशंसा करते हुए कहा कि डिजिटल युग में भी पुस्तकों की उपयोगिता कम नहीं हुई है। कहा कि मेले में लगाए गए 115 स्टॉलों में करीब 20 लाख रुपये की पुस्तकें बिक चुकी हैं, जो खुशी की बात है। इससे पहले रस्किन बांड को गुलदस्ता भेंटकर उच्च शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने उनका स्वागत किया। 

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