वन निगम का 'सुपर अधिकारी', एक समय पर देहरादून और नैनीताल; जानिए

हम आपको सुपर अधिकारी के बारे में बताने जा रहे हैं। यह ऐसे अधिकारी हैं जो एक तरफ टूर पर नैनीताल होते हैं तो उसी दिन अपने कार्यालय में बैठकर हाजिरी भी बजाते हैं।

By Raksha PanthariEdited By: Publish:Mon, 23 Sep 2019 02:28 PM (IST) Updated:Mon, 23 Sep 2019 08:50 PM (IST)
वन निगम का 'सुपर अधिकारी', एक समय पर देहरादून और नैनीताल; जानिए
वन निगम का 'सुपर अधिकारी', एक समय पर देहरादून और नैनीताल; जानिए

देहरादून, सुमन सेमवाल। आपने सुपर मैन की कहानियां सुनी होंगी। अब हम आपको 'सुपर अधिकारी' के बारे में बताने जा रहे हैं। यह ऐसे अधिकारी हैं जो एक तरफ टूर पर नैनीताल होते हैं, तो उसी दिन अपने कार्यालय में बैठकर हाजिरी भी बजाते हैं। यकीन कर पाना वाकई मुश्किल है, मगर सरकारी रिकॉर्ड इस बात की पुष्टि कर रहे हैं। इस तरह के हैरतअंगेज कारनामा करने वाले यह महाशय उत्तराखंड वन विकास निगम के नियोजन और मूल्यांकन अधिकारी त्रिलोक चंद हैं। निगम में तमाम कार्यों का नियोजन और मूल्यांकन करते-करते ये अपने टूर का ऐसा अजब-गजब 'नियोजन' भी कर बैठे। उनका यह कारनामा आरटीआइ क्लब के महासचिव एएस धुन्ता की ओर से मांगी गई सूचना में खुला। 

आरटीआइ के रिकॉर्ड के अनुसार नियोजन और मूल्यांकन अधिकारी छह सितंबर 2016 को देहरादून से नैनीताल गए। सात सितंबर को भी वह नैनीताल में रहे और आठ सितंबर को वहां से मदकोट (पिथौरागढ़) चले गए। इसके बाद नौ सितंबर को वह मदकोट से देहरादून लौट आए। इस टूर (यात्रा) का उन्होंने निर्धारित यात्रा भत्ता भी प्राप्त किया। यहां तक तो बात समझ आती है, मगर उनके कार्यालय का हाजिरी रजिस्टर बताता है कि छह से नौ सितंबर को उन्होंने देहरादून में ही हाजिरी लगाई है। 

दूसरी तरफ दिलचस्प बात यह भी निकलकर आई तक छह सितंबर को जब वह नैनीताल रवाना हुए तो उनकी कार ने देहरादून में ही भ्रमण किया। इसके बाद अचानक से उनकी कार मदकोट चली गई और फिर नौ सितंबर को वह कार से देहरादून वापस आ गए। कार की यात्रा की यह जानकारी निगम कार्यालय की लॉगबुक में दर्ज है और बाकायदा इस पर विभिन्न स्थानों पर ईंधन भी भरवाया गया है। 

चार दिन में कार से किया 11 हजार किलोमीटर का सफर 

नियोजन और मूल्यांकन अधिकारी त्रिलोक चंद की कार की लॉगबुक बताती है कि छह सितंबर से नौ सितंबर के बीच उनकी कार ने देहरादून-नैनीताल-मदकोट और फिर देहरादून तक 11 हजार किलोमीटर से अधिक का सफर तय कर दिया। यह बात और है कि इस पूरी यात्रा की कुल दूरी 1500 किलोमीटर से भी कम है। 

पहले दी खाली लॉगबुक, फिर उसे भर दिया 

आरटीआइ में वन निगम ने पहले लॉगबुक की खाली प्रति उपलब्ध कराई, मगर जब इसकी शिकायत की गई तो दूसरी आरटीआइ में उसे भर दिया गया। 

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निगम एमडी और शासन से शिकायत 

आरटीआइ क्लब ने इस पूरे गड़बड़झाले की शिकायत वन विकास निगम के प्रबंध निदेशक (एमडी) और उत्तराखंड शासन से की है। प्रकरण में एमडी मोनिष मल्लिक का कहना है कि यह मामला गंभीर नजर आता है। इसकी जांच कराई जाएगी और जल्द नियमानुसार कार्रवाई होगी। 

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