इमरजेंसी में मेडिकल सर्टिफिकेट बनाने के नाम पर गड़बड़ी Dehradun News

दून अस्पताल की इमरजेंसी में मेडिकल सर्टिफिकेट बनाने के नाम पर गड़बड़ी सामने आई है। चिकित्सा अधीक्षक ने इमरजेंसी चिकित्सकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Sat, 19 Oct 2019 03:23 PM (IST) Updated:Sat, 19 Oct 2019 03:23 PM (IST)
इमरजेंसी में मेडिकल सर्टिफिकेट बनाने के नाम पर गड़बड़ी Dehradun News
इमरजेंसी में मेडिकल सर्टिफिकेट बनाने के नाम पर गड़बड़ी Dehradun News

देहरादून, जेएनएन। दून अस्पताल की इमरजेंसी में मेडिकल सर्टिफिकेट बनाने के नाम पर गड़बड़ी सामने आई है। चिकित्सा अधीक्षक ने इमरजेंसी चिकित्सकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

दून अस्पताल में निजी मेडिकल सर्टिफिकेट की फीस डेढ़ सौ रुपये है। इसमें 75 रुपये मेडिकल जारी करने वाले डॉक्टर को मिलते हैं। जबकि 75 रुपये राज्य सरकार के खाते में जाते हैं। इरमरजेंसी में प्रतिदिन औसतन 25 मेडिकल बनते हैं। जिसमें से लगभग 15 मामले निजी मेडिकल सर्टिफिकेट लीगल केस से संबंधित रहते हैं। जो आमतौर पर झगड़े और मारपीट में चोटिल लोग या उनके परिजन कराते हैं। जबकि पुलिस द्वारा लाए गए केस और एक्सीडेंटल मरीज को कोई फीस नहीं देनी होती। 

इस तरह से अकेले इमरजेंसी से ही सरकार को हर महीने मेडिकल से लगभग 33.5 हजार रुपये का राजस्व मिलता है। इमरजेंसी में कुछ ईएमओ और स्टाफ द्वारा निजी मेडिकल लीगल केस के बजाय इसे एक्सीडेंट में दर्शाया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार इससे मरीजों या उनके परिजनों से पैसे वसूले जाते हैं।

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 चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा ने कहा कि इस तरह की कुछ शिकायतें मिली थी। इस पर उन्होंने 16 और 17 अक्टूबर का रिकार्ड तलब किया। 28 मेडिकल में से आठ ही एक्सीडेंट के केस थे। जबकि 20 प्राइवेट मेडिकल लीगल केस के थे। डॉ. टम्टा ने बताया कि इस पर इमरजेंसी में तैनात ईएमओ को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है।

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