पद्म पुरस्कार 2022 : जानिए कौन हैं डा. माधुरी बड़थ्वाल, जिन्‍हें भारत सरकार ने दिया पद्मश्री सम्‍मान

लोक संगीत के संरक्षण और प्रचार के लिए केंद्र सरकार ने डा माधुरी बड़थ्‍वाल को चुना है। आल इंडिया रेडियो में पहली महिला संगीतकार में रूप में डा. माधुरी जानी जाती हैं। डा. माधुरी को वर्ष 2019 में अंतराष्ट्रीय महिला दिवस पर नारी शक्ति पुरस्कार से नवाजा गया था।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Tue, 25 Jan 2022 09:52 PM (IST) Updated:Tue, 25 Jan 2022 09:52 PM (IST)
पद्म पुरस्कार 2022 : जानिए कौन हैं डा. माधुरी बड़थ्वाल, जिन्‍हें भारत सरकार ने दिया पद्मश्री सम्‍मान
लोक संगीत के संरक्षण और प्रचार के लिए निरंतर कार्य कर रहीं डा. माधुरी बड़थ्वाल को पद्मश्री से नवाजा जाएगा।

जागरण संवाददाता, देहरादून। उत्तराखंड के लोक संगीत के संरक्षण और प्रचार के लिए वर्षों से निरंतर कार्य कर रहीं डा. माधुरी बड़थ्वाल को पद्मश्री से नवाजा जाएगा। केंद्र सरकार की ओर से उन्हें पदम सम्मान के लिए चुना गया। डा. माधुरी बड़थ्वाल आल इंडिया रेडियो नबीबाजाद में पहली महिला संगीतकार रहीं। यहीं से उन्होंने लोक संगीत के संरक्षण को प्रयास शुरू किए। आज महिलाओं को गायन, वादन में प्रेरित करने के साथ ही प्रशिक्षण भी दे रहीं हैं।

मूल रूप से पौड़ी जिले के यमकेश्वर के चाय दमराड़ा निवासी डा. माधुरी बड़थ्वाल वर्तमान में देहरादून के बालावाला में रहती हैं। पिता चंद्रमणि उनियाल स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे, ऐसे में उनकी प्रारंभिक शिक्षा लैंसडौन में ही हुई। बचपन से ही संगीत से लगाव रखने वाली माधुरी ने 1969 में राजकीय इंटर कालेज लैंसडौन से हाईस्कूल करने के बाद इसी स्कूल में संगीत की शिक्षिका के रूप में सेवा दी। इसके बाद इलाहाबाद संगीत समिति से संगीत का प्रशिक्षण लिया। उन्होंने आगे की पढ़ाई प्राइवेट से जारी रखी। आगरा यूनिवर्सिटी से संगीत में डिग्री, रुहेलखंडी यूनिवर्सिटी से हिंदी से एमए करने के बाद वर्ष 2007 में उन्होंने केंद्रीय गढ़वाल विश्वविद्यालय श्रीनगर गढ़वाल से पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। वर्ष 2019 में अंतराष्ट्रीय महिला दिवस पर उन्हें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने नारी शक्ति पुरस्कार से नवाजा।

रूढ़ीवादी परंपराओं को तोड़ने का प्रयास

डा. माधुरी बड़थ्वाल ने दैनिक जागण से बातचीत में बताया कि स्कूल के दिनों से ही उनका संगीत से लगाव था, लेकिन उस समय लोग लड़कियों का गाना बजाना बुरा मानते थे। इसके बाद उन्होंने ठान लिया कि महिलाओं को संगीत में आगे बढ़ाने के लिए कुछ प्रयास खुद से करना होगा। पढ़ाई जारी रखने के साथ ही खाली वक्त में आकाशवाणी नजीबाबाद के लिए भी संगीत का कार्य किया। यहां से प्रसारित होने वाले 'धरोहर' के माध्यम से उन्होंने लोकगाथा, गीत, संगीत का प्रचार किया। रूढ़ीवादी परंपराओं को तोड़ने के लिए उन्होंने 'मनु लोक सांस्कृतिक धरोहर संवर्धन संस्थान' मांगल टीम बनाई। वर्तमान में वह देहरादून स्थित आवास पर भी बालिकाओं व महिलाओं को वादन, गायन का प्रशिक्षण दे रही हैं।

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