एमडीडीए में अब दलालों का दखल बंद, पढ़िए पूरी खबर
एमडीडीए में अब दलालों का दखल बंद कर दिया गया है। इसके लिए प्राधिकरण में एक्सेस कंट्रोल सिस्टम लागू किया गया।
देहरादून, जेएनएन। मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) में अब दलालों का दखल बंद कर दिया गया है। इसके लिए प्राधिकरण में एक्सेस कंट्रोल सिस्टम लागू किया गया। इससे तीन फ्लोर के दरवाजे बाहरी लोगों के लिए नहीं खुलेंगे। जिनके फिंगर प्रिंट सिस्टम में मौजूद रहेंगे, वही दरवाजा खोल सकेंगे और इसका प्रयोग सिर्फ कार्मिक ही कर पाएंगे।
एमडीडीए के सभी प्रमुख अनुभागों में दलालों का दखल रहता है। किसी भी फाइल को वह खुलवा देते हैं और उसमें कार्मिकों से मिलीभगत कर छेड़छाड़ करने की भी बात सामने आती रही है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए एमडीडीए लंबे समय से एक्सेस कंट्रोल सिस्टम पर काम कर रहा था और अंतत: मंगलवार से इसे लागू कर दिया गया। इस व्यवस्था में दरवाजे सिर्फ फिंगर पंच करने पर ही खुलेंगे और इसका अधिकार कार्मिकों को ही दिया गया है। प्रथम तल पर यह व्यवस्था लागू नहीं रहेगी।
इस तल पर सभी प्रमुख अधिकारियों के कक्ष हैं और आम लोग यहां किसी भी समस्या के लिए आ सकते हैं। इसके बाद उन्हें यहीं से लौटना होगा और ऊपर के अन्य तलों पर जाने की उन्हें इजाजत नहीं होगी। इनमें दूसरे तल पर अभियंता बैठते हैं। तीसरे तल पर लिपिकीय संवर्ग के कार्मिकों समेत पीएमयू सेल है, जबकि चौथे तल पर विकास संबंधी कार्यों से संबंधित कार्मिक बैठते हैं। इस तरह इन फ्लोर पर अब अनावश्यक दखल बंद हो गया है।
कर्मचारियों की भी हो सकेगी मॉनिटरिंग
एक्सेस कंट्रोल सिस्टम फिंगर पंच के माध्यम से माध्यम से कर्मचारियों की मॉनिटङ्क्षरग भी हो सकेगी। इससे देखा जा सकेगा कि कौन कार्मिक कितनी बाहर बाहर गया है और कितनी बार अंदर आया है।
गलत नक्शे नहीं हो पाएंगे दाखिल
एमडीडीए ने लंबे समय तक नक्शे लंबित रखने की प्रथा से भी निजात पाने की तैयारी शुरू कर दी है। इसके लिए नक्शे दाखिल करने की प्रक्रिया को सीधे तौर पर ऑटोमैटिक डेवलपमेंट कंट्रोल रूल (एडीसीआर) सिस्टम से जोड़ा जा रहा है। जब भी कोई आर्किटेक्ट या अन्य व्यक्ति ऑनलाइन नक्शा दाखिल करता है और उसमें किसी तरह की त्रुटि होती है तो उसे सिस्टम स्वीकार ही नहीं करेगा।
अब तक की व्यवस्था में एमडीडीए अधिकारी पहले नक्शा स्वीकार करते हैं और फिर उसे जांच के लिए भेजते हैं। इस तरह कई दफा नक्शे लंबे समय तक लंबित रहते हैं और इससे अनावश्यक रूप से काम का बोझ बढ़ जाता है। दूसरी तरफ इस सिस्टम को निकट भविष्य में खसरा नंबर से भी जोड़ा जाएगा, ताकि तत्काल रूप से पता किया जा सके कि जिस निर्माण का नक्शा दाखिल किया गया है, उसका भूपयोग उसके अनुरूप है भी या नहीं। अब तक भी व्यवस्था में अलग से नक्शे को भूपयोग की जांच के लिए भेजा जाता है।
