अगर आपका भवन भी है अवैध, तो ऐसे कराएं वैध; जानिए

अगर आपके भवन अवैध हैं तो अब आप उन्हें वैध करा सकते हैं। शासन ने वन टाइम सेटेलमेंट स्कीम के तहत अवैध भवनों को वैध करने का शासनादेश जारी कर दिया है।

By Raksha PanthariEdited By: Publish:Wed, 16 Jan 2019 01:53 PM (IST) Updated:Wed, 16 Jan 2019 07:48 PM (IST)
अगर आपका भवन भी है अवैध, तो ऐसे कराएं वैध; जानिए
अगर आपका भवन भी है अवैध, तो ऐसे कराएं वैध; जानिए

देहरादून, जेएनएन। शासन ने वन टाइम सेटेलमेंट स्कीम (ओटीएस) के तहत अवैध भवनों को वैध करने का शासनादेश जारी कर दिया है। अब एकल आवासीय, व्यावसायिक भवनों समेत विभिन्न श्रेणी के चिकित्सा व शिक्षा प्रतिष्ठानों की निर्धारित छूट के साथ कंपाउंडिंग कराई जा सकेगी। कंपाउंडिंग आवेदन मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) समेत प्रदेश के विभिन्न विकास प्राधिकरण बुधवार से स्वीकार करेंगे। हालांकि कंपाउंडिंग के लिए आवेदन 15 मार्च 2019 तक ही स्वीकार किए जाएंगे। 

सचिव आवास नितेश झा की तरफ से जारी आदेश के अनुसार वन टाइम सेटेलमेंट की स्कीम एक आवासीय, व्यावसायिक भवनों के सेटबैक, ग्राउंड कवरेज, फ्लो एरिया रेश्यो (एफएआर) पर लागू होगी। जबकि आवासीय लैंडयूज पर बनाए गए व्यावसायिक भवनों के न्यूनतम पहुंच मार्ग, न्यूनतम भूखंड क्षेत्र, सेटबैक, पार्किंग आदि के मानकों में छूट मिलेगी। इसके अलावा आवासीय क्षेत्रों में बने विभिन्न चिकित्सा व शिक्षा प्रतिष्ठानों को भी इसी तरह के नियमों में शिथिलिता के साथ कंपाउंड किया जा सकेगा। 

एक जुलाई से पहले से संचालित भवनों को लाभ 

एमडीडीए उपाध्यक्ष डॉ. आशीष श्रीवास्तव ने बताया कि शासनादेश के अनुसार एक दिसंबर 2018 से पहले से संचालित भवनों के मामले में ओटीएस का लाभ मिलेगा। जो भवन कंपाउंड किए जाएंगे, उनसे कंपाउंडिंग फीस एक अप्रैल 2018 को प्रचलित सर्किल रेट के हिसाब से वसूल की जाएगी। 

पेनाल्टी का भी किया गया प्रावधान 

ओटीएस का लाभ लेने के लिए कंपाउंडिंग को मानचित्र के साथ स्वमूल्यांकन कर कंपाउंडिंग फीस का 50 फीसद भाग जमा कराना होगा। यह राशि यदि वास्तविक मूल्यांकन से 10 फीसद से अधिक पाई गई तो अतिरिक्त राशि पर 10 फीसद ब्याज भी वसूल किया जाएगा। 

इस तरह लागू होंगे वन टाइम सेटेलमेंट के नियम 

एकल (सिंगल यूनिट) आवासीय भवन 

बैक सेटबैक: ऐसे भवनों में बैक सेटबैक पर 40 फीसद निर्माण के साथ भवन की ऊंचाई 10 मीटर तक स्वीकृत की जा सकेगी। पहले यह ऊंचाई सात मीटर थी। 

साइड सेटबैक: इस भाग की चौड़ाई 1.20 मीटर से कम होने पर भी भवन को पास कर दिया जाएगा। पहले यदि कोई सेटबैक छोड़ रहा है तो कम से कम 1.20 मीटर भाग खुला रखना जरूरी था। 

फ्रंट सेटबैक: पूर्व में 10 फीसद तक की ही छूट का प्रावधान था, जबकि अब 10 फीसद अतिरिक्त छूट मिलेगी। 

ग्राउंड कवरेज: पूर्व की 10 फीसद छूट पर 10 फीसद का अतिरिक्त लाभ। 

एफएआर: पूर्व में 10 फीसद छूट थी, जिस पर अब पांच फीसद अतिरिक्त रियायत मिलेगी। 

एकल व्यावसायिक भवन   

बैक सेटबैक: पूर्व की व्यवस्था में 40 फीसद तक के क्षेत्र पर निर्माण को कंपाउंड किया जा सकता था, यदि भवन की ऊंचाई सात मीटर है तो 60 फीसद तक भाग स्वीकृत हो सकता था। अब पूर्व के प्रावधान के साथ 10 फीसद अतिरिक्त लाभ मिलेगा। 

