विभागों के नकारा कर्मचारी, सभी विभागों को भेजा रिमाइंडर
सरकार ने जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाते हुए भ्रष्ट व नाकारा कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाने का निर्णय लिया। कार्मिक विभाग ने फिर सभी विभागों को रिमाइंडर भेजा है।
देहरादून, विकास गुसाईं। सरकार ने जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाते हुए भ्रष्ट व नाकारा कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाने का निर्णय लिया। विभागाध्यक्षों को जिम्मेदारी दी गई कि 50 वर्ष से अधिक आयु के ऐेसे कर्मचारियों की सूची तैयार कर शासन को सौंपें। मकसद यह कि शासन स्तर पर ऐसे कर्मचारियों के सेवाकाल का इतिहास तलाशते हुए इनसे जवाब तलब किया जाए। जिन पर गंभीर आरोप हों और इतिहास भी ठीक न हो, उन्हें अनिवार्य सेवानिवृति दी जा सके। इसके लिए कर्मचारियों की श्रेणी के हिसाब से विभाग व शासन स्तर पर भी समितियां बनाने को कहा गया। सरकार का आदेश मिलते ही विभागों में इन सूचियों को बनाने का काम शुरू हुआ, लेकिन जाने क्यों कुछ दिनों बाद ही इससे नजरें फेर ली गईं। जब काफी समय तक विभागों से इसकी सूचना नहीं मिली तो कार्मिक विभाग ने फिर सभी विभागों को रिमाइंडर भेजा। बावजूद इसके विभाग इसमें गंभीरता नहीं दिखा रहे हैं।
कब बदलेंगे पुराने कानून
प्रदेश सरकार ने जेलों में कैदियों के रहन सहन और सुधार संबंधी वर्षों पुराने कानूनों को बदलने का निर्णय लिया। यह निर्णय स्वयं का नहीं बल्कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद केंद्र सरकार द्वारा दिए इसे लागू करने के संबंध में भेजे गए पत्र के बाद लिया गया। पुराने कानूनों का अध्ययन करने के लिए बाकायदा अपर सचिव गृह की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति का गठन किया गया, जिसमें अपर सचिव न्याय व महानिरीक्षक जेल को शामिल किया। उम्मीद जताई गई कि समिति वर्षों पुराने कानूनों के स्थान पर मॉडल जेल मैनुअल को जगह देगी। उम्मीद जगी कि इससे जेलों में निर्धारित क्षमता से अधिक बंद किए गए कैदियों की दुर्दशा कुछ सुधर सकेगी। जेलों से संचालित हो रहे अपराधिक संगठनों पर भी नकेल कसी जा सकेगी। समिति की यह संस्तुति कैबिनेट के समक्ष सौंपी जानी थी। अफसोस, अभी तक इस समिति की रिपोर्ट तैयार नहीं हो पाई है।
डीबीटी भी अधर में
लगातार घाटे में चल रहे निगम ने मुफ्त यात्रा के स्थान पर डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) योजना शुरू करने का खाका खींचा। मकसद यह कि निगम को जरूरत के वक्त पैसा मिल सके। मामला कैबिनेट तक पहुंचा लेकिन उसके बाद से ही इस पर आगे कोई कार्यवाही नहीं हो पाई है। दरअसल, परिवहन निगम में इस समय विभिन्न योजनाओं के तहत मुफ्त यात्रा का प्रविधान है। इसके तहत विधायकों, मान्यता प्राप्त पत्रकारों, स्कूली छात्राओं, वरिष्ठ नागरिक इत्यादि निगम की बसों में मुफ्त यात्रा करते हैं। निगम को इसका भुगतान सरकार द्वारा किया जाता है लेकिन यह कभी समय पर नहीं मिलता। ऐसे में निगम ने योजना बनाई कि जिन्हें भी मुफ्त यात्रा का लाभ दिया जा रहा है, पहले उनसे किराया लिया जाए और बाद में किराये का यह पैसा उनके एकाउंट में ट्रांसफर कर दिया जाए। इससे निगम को भी नगद पैसा मिल जाएगा और योजनाएं भी चलती रहेंगी।
यह भी पढ़ें: शिक्षा मंत्री का धोबी पाट, देहरादून स्थित वर्चुअल स्टूडियो से किया अटल ई जन संवाद
झील में सोलर प्लांट
सपना दिखाया गया टिहरी झील में फ्लोटिंग पावर प्लांट लगाने का। यह टिहरी हाइड्रो डेवलेपमेंट कारपोरेशन लिमिटेड (टीएचडीसी) से अलग होगा। मकसद यह कि प्रदेश की झीलों व बांधों पर छोटे-छोटे पावर प्लांट बनाकर ऊर्जा का उत्पादन किया जाए और प्रदेश में ऊर्जा के नए स्रोत बनाए जाएं ताकि प्रदेश में ऊर्जा की कमी न रहे। टिहरी में फ्लोटिंग प्लांट को लगाने से पहले इसकी क्षमता निर्धारण का निर्णय लिया गया। इसके लिए बाकायदा एक सर्वे कर रिपोर्ट भी तलब की गई। यह सर्वे कहां पर होगा, इसके लिए उरेडा, मत्स्य विभाग, पर्यटन, नागरिक उड्डयन व टीएचडीसी के प्रतिनिधियों को समाहित करते हुए एक समिति बनाने की बात हुई। सर्वे के उपरांत इस परियोजना के निर्माण के लिए कार्यदायी संस्था का चयन प्रक्रिया की भी बात हुई। मुख्य सचिव की बैठक में इसका पूरा खाका खींचा गया। बावजूद इसके इस पर अभी तक कोई भी काम नहीं हो पाया है।
यह भी पढ़ें: तंत्र की एक चूक गुरुजनों के लिए बनी दर्द का सबब, पढ़िए