एमडीडीए ने 130 बीघा प्लॉटिंग ध्वस्त की
मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) ने अवैध प्लॉटिंग में लिप्त लोगों पर एक बार फिर कार्रवाई शुरू कर दी है। इस कड़ी में दो अलग-अलग क्षेत्रों में करीब 130 बीघा क्षेत्रफल पर की गई प्लॉटिंग को ध्वस्त कर दिया गया।
एमडीडीए सचिव जीसी गुणवंत ने बताया कि बिधौली क्षेत्र में पेट्रोलियम यूनिवर्सिटी रोड पर एमके गुप्ता ने 60 बीघा के आसपास के क्षेत्रफल पर अवैध प्लॉटिंग की थी। इसका चालान काटा गया था और भूस्वामी को अवैध प्लॉटिंग ध्वस्त करने के निर्देश दिए गए थे। इसके बाद भी अवैध प्लॉटिंग को ध्वस्त नहीं किया गया और प्लॉटिंग भी जारी रखने पर मंगलवार को प्लॉटिंग को डोजर लगाकर ध्वस्त कर दिया गया। वहीं, दूसरे प्रकरण में पौंधा क्षेत्र में नीम नदी के पास बीटीएस डेवलपर्स ने करीब 70 बीघा भूमि पर प्लॉटिंग कर दी थी। इसका ले-आउट भी पास नहीं था। इस मामले में भी भूस्वामियों ने स्वयं प्लॉटिंग को ध्वस्त नहीं किया। एमडीडीए की टीम ने इसे भी ध्वस्त कर दिया। ध्वस्तीकरण टीम में सहायक अभियंता एसएस रावत, अजय मलिक, बलबीर एस राणा आदि ने पुलिसबल के सहयोग से प्लॉटिंग को ध्वस्त कर दिया।
आदेश न मानने वाले 90 बिल्डरों की कटेगी आरसी
उत्तराखंड रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (रेरा) खुद पर लगे उस तमगे को हटाने की तैयारी में जुट गया है, जिसमें कहा जा रहा है कि यह सिर्फ आदेश जारी करने वाली एजेंसी बन गई है। क्योंकि बिल्डर रेरा का आदेश मानने को तैयार नहीं हैं और रेरा भी इस पर कुछ नहीं कर पा रहा। हालांकि, अब रेरा ने नाफरमानी करने वाले बिल्डरों की आरसी काटने की कार्रवाई शुरू कर दी है। हालिया आदेश में ही दो मामलों में रुद्रपुर के बिल्डर की आरसी काटने के लिए जिलाधिकारी को पत्र भेज दिया गया है।
आरसी काटने के यह आदेश रुद्रपुर में आवासीय परियोजना का निर्माण कर रहे शामिया इंटरनेशनल के खिलाफ 10 लाख रुपये से अधिक की राशि न लौटाने को लेकर जारी किया गया है। बिल्डर को 45 दिन के भीतर राशि लौटाने का आदेश दिया गया था। तय समय के भीतर इसका अनुपालन न करने रेरा ने इस दिशा में सख्त रुख अख्तियार किया।
रेरा अध्यक्ष विष्णु कुमार ने बताया कि अब तक 200 के करीब आदेश जारी किए जा चुके हैं। इसमें से करीब 90 मामलों में बिल्डरों को 45 दिन के भीतर निवेशकों की राशि लौटाने और पेनाल्टी जमा कराने को कहा गया था। यह अवधि अब बीत चुकी है। अब एक-एक कर बिल्डरों की आरसी काटी जाएगी। रेरा के पास स्टाफ की कमी है, इसके चलते भी आरसी काटने की दिशा में धीमी गति से आदेश जारी किए जा रहे हैं। दो और कार्मिकों की जल्द नियुक्ति की जानी है। इसके लिए निर्वाचन आयोग से अनुमति मांगी जा रही है। उम्मीद है कि जल्द स्वीकृति मिल जाएगी और 10 दिन के भीतर कार्मिकों की नियुक्ति कर दी जाएगी।
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