आतंकियों से मुठभेड़ में उत्तराखंड का एक और लाल शहीद

जम्मू-कश्मीर में आतंकियों से लोहा लेते हुए उत्तराखंंड का एक ओर लाल शहीद हो गया। चौथी गढ़वाल रायफल के नरेंद्र सिंह बिष्ट आंतकी मुठभेड़ में शहीद हो गए।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Wed, 16 Aug 2017 02:12 PM (IST) Updated:Wed, 16 Aug 2017 09:51 PM (IST)
आतंकियों से मुठभेड़ में उत्तराखंड का एक और लाल शहीद
आतंकियों से मुठभेड़ में उत्तराखंड का एक और लाल शहीद

देहरादून, [जेएनएन]: उत्तराखंड का एक और लाल जम्मू-कश्मीर में आतंकियों से लोहा लेते शहीद हो गया। देहरादून के सेलाकुई निवासी हवलदार नरेंद्र सिंह बिष्ट को उरी सेक्टर में बीते सात अगस्त को आतंकियों से मुठभेड़ के दौरान गोली लगी थी। जिसके बाद उन्हें जम्मू स्थित सैन्य अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां उन्होंने बुधवार सुबह अंतिम सांस ली। गुरुवार सुबह शहीद को अंतिम विदाई दी जाएगी। शहीद का शव देर रात उनके सेलाकुई स्थित आवास पर पहुंच गया था।  

मूलरूप से चमोली जिले में नारायणबगड़ ब्लॉक के नाखोली गांव निवासी हवलदार नरेंद्र सिंह बिष्ट का परिवार सेलाकुई में रहता है। वह कश्मीर के उरी सेक्टर में चौथी गढ़वाल राइफल में तैनात थे। सात अगस्त को आतंकियों से लोहा लेते हुए वह गंभीर रूप से जख्मी हो गए थे। बताया जा रहा है कि उनके सिर पर गोली लगी थी। सूबे के राज्यपाल डॉ. केके पाल ने शोक व्यक्त करते हुए दिवंगत आत्मा की शांति को प्रार्थना की। वहीं मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत व वित्त मंत्री प्रकाश पंत ने भी शहीद को श्रद्धांजलि दी है। 

सालभर में होना था रिटायर 

शहीद नरेंद्र एक साल बाद ही रिटायर होने वाले थे। वह अभी 26 जुलाई को ही दस दिन की छुट्टी पूरी कर वापस डयूटी पर गए थे। इस दौरान उन्होंने अपने गांव जाकर पूजा की। भगवान बद्रीनाथ के दर्शन भी किए। सात अगस्त को वह आतंकियों से मुठभेड़ में घायल हो गए। 11 अगस्त को पत्नी आशा व साला विशाल जम्मू स्थित सैनिक अस्पताल में उन्हें मिलने गए थे। किसी को इस बात का इल्म तक नहीं था कि आतंकियों से लोहा लेने वाला ये वीर जिंदगी की जंग हार जाएगा। 

घर में मचा कोहराम

नरेंद्र की शहादत की खबर पर उनके घर में कोहराम मचा हुआ है। वह अपने पीछे पत्नी आशा व दो बेटियों नेहा व निकिता को छोड़ गए हैं। पत्नी आशा का रो-रोकर बुरा हाल है। वहीं, शहीद की बेटियां यह नहीं समझ पा रही हैं कि यह एकाएक हुआ क्या। उनके घर पर ढांढस बंधाने वालों का तांता लगा है। शहीद के पैतृक गांव नाखोली से भी परिवार के कई लोग सेलाकुई पहुंच चुके हैं। 

सैन्य परंपरा का किया निर्वहन

उत्तराखंड की एक बड़ी आबादी राज्य की सैन्य परंपरा का निर्वहन कर रही है। यहां के वीर सपूत न केवल मातृभूमि की रक्षा में तैनात हैं, बल्कि शहादत देकर प्रदेश का नाम ऊंचा कर रहे हैं। शहीद नरेंद्र का परिवार भी इससे अछूता नहीं है। उनके पिता चंद्र ङ्क्षसह बिष्ट भी फौज से रिटायर्ड हैं। शहीद का परिवार 12 साल पहले यहां हरिपुर सेलाकुई में बस गया था। 

सीएम ने दी श्रद्धांजलि 

सेलाकुईं के हरिपुर में पहुंचकर सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने शहीद को श्रद्धांजलि अर्पित की। इस मौके पर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह, विधायक मुन्ना सिंह चौहान, सहदेव पुंडीर आदि भी मौजूद थे। 

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