उत्तराखंड के सिंचाई विभाग ने गंवाई सभी जल विद्युत परियोजनाएं, जानिए वजह

सिंचाई विभाग से बीते बीस साल में एक-एक कर सभी जल विद्युत परियोजनाएं छिन गईं। यह अपने आप में कई सवाल खड़े करती है।

By Raksha PanthariEdited By: Publish:Sun, 17 May 2020 06:12 PM (IST) Updated:Sun, 17 May 2020 06:12 PM (IST)
उत्तराखंड के सिंचाई विभाग ने गंवाई सभी जल विद्युत परियोजनाएं, जानिए वजह
उत्तराखंड के सिंचाई विभाग ने गंवाई सभी जल विद्युत परियोजनाएं, जानिए वजह

देहरादून, जेएनएन। उत्तराखंड के सिंचाई विभाग से बीते बीस साल में एक-एक कर सभी जल विद्युत परियोजनाएं छिन गईं। यह अपने आप में कई सवाल खड़े करती है। आखिर ऐसा क्या हुआ कि सरकार को परियोजनाएं उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड को सौंपनी पड़ गईं। हालात यह हैं कि अब सिंचाई विभाग के पास नहर, बांध और प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत होने वाले काम ही बचे हैं।

हाल ही में आराकोट-त्यूणी और त्यूणी-पलासू जल विद्युत परियोजना सिंचाई विभाग से लेकर उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड (यूजेवीएनएल) को सौंप दी गई। यह दोनों परियोजनाएं वर्ष 2008 में सिंचाई विभाग को मिली थीं। मगर 12 साल सिंचाई विभाग इन परियोजनाओं की डीपीआर तैयार करने में ही लगा दिए। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि जब कागजी कोरम पूरा करने में एक दशक से अधिक का वक्त लगा तो निर्माण का काम कितने समय में पूरा होगा। यह तो केवल दो परियोजनाओं का हाल रहा, इससे पूर्व जिन नौ परियोजनाओं को सिंचाई विभाग से लेकर यूजेवीएनएल को दिया गया है, उसमें भी कहीं न कहीं कामकाज में लेटलतीफी एक बड़ा कारण रही।

कर्मचारी संगठन करते रहे विरोध

राज्य गठन के वक्त जब नौ जल विद्युत परियोजनाएं यूजेवीएनएल को दी गईं तो सिंचाई विभाग कर्मचारी महासंघ और डिप्लोमा इंजीनियर महासंघ ने कड़ा विरोध किया। इसे देखते हुए वर्ष 2008 में आराकोट-त्यूणी और त्यूणी-पलासू जल विद्युत परियोजना का काम सिंचाई विभाग को दिया गया था। लेकिन अब यह भी उससे छिन गई। ऐसे में कर्मचारी संगठन एक बार फिर आंदोलन की चेतावनी देने लगे हैं।

नहीं किया गया काम का आकलन

वर्ष 2010 में चीला जल विद्युत परियोजना सिंचाई विभाग से छीन ली गई तो इसका भी कड़ा विरोध हुआ था। तत्कालीन सिंचाई मंत्री मातवर सिंह कंडारी और प्रमुख सचिव सिंचाई अमरेंद्र सिंह ने कर्मचारी संगठनों ने मुलाकात की थी। तब यह तय हुआ था कि परियोजना पर सिंचाई विभाग और यूजेवीएनएल के काम की मासिक समीक्षा होगी। इसके लिए एक समिति गठित की जाएगी। समीक्षा में आए नतीजों के आधार पर आगे निर्णय लिया जाएगा, लेकिन हैरानी की बात यह कि दस साल गुजर जाने के बाद भी यह आकलन हुआ ही नहीं।

सिविल वर्क सिंचाई विभाग को मिले

सिंचाई विभाग कर्मचारी महासंघ के प्रांतीय महामंत्री पूर्णानंद नौटियाल व डिप्लोमा इंजीनियर महासंघ के प्रांतीय अध्यक्ष इ. हरीश चंद्र नौटियाल ने कहा कि परियोजनाओं में सिविल वर्क का काम सिंचाई विभाग को दिया जाए। इससे कर्मचारियों के कार्य की गुणवत्ता बनी रहेगी। संगठनों ने इसे लेकर पिछले दिनों सिंचाई मंत्री सतपाल महराज से भी मुलाकात की थी।

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सिंचाई विभाग से छिनी जल विद्युत परियोजनाएं

जल विद्युत परियोजना, ऊर्जा उत्पादन क्षमता (मेगावाट में), नदी पर स्थित

ढालीपुर, 0.51,यमुना

ढकरानी, 33.75,यमुना

खारा,      72,    यमुना

छिबरो,    240,  टोंस

खोदरी,    120,  टोंस

कुल्हाल,   30,  आसन

गढ़वाल-ऋषिकेश,144,भागीरथी

मनेरी-भाली प्रथम,90,भागीरथी

मनेरी-भाली द्वितीय,304,भागीरथी

सिंचाई के प्रमुख अभियंता मुकेश मोहन ने बताया कि जल विद्युत परियोजनाएं यूजेवीएनएल को देना सरकार का निर्णय है। जहां तक कामकाज की बात है तो विभाग ने उत्तराखंड में जल विद्युत उत्पादन को नई ऊंचाई पर पहुंचाया है।

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