स्वास्थ्य विभाग में तकनीकी सेवा संवर्ग की भर्ती का रास्ता साफ

प्रदेश में लैब तकनीशियनों की नियमित नियुक्ति का रास्ता साफ हो गया है। कैबिनेट ने इसके लिए उत्तराखंड चिकित्सा शिक्षा विभाग तकनीशियन सेवा नियमावली को मंजूरी दी है।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Thu, 09 Apr 2020 11:49 AM (IST) Updated:Thu, 09 Apr 2020 11:49 AM (IST)
स्वास्थ्य विभाग में तकनीकी सेवा संवर्ग की भर्ती का रास्ता साफ
स्वास्थ्य विभाग में तकनीकी सेवा संवर्ग की भर्ती का रास्ता साफ

देहरादून, राज्य ब्यूरो। प्रदेश में लैब तकनीशियनों की नियमित नियुक्ति का रास्ता साफ हो गया है। कैबिनेट ने इसके लिए उत्तराखंड चिकित्सा शिक्षा विभाग तकनीशियन (लैब, ओटी, सीएसएसडी, डेंटल संवर्ग आदि) सेवा नियमावली को मंजूरी दी है। इन नियमावली के साथ ही शासन ने इसके अंतर्गत आने वाले तकनीकी सेवा के 347 पदों पर भी भर्ती को मंजूरी प्रदान कर दी है।

प्रदेश में इस समय लैब व एक्स रे तकनीशियनों के काफी पद खाली हैं। वर्तमान में विभिन्न संवगोर्ं के तकनीशियनों के 347 पदों के सापेक्ष अभी 160 तकनीशियन ही कार्यरत हैं। इन पर भी अधिकांश पद आउटसोर्स से भरे जा रहे थे । तमाम प्रयासों के बावजूद इन पदों को भरा नहीं जा सका है। दरअसल, उत्तराखंड के अलग राज्य बनने के बाद स्वास्थ्य विभाग में लैब व एक्स रे तकनीशियनों की भर्ती के लिए उत्तर प्रदेश के जमाने से चली आ रही नियमावली को ही अंगीकार किया गया था और इसी आधार पर भर्तियां भी की जा रही थी। 

इसमें कई विसंगतियां थी, जिसे देखते हुए नई नियमावली बनाने की कवायद शुरू हुई। इसे अब कैबिनेट ने मंजूरी दी है। कैबिनेट मंत्री व शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक ने बताया कि नई नियमावली के अंतर्गत लैब, ओटी, सीएसएसडी, डेंटल, रिफ्रेक्सनिस्ट, इसीजी, रेडियोग्राफिक्स, रेडियोथैरेपी, कैंसर जेनेटिक्स, न्यूक्लियर मेडिसन, रेडिएशन, रेडियोडाइगनॉसिस, एनेस्थियोलॉजी, न्यूरो सर्जरी, नेफ्रोलॉजी, कार्डियोलॉजी, न्यूरोलॉजी और प्लास्टिक सर्जरी के तकनीशियनों की भर्ती की जा सकेगी। इन सभी के लिए योग्यता इंटरमीडिएट होने के साथ ही संबंधित विषय का डिप्लोमा अनिवार्य है। न्यूनतम दो वर्ष किसी सरकारी अथवा मान्यता प्राप्त अस्पताल में काम का अनुभव और स्टेट पैरामेडिकल काउंसिल में पंजीकरण भी जरूरी होगा। 

ये सभी पद समूह ग के पद होंगे। इनकी भर्ती उत्तराखंड चिकित्सा चयन आयोग के माध्यम से की जाएगी। इसके साथ ही श्रीनगर मेडिकल कॉलेज में 60, हल्द्वानी मेडिकल कालेज में 89, देहरादून मेडिकल कॉलेज में 80 और अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज में 80 यानी कुल 309 पदों पर तकनीशियनों की भर्ती को मंजूरी दी है। कैंसर इंस्टीट्यूट हल्द्वानी में 33 और पांच पद सुपर स्पेशलिस्ट विभाग में सृजित हैं। इनमें डेंटल तकनीशियनों के पद स्थानांतरणीय होंगे।

प्रदेश में अभी 244 डॉक्टरों ने ही किया है ज्वाइन

प्रदेश सरकार द्वारा हाल ही में भर्ती किए गए 450 डॉक्टरों के सापेक्ष अभी तक 244 डॉक्टरों ने ही अपनी ज्वाइनिंग दी हैं। राज्य गठन के बाद से ही प्रदेश में डॉक्टरों की खासी कमी महसूस की जा रही है। हाल ही में कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच सरकार ने प्रदेश में डॉक्टरों की कमी को दूर करने के लिए 450 डॉक्टरों की नियुक्ति की। इससे डॉक्टरों के स्वीकृत तकरीबन 2700 पदों के सापेक्ष 90 फीसद डॉक्टरों की तैनाती सुनिश्चित हो गई।

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सरकार उम्मीद जता रही थी कि इससे प्रदेश में डॉक्टरों की कमी काफी हद तक दूर हो जाएगी। सरकार ने लॉकडाउन को देखते हुए चयनित डॉक्टर को अपने नजदीकी अस्पताल, यदि संविदा पर कार्यरत हैं तो उसी अस्पताल और यदि दूसरे प्रदेश के हैं तो उत्तराखंड की सीमा पर लगे सबसे निकट जिले के सीएमओ के यहां अपनी ज्वाइनिंग देने को कहा था। इसके सापेक्ष अभी तक केवल 240 ने ही ज्वाइनिंग दी है। हालांकि, विभाग इसका एक बड़ा कारण लॉकडाउन बता रहा है। वहीं, एक बात यह भी सामने आ रही है कि प्रदेश में कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए कई नए डॉक्टर तैनाती देने से कदम पीछे खींच रहे हैं। शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक का कहना है कि नए डॉक्टर लगातार ज्वाइनिंग दे रहे हैं। अभी तक 244 ने अपनी ज्वाइनिंग दे दी है।

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