रोजगार के साथ स्वरोजगार के लिए भी खोले जाएं नए दरवाजे

रोजगार का मतलब सिर्फ सरकारी नौकरी नहीं है क्योंकि यहां अवसर बेहद सीमित हैं। ऐसे में शिक्षित और प्रशिक्षित युवाओं के लिए रोजगार के मौके कैसे आएंगे।

By Krishan KumarEdited By: Publish:Fri, 10 Aug 2018 06:00 AM (IST) Updated:Fri, 10 Aug 2018 06:00 AM (IST)
रोजगार के साथ स्वरोजगार के लिए भी खोले जाएं नए दरवाजे

एक दौर था, जब रोजगार की बात आती थी तो सभी की निगाहें सरकारी नौकरी की तरफ जम जाती थीं। आज भी सरकारी सेवा का मोह कम नहीं हुआ, मगर इसके इतर भी रोजगार के साथ ही स्वरोजगार के नए दरवाजे भी खुले हैं। सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की बात करें तो राज्य गठन के समय (वर्ष 2000) इंडस्ट्री सेक्टर (विनिर्माण क्षेत्र) की हिस्सेदारी महज 19.7 फीसद थी, जबकि आज यह बढ़कर 37.57 फीसद को पार कर गई है। इसी के अनुरूप रोजगार के साधन भी बढ़े हैं। अच्छी बात यह भी कि पिछली आर्थिक गणना के मुताबिक दून में रोजगार की उपलब्धता में 71.3 फीसद का इजाफा हुआ है। यह कहना है कि उद्योग निदेशक एससी नौटियाल का।

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रोजगार के सवाल पर एक और बात को भली-भांति समझना होगा कि इसका मतलब सरकारी नौकरी नहीं है। क्योंकि सरकारी नौकरी के अवसर बेहद सीमित हैं। नौकरी के लिए प्रशिक्षण एवं सेवायोजन निदेशालय के आंकड़ों पर गौर करें तो फरवरी 2018 तक दून में 1.76 लाख पंजीकरण हो चुके थे। इनमें 56 हजार से अधिक बेरोजगार अभ्यर्थी स्नातक हैं, जबकि 28 हजार से अधिक की संख्या स्नातकोत्तर अभ्यर्थियों की है। इन सभी शिक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को सरकारी नौकरी मिल पाना संभव नहीं। ऐसे में सवाल उठता है कि फिर इतनी बड़ी संख्या में शिक्षित और प्रशिक्षित युवाओं के लिए रोजगार के अन्य अवसर कैसे प्राप्त हो पाएंगे।

उद्योग निदेशक एससी नौटियाल इस बात का जवाब देते हुए कहते हैं कि न सिर्फ इंडस्ट्री सेक्टर में रोजगार के अवसर बढ़ रहे हैं, बल्कि स्वरोजगार की इच्छा रखने वाले युवाओं के लिए भी तमाम योजनाएं संचालित की जा रही हैं। स्टेट इंफ्रास्ट्रक्चर एंड इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन ऑफ उत्तराखंड लि. (सिडकुल) के आइटी पार्क आस्थान में 12 हजार 426 लोग नौकरी पा रहे हैं। साथ ही इसमें इजाफा भी हो रहा है। इसके अलावा अन्य इंडस्ट्री सेक्टर में करीब सात हजार लोग रोजगार पा रहे हैं। दून में बीते 18 सालों में कमर्शियल सेक्टर 100 फीसद बढ़ा है और इसी के अनुरूप कुशल और अद्र्ध कुशल लोगों को रोजगार भी मिला। हालांकि अभी स्वरोजगार की तमाम योजनाओं पर उतना प्रभावी ढंग से काम नहीं हो पाया, जिसकी जरूरत है।

