गो पालन संबंधी आग्रह को राष्ट्रपति भवन ने स्वीकारा

परमार्थ निकेतन स्वर्गाश्रम में चल रही श्रीराम कथा में प्रसिद्ध संत राम कथा मर्मज्ञ मोरारी बापू ने कहा कि राष्ट्राध्यक्ष के आवासीय परिसर में गो पालन का आग्रह राष्ट्रपति भवन ने स्वीकार लिया है। व्यास गद्दी से दो दिन पूर्व मोरारी बापू ने यह आह्वान किया था।

By sunil negiEdited By: Publish:Tue, 16 Jun 2015 02:26 PM (IST) Updated:Tue, 16 Jun 2015 02:28 PM (IST)
गो पालन संबंधी आग्रह को राष्ट्रपति भवन ने स्वीकारा

ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन स्वर्गाश्रम में चल रही श्रीराम कथा में प्रसिद्ध संत राम कथा मर्मज्ञ मोरारी बापू ने कहा कि राष्ट्राध्यक्ष के आवासीय परिसर में गो पालन का आग्रह राष्ट्रपति भवन ने स्वीकार लिया है। व्यास गद्दी से दो दिन पूर्व मोरारी बापू ने यह आह्वान किया था।
मंगलवार को श्रीराम कथा के चौथे दिन कथा मर्मज्ञ मोरारी बापू ने हर्ष जताते हुए कहा कि श्रीराम कथा की व्यास पीठ से किए गए आग्रह को सकारात्मक ढंग से लेकर राष्ट्रपति भवन ने गो पालन एवं गो सेवा की व्यवस्था करने की सहमति जताई है।

उन्होंने कहा कि देश के प्रथम नागरिक के आवासीय परिसर में राष्ट्र के अर्थतंत्र एवं संस्कृति का आधार गोवंश रखना देश के लिए शुभ सूचना है। उन्होंने देश की सर्वोच्च राजपीठ को इसके लिए साधुवाद दिया। संत मोरारी बापू ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी अपने आवासीय परिसर में गाय रखने की सलाह दी।

उन्होंने कहा कि इससे देश के करोड़ों लोगों को गो सेवा व पालन की प्रेरणा मिलेगी। श्रीराम कथा को आगे बढ़ाते हुए कथावाचक मोरारी बापू ने 'मां' को महान शक्ति बताते हुए नारी समाज को सदैव सम्मान देने की अपील की। उन्होंने देश के युवाओं का आह्वान किया कि वह राष्ट्र के रचनात्मक नवनिर्माण में आगे आएं।

इसके लिए नैतिक, आध्यात्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, राष्ट्रीय मुद्दों से युवाओं को सरोकार रखना होगा। योग के विरोध को संकीर्णता का स्वरूप बताते हुए उन्होंने कहा कि रोग न हिंदू होता और मुसलमान होता है तो योग के प्रति नजरिया ऐसा क्यों। उन्होंने योग को जाति, धर्म संप्रदाय से ऊपर बताया।

उन्होंने योग विज्ञान को विश्व वसुधा की स्वस्थता के महाविज्ञान की संज्ञा दी। परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि व्यास गद्दी से गो सेवा संबंधी किए गए आग्रह को राष्ट्रपति भवन द्वारा सहमति दिया जाना राष्ट्र के लिए बहुत बड़ा सम्मान है।

गो, गंगा, गायत्री हमारी संस्कृति की पहचान है। इसे किसी दायरे में सीमित नहीं रखा जा सकता। इस दौरान कार्ष्णि पीठाधीश्वर स्वामी गुरुशरणानंद, महामंडलेश्वर स्वामी असंगानंद सरस्वती, हरियाणा से आए संत स्वामी धर्मदेव, चंडीगढ़ के संत स्वामी सीताराम महाराज, गृह मंत्रालय में राजभाषा विभाग की संयुक्त सचिव पूनम महाजन, शुकदेवानंद ट्रस्ट के वरिष्ठ न्यासी डीपी गर्ग, उत्तर रेलवे के सीनियर डीओएम मनोज शर्मा, विनय शर्मा आदि उपस्थित थे।
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