..तो युवती की हत्या की जांच में हुई लापरवाही

राष्ट्रीय अनुसूचित जाति-जनजाति आयोग की सदस्य ने आरकेडियाग्रांट क्षेत्र की युवती की हत्या मामले में पुलिस-प्रशासन की कार्रवाई को कठघरे में खड़ा करते हुए कई सवाल उठाए।

By Edited By: Publish:Sat, 25 Jan 2020 03:00 AM (IST) Updated:Mon, 27 Jan 2020 03:20 PM (IST)
..तो युवती की हत्या की जांच में हुई लापरवाही
..तो युवती की हत्या की जांच में हुई लापरवाही

देहरादून, जेएनएन। राष्ट्रीय अनुसूचित जाति-जनजाति आयोग की सदस्य ने आरकेडियाग्रांट क्षेत्र की युवती की हत्या मामले में पुलिस-प्रशासन की कार्रवाई को कठघरे में खड़ा करते हुए कई सवाल उठाए। सदस्य ने पोस्टमार्टम करने वाले चिकित्सकों की भूमिका पर भी संदेह जताया है। इस मामले में उन्होंने डीजीपी, डीजी और एसएसपी के साथ बैठक कर दोबारा जांच कराने का निर्देश दिया।

बीती पांच जनवरी को गणेशपुर के पास एक युवती का शव मिला था। मृतका के स्वजनों का आरोप था कि कहीं और शादी तय होने पर प्रेमी ने ही उसकी हत्या कर दी। फिलहाल आरोपित जेल में है। राष्ट्रीय अनुसूचित जाति-जनजाति आयोग की सदस्य स्वराज विद्वान इस मामले की जांच के लिए देहरादून आई हुई हैं। गुरुवार को दून पहुंचने के बाद उन्होंने पुलिस के साथ घटनास्थल पर जाकर पड़ताल की थी।

शुक्रवार को बीजापुर गेस्ट हाउस में उन्होंने जिला प्रशासन की ओर से राहत कोष से जारी चार लाख 12 हजार रुपये का चेक पीड़ित परिवार को सौंपा। इस दौरान आयोग की सदस्य ने पत्रकारों से वार्ता भी की। उन्होंने मामले में पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए कहा कि युवती की दुष्कर्म के बाद हत्या की गई थी। 

वह अनुसूचित जाति से थी। इसके बावजूद मामले में दुष्कर्म और एससी/एसटी एक्ट की धारा नहीं जोड़ी गई। पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर संदेह जताते हुए कहा कि पंचनामा में पुलिस ने युवती के निजी अंग पर जख्म होने का जिक्र किया है। जबकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में इसका जिक्र नहीं किया गया। न ही दुष्कर्म को लेकर कोई जानकारी दी गई। उन्होंने कहा कि फिलहाल विसरा जांच की रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है। इसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।

सामूहिक दुष्कर्म के बाद हत्या की आशंका 

आयोग की सदस्य स्वराज विद्वान ने कहा कि घटनास्थल का दौरा करने के बाद पुलिस की यह थ्योरी उनके गले नहीं उतर रही कि उसी जगह पर आरोपित ने युवती की हत्या की। क्योंकि, जहां पर युवती का शव मिला, वहां दिन-रात वाहन आते-जाते रहते हैं। उन्होंने युवती के साथ सामूहिक दुष्कर्म के बाद उसकी हत्या किए जाने की आशंका जताई। जिला प्रशासन ने भी नहीं की मदद आयोग की सदस्य ने कहा कि पिता की मौत के बाद परिवार में युवती ही एकमात्र कमाने वाली थी। नियमानुसार ऐसी घटना सामने आने पर जिला प्रशासन को कम से तीन महीने का राशन पीड़ित परिवार को देना होता है। उन्होंने इस मामले में जिलाधिकारी से बात की है। जिलाधिकारी ने युवती की मां को नौकरी और घर देने का आश्वासन दिया है।

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दलित विधायकों पर भी किया कटाक्ष 

इस मामले में दलित विधायकों की चुप्पी पर भी आयोग की सदस्य ने कटाक्ष किया। उन्होंने कहा कि इन विधायकों को केवल अपना वोट बैंक दिखता है। विधायकों को डर रहता है कि आवाज उठाने से कहीं उनका वोट बैंक न खिसक जाए।

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