दून में यह है रोजगार की चुनौती
जनगणना 2011 के अनुसार करीब 17 लाख की आबादी के सापेक्ष 4.48 लाख लोग ही पूर्णकालिक (12 महीने) रोजगार से जुड़े हैं, जबकि डेढ़ लाख के करीब लोग ऐसे हैं, जिन्हें 12 महीने काम नहीं मिल पाता। उद्योग निदेशक एससी नौटियाल के अनुसार स्नातकोत्तर या इसके समकक्ष की डिग्री हासिल कर चुके लोगों को भी अभी शत प्रतिशत रोजगार नहीं मिल पाया है। यह आंकड़ा अभी भी 50 फीसद के करीब सिमटा है। ऐसे में रोजगार देने से अधिक स्वरोजगार से साधन उपलब्ध कराने पर बल देने की जरूरत है।

रोजगार की यह है तस्वीर (पूर्णकालिक)

शैक्षिक स्तर    आबादी          रोजगार       फीसद
10-12वीं      3.63 लाख     1.28 लाख   35.28
डिप्लोमा       79.98 हजार   3.81 हजार   47.64
स्नातक        2.34 लाख     1.09 लाख    46.67
स्नातकोत्तर   35.65 हजार  18.13 हजार  50.87

पंजीकृत बेरोजगारों की संख्या
महिला : 82,624
पुरुष : 93,730
कुल : 1,76,354

इन योजनाओं से बढ़ेगा रोजगार
स्टार्ट-अप एवं स्टैंड-अप उद्यमिता विकास योजना: जून 2017 में उत्तराखंड स्टार्ट-अप योजना लागू की गई। योजना को प्रभावी रूप से लागू करने व युवाओं को लाभ देने के लिए इन्वेस्टमेंट प्रमोशन एजेंसी 'इन्वेस्ट इंडिया' के साथ एमओयू किया गया है। वहीं, स्टैंड-अप योजना में हर बैंक शाखा को कम से कम एक अनुसूचित जाति/जनजाति व एक महिला उद्यमी को 10 लाख से एक करोड़ रुपये तक ऋण दिया जाएगा। दूसरी तरफ स्टार्ट-अप पॉलिसी 2018 के तहत 500 नए स्टार्ट-अप उद्योग स्थापित किए जाएंगे।

प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम
कार्यक्रम के अंतर्गत 16 करोड़ रुपये की मार्जिन मनी को वित्तीय वर्ष 2017-18 में तीन गुना बढ़ाकर 48 करोड़ रुपये किया गया। इस गति को इसी तरह बढ़ाए रखने की जरूरत है।

ईज ऑफ डूइंग बिजनेस
भारत सरकार की रैंकिंग में वर्ष 2016 में राज्य की उपलब्धि 96.13 फीसद रही और इसके बाद राज्य को लीडर श्रेणी में रखा गया।

ब्याज उपादन योजना
व्यक्तिगत उद्यमियों को स्वरोजगार स्थापित करने के लिए अधिकतम पांच लाख रुपये तक वित्त पोषण की व्यवस्था है। यह ऋण महज चार फीसद ब्याज पर दिया जाता है। छोटे कारोबार को गति देने के लिए योजना लाभकारी साबित हो रही है।

स्टेट रिसोर्स सेंटर
देहरादून स्थित स्टेट रिसोर्स सेंटर में बेरोजगोरों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए विभिन्न माध्यमों से काउंसिलिंग आदि के कार्य किए जा रहे हैं।

उत्तराखंड कौशल विकास समिति
वर्ष 2020 तक कुल एक लाख युवाओं को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य रखा गया है। दून पर विशेष फोकस किया गया है। समिति ने बेहतर कार्य किया तो स्वरोजगार की दिशा में कई कीर्तिमान स्थापित किए जा सकते हैं।

इनसे भी बढ़ेंगे रोजगार के अवसर
रोजगार अधिष्ठान, शिक्षण एवं मार्गदर्शन केंद्र, करियर काउंसिलिंग सेंटर कंसल्टिंग वर्क, ट्राइबल सब प्लान, स्पेशल कंपोनेंट प्लान, कौशल विकास, उत्तराखंड कौशल विकास मिशन आदि।

एससी नौटियाल, उद्योग निदेशक

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