तीर्थनगरी ऋषिकेश का उत्सव बन गया अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव, पढ़ि‍ए पूरी खबर

प्राचीन भारतीय पद्धति योग आज पूरे विश्व में पहचान बना चुकी है। 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में भी मनाया जा रहा है। मगर योग और तीर्थनगरी ऋषिकेश को एक दूसरे का पर्याय माना जाता है।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Tue, 02 Mar 2021 06:33 PM (IST) Updated:Tue, 02 Mar 2021 10:27 PM (IST)
तीर्थनगरी ऋषिकेश का उत्सव बन गया अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव, पढ़ि‍ए पूरी खबर
अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव में गंगा तट पर योग मुद्रा में योगाचार्य ग्रेंडमास्टर अक्षर।

दुर्गा नौटियाल, ऋषिकेश। प्राचीन भारतीय पद्धति योग आज पूरे विश्व में पहचान बना चुकी है। 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में भी मनाया जा रहा है। मगर, योग और तीर्थनगरी ऋषिकेश को एक दूसरे का पर्याय माना जाता है। इतना ही नहीं तीर्थनगरी ऋषिकेश को योग की अंतरराष्ट्रीय राजधानी के रूप में भी पहचान मिली है। योग तीर्थनगरी की यह पहचान यूं ही नहीं बना, बल्कि यह योग साधकों का लंबा संघर्ष और अनवरत योग यात्रा का ही परिणाम है।

तीर्थनगरी ऋषिकेश आदिकाल से ही ऋषि-मुनियों की योग और तप की भूमि रही है। मगर, आधुनिक योग को यहां पुनर्जीवित करने का श्रेय महर्षि महेश योगी, स्वामी राम जैसे साधकों को जाता है। भावातीत ध्यान योग के प्रेणता महर्षि महेश योगी ने तीर्थनगरी में स्वर्गाश्रम क्षेत्र में योग और ध्यान के लिए साठ के दशक में शंकराचार्य नगर की स्थापना की थी।

इसी दौर में वर्ष 1968 में यहां पश्चिम का मशहूर बैंड बीटल्स के चार सदस्य जॉन लेनन, पॉल मैक-कार्टने, रिगों स्ट्रार्र व जार्ज हैरिसन यहां योग साधना के लिए आए थे। जिसके बाद ऋषिकेश पूरी दुनिया में योग के लिए मशहूर हो गया और फिर योग और ध्यान के लिए पूरी दुनिया के लोग ऋषिकेश का रुख करने लगे। समय के साथ ऋषिकेश में योग, ध्यान और मेडिटेशन के नए-नए केंद्र खुलने शुरू हो गए।

करीब सन 1991 में उत्तरप्रदेश सरकार के पर्यटन मंत्रालय ने मार्च के प्रथम सप्ताह में ऋषिकेश में अंतरराष्ट्रीय योग सप्ताह की शुरुआत कर योग को नए आयाम देने का काम किया। अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव का यह सिलसिला तब से अनवरत जारी है और आज गंगा के दोनों तटों पर सरकारी और निजी प्रयासों से वृहद रूप ले चुका है। हालांकि, इस वर्ष विश्वव्यापी कोराना महामारी के कारण अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव का स्वरूप संक्षिप्त रखा गया है। इस वर्ष यहां विदेशी योग साधक योग महोत्सव में शामिल नहीं हो पा रहे हैं। मगर, इसके बावजूद भी उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद व गढ़वाल मंडल विकास निगम ने योग महोत्सव की इस यात्रा को आगे बढ़ाने का काम किया।

पूरी दुनिया को एक सूत्र में पिरोने वाला योग अब तीर्थनगरी की पहचान बन चुका है। जबकि यहां आयोजित होने वाला अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव तीर्थनगरी के लिए किसी उत्सव से कम नहीं है। अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि देश विदेश के योग जिज्ञासुओं को इस योग महोत्सव का पूरे वर्ष इंतजार रहता है।

परमार्थ निकेतन ऑनलाइन आयोजित करेगा योग महोत्सव

योग और अध्यात्म के लिए पूरी दुनिया में ख्याति प्राप्त परमार्थ निकेतन ने इस वर्ष अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव को कोरोना के संक्रमण को देखते हुए ऑफलाइन के बजाय ऑनलाइन आयोजित करने का निर्णय लिया है। परमार्थ निकेतन ने पहली बार इस आयोजन की अवधि को मार्च के पहले सप्ताह के बजाय दूसरे सप्ताह में करने का निर्णय लिया है। परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती महाराज ने बताया कि इस वर्ष ऑनलाइन माध्यम से दुनिया के सौ से अधिक देशों के योग साधक, योगाचार्य और धर्मगुरु योग महोत्सव में शामिल होंगे।

ऋषिकेश के योगाचार्यों का विदेशों में भी जलवा

योग की ही महिमा ही है कि आज तीर्थनगरी का पर्यटन सबसे अधिक योग और वैलनेस पर ही आधारित हो गया है। इतना ही नहीं विदेशों में भी ऋषिकेश के योग शिक्षकों की सबसे अधिक मांग होती है। ऋषिकेश के योग शिक्षक वर्तमान में विश्व के कई देशों में योग का प्रचार प्रसार कर रहे हैं। कई योगाचार्यों ने विदेशों में योग स्कूल और विश्वविद्यालय तक खोले हैं।

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