तीन माह जिला अस्पतालों में ड्यूटी करेंगे पीजी छात्र, तभी बैठने दिया जाएगा अंतिम वर्ष की परीक्षा में

पढ़ाई में अब शुरुआत से ही व्यावहारिक ज्ञान और अनुभव को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसी के तहत पीजी करने वाले सभी चिकित्सकों को इस साल से पढ़ाई के साथ ही जिला अस्पताल में तीन माह तक अनिवार्य सेवा देनी होगी।

By Edited By: Publish:Sun, 11 Oct 2020 07:50 PM (IST) Updated:Mon, 12 Oct 2020 02:07 PM (IST)
तीन माह जिला अस्पतालों में ड्यूटी करेंगे पीजी छात्र, तभी बैठने दिया जाएगा अंतिम वर्ष की परीक्षा में
तीन माह जिला अस्पतालों में ड्यूटी करेंगे पीजी छात्र।

देहरादून, जेएनएन। चिकित्सा की पढ़ाई में अब शुरुआत से ही व्यावहारिक ज्ञान और अनुभव को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसी के तहत पीजी करने वाले सभी चिकित्सकों को इस साल से पढ़ाई के साथ ही जिला अस्पताल में तीन माह तक अनिवार्य सेवा देनी होगी। तभी उन्हें अंतिम वर्ष की परीक्षा में बैठने के योग्य माना जाएगा। 

मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स ने इस कार्यक्रम को जिला रेजीडेंसी कार्यक्रम (डीआरपी) नाम दिया है। यह तीसरे, चौथे या पाचवें सेमेस्टर में लागू होगा। नए बदलाव के तहत जिला अस्पताल में तैनात होने के बाद मेडिकल छात्र को प्रशिक्षण के लिए वरिष्ठ चिकित्सकों की निगरानी में रखा जाएगा। वह ओपीडी, आपातकालीन, आइपीडी के अलावा रात में भी ड्यूटी देंगे। इस रोटेशन के तहत जिला अस्पताल को पहले से मेडिकल छात्रों की सूची उपलब्ध करा दी जाएगी, जिससे उन्हें यह पता रहे कि कौन-कौन छात्र उनके यहा सेवाएं देने वाले हैं। 
प्रशिक्षण हासिल करने वाले पीजी चिकित्सक को जिला रेजीडेट के नाम से जाना जाएगा। अपर निदेशक चिकित्सा शिक्षा डॉ. आशुतोष सयाना के अनुसार इस व्यवस्था का फायदा यह होगा कि जिला अस्पतालों में इमरजेंसी ड्यूटी, वार्ड ड्यूटी और ओपीडी के लिए डॉक्टर मिल जाएंगे। यह प्रयोग सफल रहा तो आगे चलकर प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में भी पीजी डॉक्टरों को तीन से छह महीने के लिए पदस्थ किया जाएगा।
इसका मकसद यह है कि पीजी डॉक्टर स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों को अच्छे से समझ सकें। इसका फायदा यह होगा कि पीजी के बाद अनिवार्य सेवा बंधपत्र या सरकारी सेवा के तहत उन्हें बीमारियों, अस्पतालों में संसाधन और अन्य हालातों का ज्ञान रहेगा। पीजी डॉक्टरों को इस अवधि के दौरान वही वेतन और स्टाइपेंड मिलेगा, जो उन्हें उनके मेडिकल कॉलेजों में मिलता था, लेकिन वेतन उनकी उपस्थिति पर निर्भर करेगा। मेडिकल कॉलेजों को उपस्थिति का रिकॉर्ड जिला प्रशासन की ओर से भेजा जाएगा।
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