पंडित नेहरू का योगदान देश के निर्माण में सर्वाधिक : संजय किशोर

सोमवार को कांग्रेसियों ने देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की जयंती पर चित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर जिलाध्यक्ष कांग्रेस संजय किशोर ने कहा कि आजाद भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का योगदान इस देश के निर्माण में सर्वाधिक है।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Tue, 17 Nov 2020 09:01 AM (IST) Updated:Tue, 17 Nov 2020 09:01 AM (IST)
पंडित नेहरू का योगदान देश के निर्माण में सर्वाधिक : संजय किशोर
विकासनगर के तिलक भवन में नेहरु जयंती पर पुष्पाजंलि अर्पित करते कांग्रेस कार्यकर्त्‍ता।

विकासनगर, जेएनएन। नगर के तिलक भवन में सोमवार को कांग्रेसियों ने देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की जयंती पर चित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर जिलाध्यक्ष कांग्रेस संजय किशोर ने कहा कि आजाद भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का योगदान इस देश के निर्माण में सर्वाधिक है। उन्होंने कठिन परिश्रम कर इस देश की स्वतंत्रता की महात्मा गांधी के साथ मिलकर लड़ाई लड़ी। पंडित नेहरू ने देश की बागडोर उन विषम परिस्थितियों में संभालने का काम किया, जब विदेशी हुकूमत देश को लूट कर चली गई थी।

आज यह देश परमाणु संपन्न देश से लेकर एक विकासशील देश में सम्मिलित है, इसके पीछे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की सोच व पंडित जवाहरलाल नेहरू का नेतृत्व ही था। शहर अध्यक्ष शम्मी प्रकाश ने कहा पंडित नेहरू की बदौलत ही देश ने तरक्की की थी। इस अवसर पर प्रदेश कांग्रेस सचिव प्रेम प्रकाश अग्रवाल, नगर पालिका सभासद गिरीश सप्पल हनी, राजवीर सिंह, विशेष शर्मा, भूपेश उपाध्याय, लवलेश शर्मा, बलजीत सिंह, सदाकत अली जैदी, जमशेद अहमद, हरिओम कोहली आदि मौजूद रहे।

भारतीय संस्कृति का मूल मंत्र है वसुधैव कुटुम्बकम

अंतरराष्ट्रीय सहिष्णुता दिवस पर स्वामी चिदानंद सरस्वती ने संदेश दिया कि दुनिया की संस्कृतियों की समृद्धि, विविधता और सम्मान की अभिव्यक्ति के लिए यह दिवस मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य विभिन्न संस्कृतियों और व्यक्तियों के बीच सहिष्णुता का निर्माण करना है तथा दूसरों के अधिकारों और स्वतंत्रता सम्मान करना। सहिष्णुता न केवल एक नैतिक कर्तव्य है, बल्कि आज के युग की सबसे प्रमुख आवश्यकता भी है। स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि भारत प्राचीन काल से ही बहुत सारी भाषाओं, सांस्कृतियों, धर्मों और संप्रदायों से युक्त राष्ट्र है और भारतीय संस्कृति का मूल मंत्र ही वसुधैव कुटुंबकम तथा सहिष्णुता है, जो कि भारत की माटी के कण-कण में ही मिली हुई है। हमारी संस्कृति, संस्कार और स्वभाव की गहराईयों में ही सहिष्णुता समाहित है। 

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