देहरादून के इस ट्रस्ट का सिर्फ एक ही लक्ष्य, समाज के आखिरी व्यक्ति तक पहुंचे स्वास्थ्य सुविधा

समाज के आखिरी व्यक्ति तक स्वास्थ्य सुविधा पहुंचे इसके लिए 1990 में रुरल डेवलपमेंट इंस्टिट्यूट और 1994 में हिमालयन अस्पताल की स्थापना की।

By Krishan KumarEdited By: Publish:Thu, 13 Sep 2018 06:00 AM (IST) Updated:Thu, 13 Sep 2018 06:00 AM (IST)
देहरादून के इस ट्रस्ट का सिर्फ एक ही लक्ष्य, समाज के आखिरी व्यक्ति तक पहुंचे स्वास्थ्य सुविधा

विषम भूगोल वाले उत्तराखंड में शिक्षा और स्वास्थ्य से जुड़े मसलों को लेकर भले ही प्रयास हुए हैं, लेकिन अभी बहुत किया जाना बाकी है। इसके लिए केवल सरकार के भरोसे ही नहीं रहा जा सकता, हर स्तर पर गंभीर प्रयासों की जरूरत है। इसी को ध्यान में रखते हुए प्रसिद्ध योगसाधक डॉ. स्वामीराम ने राज्य में बेहतर स्वास्थ्य सुविधा के मद्देनजर प्रेम, सेवा व समर्पण की मूलभावना के उद्देश्य से विश्व स्तरीय चिकित्सा संस्थान का सपना देखा। परिणाम स्वरूप 1989 में उन्होंने जौलीग्रांट (देहरादून) में हिमालयन इंस्टिट्यूट हॉस्पिटल ट्रस्ट (एचआईएचटी) की स्थापना की। इसके साथ ही समाज के आखिरी व्यक्ति तक स्वास्थ्य सुविधा पहुंचे इसके लिए 1990 में रुरल डेवलपमेंट इंस्टिट्यूट (आरडीआई) और 1994 में हिमालयन अस्पताल की स्थापना की।

यही नहीं, प्रदेश में डॉक्टरों की कमी को महसूस करते हुए उनके प्रयासों से 1995 में मेडिकल कॉलेज अस्तित्व में आया। फिर तो एचआइएचटी ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और स्वास्थ्य व शिक्षा के क्षेत्र में कई आयाम स्थापित किए और कर रहा है। यही नहीं, ट्रस्ट की अध्यक्षीय समिति के सदस्य और स्वामीराम हिमालयन यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. विजय धस्माना की अगुवाई में यह ट्रस्ट अपने सामाजिक उत्तरदायित्व का भी बखूबी निर्वहन कर रहा है।

साक्षरता की अलख जगाता एसआरएचयू 
पहाड़ के गांवों से निरंतर हो रहे पलायन के पीछे शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव भी एक बड़ा कारण है। इसे देखते हुए सामाजिक जिम्मेदारी का निर्वहन करते हुए स्वामीराम हिमालयन यूनिवर्सिटी ने डॉ.स्वामीराम के पैतृक गांव तोली पौड़ी में पॉलीटेक्निक का संचालन वर्तमान सत्र से शुरू कर दिया है। साथ ही साक्षरता को लेकर मुहिम छेड़ी है। स्वामीराम हिमालयन विश्वविद्यालय में विभिन्न पाठ्यक्रमों में निर्धन विद्यार्थियों निशुल्क शिक्षा दी जा रही है। साथ ही निर्धन व मेधावी छात्रों को सालाना करोड़ों रुपये की छात्रवृति दी जाती है।

हर साल 500 से ज्यादा स्वास्थ्य शिविर 
हिमालयन हॉस्पिटल के चिकित्सक और नर्सिंग स्टाफ सेवा भाव से राज्यभर में स्वास्थ्य शिविर आयोजित करते हैं। हर साल ही 500 से ज्यादा स्वास्थ्य शिविर विभिन्न स्थानों पर लगाए जाते हैं, जिनमें रोगियों को निशुल्क चिकित्सकीय परामर्श व जांच के साथ ही दवाइयां भी मुहैया कराई जाती हैं।

सरकारी अस्पतालों की जिम्मेदारी भी ली 
हिमालयन हॉस्पिटल की उत्कृष्ट स्वास्थ्य सेवाओं का ही नतीजा है उत्तराखंड सरकार ने अपने कुछ स्वास्थ्य केंद्रों के संचालन की जिम्मेदारी उसे सौंपी है। इस कड़ी में हिमालयन हॉस्पिटल डोईवाला सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में सेवा दे रहा है। इसके अलावा अब टिहरी के जिला चिकित्सालय सहित देवप्रयाग व बेलेश्वर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के संचालन की जिम्मेदारी भी उस पर है।

दून में कैंसर पैलिएटिव केयर सेंटर 
एचआईएचटी के कैंसर रिसर्च इंस्टिट्यूट में न सिर्फ कैंसर रोगियों का उपचार होता है, बल्कि समय-समय पर जागरुकता अभियान भी चलाए जाते हैं। इसी कड़ी में देहरादून में रोटरी क्लब के सहयोग से कैंसर पैलिएटिव केयर सेंटर का संचालन किया जा रहा है।

325 गांवों में पीने योग्य पानी 
ट्रस्ट ने ग्रामीण क्षेत्रों के उत्थान के लिए 1990 में रूरल डेवलेपमेंट इंस्टिट्यूट का गठन किया गया। इसके वॉटर एंड सेनिटेशन विभाग की ओर से 1998 से पेयजल व स्वच्छता अभियान की शुरुआत की गई। इसका नतीजा है कि आज 325 गांवों को पीने युक्त जल उपलब्ध करवाया जा रहा है। साथ ही 245 पेयजल योजनाओं के तहत 600 अधिक वर्षा जल संग्रहण के लिए टैंकों का निर्माण करवाया गया। यही नहीं, प्रणब मुखर्जी फाउंडेशन के साथ मिलकर पहाड़ के 20 गांवों को स्मार्ट विलेज के तौर पर विकसित करने की मुहिम भी शुरू की गई है।

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