कवि डा. कुमार विश्वास ने अपनी कविता के जरिये उत्तराखंड के वीर शहीदों को दी श्रद्धांजलि

प्रख्यात कवि डा. कुमार विश्वास ने इन पंक्तियों के जरिये उत्तराखंड की वीर सैनिक परंपरा और देश के लिए अपने प्राणों का सर्वोच्च बलिदान देने वाले शहीदों को याद किया। कहा है नमन उनको जो उस देह को अमरत्व देकर इस जगत में शौर्य की जीवित कहानी हो गए हैं।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Tue, 12 Jan 2021 10:06 PM (IST) Updated:Tue, 12 Jan 2021 10:06 PM (IST)
कवि डा. कुमार विश्वास ने अपनी कविता के जरिये उत्तराखंड के वीर शहीदों को दी श्रद्धांजलि
राष्ट्रीय भक्ति कवि सम्मेलन में प्रसिद्ध कवि कुमार विश्वास को स्मृति चिह्न देते मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत।

राज्य ब्यूरो, देहरादून। 'है नमन उनको, जो उस देह को अमरत्व देकर, इस जगत में शौर्य की जीवित कहानी हो गए हैं। है नमन उनको, जिनके सामने बौना हिमालय, जो धरा पर गिर पड़े और आसमानी हो गए हैं।' प्रख्यात कवि डा. कुमार विश्वास ने इन पंक्तियों के जरिये उत्तराखंड की वीर सैनिक परंपरा और देश के लिए अपने प्राणों का सर्वोच्च बलिदान देने वाले शहीदों को याद किया। अवसर था स्वामी विवेकानंद के जन्मदिवस, यानी युवा चेतना दिवस के अवसर पर आयोजित कवि सम्मेलन का। इसमें जाने माने कवियों ने देशभक्ति, प्रेम और हास्य कविताओं के माध्यम से उपस्थित श्रोताओं का मन मोह लिया।

कार्यक्रम में मुख्य कवि के रूप में उपस्थित डा. कुमार विश्वास ने देशभक्ति, जीवन और प्रेम पर आधारित कविताएं प्रस्तुत की। उनकी कविता 'खिलौने साथ बचपन तक, जवानी बस रवानी तक, सभी अनुभव भरे किस्से, बुढ़ापे की कहानी तक, जवानी में सहारे हैं सभी, बस जिंदगी भर तक, मगर ये जिंदगी के आखिरी पल का सहारा है, ये गंगा का किनारा है, ये गंगा का किनारा है,' को श्रोताओं द्वारा खासा पसंद किया गया। कवि राजीव राज ने अपनी कविता 'धरा के दीप से भी कभी हार जाता है दिनकर, सुमन सौरभ पवन के प्राण को पुलकित बनाता है, विधाता प्रार्थना से, साधना से, त्याग से पुलकित, युगों के बाद धरती को महामानव दिलाता है' के जरिये स्वामी विवेकानंद को श्रद्धांजलि दी।

इसके बाद उन्होंने 'यादें झीनी रे झीनी रे' के माध्यम से श्रोताओं को बचपन की यादों से रूबरू कराया। कवियत्री कविता तिवारी ने 'जिम्मेदारियों का बोझ परिवार पर पड़ा तो, आटो, रिक्शा, ट्रेन को चलाने लगी बेटियां, साहस के साथ साथ अंतरिक्ष को भेद डाला, सुना वायुयान भी उड़ाने लगी बेटियां' कविता मातृ शक्ति को समर्पित की। कवि रमेश मुस्कान और तेज नारायण मिश्रा ने अपनी कविताओं के जरिये श्रोताओं का जम कर गुदगुदाया।

कार्यक्रम में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि स्वामी विवेकानंद हम सभी के आदर्श हैं। उन्होंने पूरी दुनिया को भारत के दर्शन से रूबरू कराया है। उन्होंने कहा कि कविताओं को गहराई से सीखने की जरूरत है। कई बार व्यंग्यों से बहुत कुछ सीखने को मिलता है। कई बार प्रयास करते हैं कि इनसे हम भी कुछ कर सीख कर जाएं। दस माह बाद ऐसे कार्यक्रम का आयोजन किया गया। अब देश कोरोना पर विजय पा रहा है। भविष्य में जल्द और ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा।

कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक, हरक सिंह रावत, उच्च शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) धन सिंह रावत, सचिव संस्कृति दिलीप जावलकर व सचिव मुख्यमंत्री राधिका झा आदि भी उपस्थित थे।

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