ऋषिकेश और कोटद्वार में पालिका बोर्ड भंग, प्रशासक नियुक्त

सरकार ने ऋषिकेश और कोटद्वार नगरपालिकाओं के बोर्ड भंग कर दिए हैं। उक्त दोनों स्थानों पर जिलाधिकारियों को प्रशासक नियुक्त किया गया है।

By BhanuEdited By: Publish:Sat, 09 Dec 2017 08:18 AM (IST) Updated:Sat, 09 Dec 2017 10:46 PM (IST)
ऋषिकेश और कोटद्वार में पालिका बोर्ड भंग, प्रशासक नियुक्त
ऋषिकेश और कोटद्वार में पालिका बोर्ड भंग, प्रशासक नियुक्त

देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: ऋषिकेश और कोटद्वार को नगर निगम में उच्चीकृत किए जाने के बाद सरकार ने अब दोनों नगरपालिकाओं के बोर्ड भंग कर दिए हैं। उक्त दोनों स्थानों पर जिलाधिकारियों को प्रशासक नियुक्त किया गया है। इसके साथ ही वहां अगले निकाय चुनाव नए निगमों के लिए होंगे। 

राज्य की नई सरकार ने नगर निकायों की संख्या और सीमाओं में तेजी से विस्तार किया है। साथ ही राज्य में बड़े नगरों की संख्या में इजाफा हो गया है। बीते दिनों सरकार ने ऋषिकेश नगरपालिका परिषद और कोटद्वार नगरपालिका परिषद को नगर निगम बनाने के निर्णय को धरातल पर उतार दिया। दोनों ही स्थानों पर नगर निगमों के लिए परिसीमन की अधिसूचना भी जारी की जा चुकी है। 

नए उच्चीकृत नगर निगमों को देखते हुए सरकार ने ऋषिकेश और कोटद्वार में नगरपालिकाओं के निर्वाचित बोर्ड को भंग करने के आदेश जारी कर दिए हैं। ऋषिकेश नगरपालिका परिषद में अध्यक्ष के अलावा 20 वार्ड सदस्य और कोटद्वार नगरपालिका परिषद में अध्यक्ष के अलावा 11 वार्ड सदस्य थे। शहरी विकास मंत्री एवं सरकारी प्रवक्ता मदन कौशिक ने उक्त दोनों नगरपालिका परिषदों को भंग किए जाने की पुष्टि की। 

उन्होंने बताया कि ऋषिकेश में जिलाधिकारी देहरादून एसए मुरुगेशन और कोटद्वार में जिलाधिकारी पौड़ी सुशील कुमार को प्रशासक नियुक्त किया गया है। 

उधर, शासन की ओर से आदेश जारी होने के बाद जिलाधिकारी पौड़ी ने कोटद्वार में प्रशासक का कार्यभार संभाल लिया है। सरकार के इस कदम के बाद ऋषिकेश और कोटद्वार में अगले निकाय चुनाव नगर निगमों के लिए लड़े जाएंगे। नगर निकाय चुनाव अगले वर्ष अप्रैल माह में प्रस्तावित हैं। 

न्यूनतम 40 और अधिकतम 100 होंगे निर्वाचित पार्षद

विधानसभा के शीतकालीन स़त्र के अंतिम दिन उत्तराखंड (उत्तर प्रदेश नगर निगम अधिनियम, 1959) (संशोधन) विधेयक 2017 पारित होने के साथ ही राज्य के आठ नगर निगमों के लिए निर्वाचित पार्षदों की संख्या भी तय हो गई। इसके लिए जनसंख्या के आधार को मानक बनाया गया है। इसके तहत नगर निगमों में अब न्यूनतम 40 और अधिकतम 100 निर्वाचित पार्षद होंगे। 

पहले यह संख्या 35 से 70 थी। वहीं, निर्वाचित पार्षदों की संख्या तय होने के साथ ही नगर निगमों में अगले साल अप्रैल में होने वाले चुनावों की रणभेरी भी एक प्रकार से बज चुकी है।

नगर निगमों के सीमा विस्तार के बाद इनमें आसपास के कई ग्रामीण इलाके शामिल किए गए। इसके बाद पार्षदों की संख्या को लेकर सरकार उधेडबुन में थी। कवायद हुई और जनसंख्या के आधार पर निर्वाचित पार्षदों की संख्या तय करने का निर्णय लिया गया। 

इस क्रम में चार दिसंबर को अधिसूचना जारी की गई। गैरसैंण में हुई कैबिनेट की बैठक में भी इस पर चर्चा की गई। सात दिसंबर को शहरी विकास मत्री मदन कौशिक ने विस के शीतकालीन सत्र के पहले दिन इससे संबंधित विधेयक सदन में प्रस्तुत किया। चर्चा के बाद शुक्रवार को यह विधेयक पारित भी कर दिया गया। 

इसके साथ ही राज्य के सभी नगर निगमों के लिए निर्वाचित पार्षदों की संख्या तय हो गई है। अब इसी के आधार पर अगले साल अप्रैल में होने वाले चुनाव में पार्षद चुने जाएंगे।

नगर निगमों ये रहेगी स्थिति

जनसंख्या----------------निर्वाचित पार्षदों की संख्या

एक से दो लाख तक----------40

दो से चार लाख तक----------60

चार से पांच लाख तक--------70

पांच से छह लाख तक--------80

छह से सात लाख तक--------90

सात लाख से अधिक--------100

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