काल बन रहे फंदे, टहनियों के बीच फंसने से मादा गुलदार की मौत

देर रात मसूरी वन प्रभाग के रायपुर रेंज में कृषाली गांव में पेड़ की दो टहनियों के बीच गुलदार फंस गया। उपचार के लिए ले जाने से पहले ही गुलदार ने दम तोड़ दिया।

By BhanuEdited By: Publish:Thu, 27 Dec 2018 01:20 PM (IST) Updated:Thu, 27 Dec 2018 01:20 PM (IST)
काल बन रहे फंदे, टहनियों के बीच फंसने से मादा गुलदार की मौत
काल बन रहे फंदे, टहनियों के बीच फंसने से मादा गुलदार की मौत

देहरादून, जेएनएन। देर रात मसूरी वन प्रभाग के रायपुर रेंज में कृषाली गांव में पेड़ की दो टहनियों के बीच गुलदार फंस गया। सूचना पर मौके पर पहुंची वन विभाग की टीम ने गुलदार को ट्रैंकुलाइज कर निकाला, लेकिन उपचार के लिए ले जाने से पहले ही गुलदार ने दम तोड़ दिया। वन विभाग की टीम ने पोस्टमार्टम के बाद मालसी जू में ही गुलदार के शव को जला दिया। 

वन क्षेत्र अधिकारी रायपुर सुभाष वर्मा ने बताया कि गुलदार पांच साल की मादा थी और गर्भवती थी। गुलदार की मौत हार्ट फेल होने से बताई जा रही है। जानकारी के मुताबिक, वन विभाग को रात को करीब दस बजे सूचना मिली कि रायपुर रेंज के कृषाली गांव में ऊषा कॉलोनी के पीछे एक गुलदार टहनियों के बीच फंस गया है। 

सूचना पर वन क्षेत्राधिकारी सुभाष शर्मा के नेतृत्व में डॉ. राकेश नौटियाल, रवि जोशी, उमाशंकर, विजय कुमार, अरशद की टीम मौके पर पहुंची। इसके बाद डॉ. राकेश ने गुलदार को ट्रैंकुलाइज किया और टहनियों के बीच से निकाला। इससे पहले कि गुलदार को इलाज के लिए मालसी जू ले जाया जाता, उसकी मौत हो गई। डॉ. अदिति के नेतृत्व में डॉक्टरों की तीन सदस्यीय टीम ने गुलदार का पोस्टमार्टम कर शव को जू में ही जला दिया।

गुलदार के लिए काल बन रहे फंदे

रात को भले ही पेड़ की दो टहनियों के बीच फंसने से गुलदार की मौत हुई हो, लेकिन राजधानी में जंगली जानवरों के लिए शिकारियों के फंदे भी काल बन रहे हैं। नवंबर में आइएमए के अंदर क्लच वायर में फंसने से एक गुलदार की मौत हो गई थी। जबकि बीते सोमवार को रायपुर रेंज के राजेश्वर कॉलोनी में भी जंगली जानवरों के लिए लगाए गए फंदे में फंसने से एक गुलदार बुरी तरह जख्मी हो गया। आबादी क्षेत्र में लगातार गुलदारों की धमक और उनके फंदे में फंसने के घटनाओं ने वन विभाग की गश्त पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।

जंगलों के लगातार कटान और शिकार की कमी के चलते वन्य जीव लगातार आबादी वाले क्षेत्रों में धमक रहे हैं। राजधानी दून में भी जंगली जानवरों खासकर गुलदार के आबादी क्षेत्रों में घुसने की घटनाएं भी लगातार बढ़ती जा रही है। इसी साल इस प्रकार की छह घटनाएं सामने आ चुकी हैं। जानवरों से बचाव व उन्हें पकड़ने के लिए लोग जगह-जगह फंदे लगा रहे हैं। यहीं फंदे गुलदारों के लिए मौत का कारण बन रहे हैं। 

गुलदार के फंदे में फंसने की इस साल दो घटनाएं सामने आ चुकी हैं। जिसमें एक गुलदार की मौत, जबकि एक गुलदार जख्मी हो गया। पहली घटना 14 नवंबर को आइएमए में हुई थी। जहां जानवरों के लिए लगाए गए क्लच वायर के फंदे में फंसने से एक गुलदार की मौत हो गई। विगत 24 दिसंबर को रायपुर रेंज के राजेश्वर नगर फेस वन में भी एक गुलदार फंदे में फंस कर जख्मी हो गया था। 

वहीं, गुलदारों के लगातार आबादी वाले इलाकों में दस्तक के बाद भी वन विभाग सोया हुआ है। जंगल से सटे हुए क्षेत्रों में गश्त के विभाग के दावे लगातार फेल होते जा रहे हैं। डीएफओ दून राजीव धीमान का कहना है कि कर्मचारियों को जंगल से सटे आबादी वाले क्षेत्रों में रात को लगातार गश्त के निर्देश दिए गए हैं। कहा कि गश्त में लापरवाही बरतने वाले कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

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