साइड सेटबैक: 10 फीसद तक के क्षेत्रफल को कंपाउंड की व्यवस्था थी, जिसे 10 फीसद और बढ़ा दिया गया। 

फ्रंट सेटबैक: 10 फीसद की पूर्व की व्यवस्था में 10 फीसद का अतिरिक्त लाभ दिया जाएगा। 

ग्राउंड कवरेज: इस में भी पूर्व की 10 फीसद छूट पर इतनी ही अतिरिक्त रियायत मिलेगी। 

एफएआर: 10 फीसद छूट पहले दी जाती थी, जिसमें पांच फीसद अतिरिक्त रियायत और मिलेगी। 

आवासीय भूखंड पर 2000 वर्गमीटर तक के निर्माण पर छूट 

दून में तमाम आवासीय क्षेत्रों में व्यावसायिक प्रतिष्ठानों का निर्माण किया गया है। इनमें न्यूनतम भूखंड व मार्ग की चौड़ाई का भी पालन नहीं किया गया था। इस तरह के निर्माण कंपाउंड नहीं किए जा रहे थे और उन पर सीलिंग या ध्वस्तीकरण का खतरा बढ़ गया था। ऐसे भवनों को भी निर्धारित छूट के साथ अब कंपाउंड किया जा सकेगा। 

इस तरह मिलेगा लाभ 

न्यूनतम पहुंच मार्ग: पहले यह चौड़ाई 18 मीटर थी, जबकि अब छह मीटर मार्ग पर भी भवनों को कंपाउंड कर दिया जाएगा। 

न्यूनतम भूखंड क्षेत्रफल: पहले 125 वर्गमीटर के भूखंड पर ही ऐसे निर्माण कंपाउंड किए जा सकते थे, अब 15 वर्गमीटर से लेकर 200 वर्गमीटर तक के भवनों की कंपाउंडिंग संभव। 

सेटबैक: फ्रंट सेटबैक के अलावा अन्य सेटबैक में स्वीकृति से 10 फीसद अतिरिक्त छूट। पहले कोई छूट नहीं थी। 

ग्राउंड कवरेज: पहले नियमों में 10 फीसद तक छूट दी जाती थी, जिसमें स्कीम में 10 फीसद अतिरिक्त कर दिया गया है। 

एफएआर: पूर्व की 10 फीसद छूट के साथ पांच फीसद अतिरिक्त। 

पार्किंग: पहले कोई रियायत नहीं थी, जबकि अब 50 वर्गमीटर के भूखंड पर कोई पार्किंग अनिवार्य नहीं है। इसके साथ ही 50 वर्गमीटर से अधिक के भूखंड पर 50 फीसद पार्किंग उपलब्ध करानी होगी। ऐसा न होने पर नियमानुसार पेनाल्टी लगाई जाएगी। 

चिकित्सा प्रतिष्ठानों को बड़ा लाभ 

अब छोटे क्लीनिक व बल्ड कलेक्शन सेंटर, जो आवासीय क्षेत्रों में निर्मित हैं, उनकी कंपाउंडिंग भी की जा सकेगी। इसके साथ ही उनके मानकों में भी बड़ी छूट दी गई है। ऐसे भवन 50 वर्गमीटर पर बने हैं, जब भी उन्हें पास किया जाएगा और न्यूनतम छह मीटर मार्ग होने पर भी उनकी कंपाउंडिंग संभव है। 

अन्य चिकित्सा प्रतिष्ठानों को लाभ 

लैबोरेट्री: न्यूनतम 100 वर्गमीटर भूखंड व नौ मीटर की सड़क होने पर भी पास किया जा सकेगा। हालांकि धरातल पर 100 वर्गमीटर क्षेत्रफल पर एक ईसीएस (इक्यूवेलेंट कार स्पेस) होना जरूरी है। 

लैबोरेटरी के साथ डायग्नोस्टिक सेंटर: न्यूनतम भूखंड 200 वर्गमीटर, सड़क नौ मीटर व 100 वर्गमीटर तल पर 1.5 ईसीएस जरूरी। 

नर्सिंग होम/चाइल्ड केयर (20 बेड तक): न्यूनतम 450 वर्गमीटर भूखंड जरूरी, नौ मीटर की सड़क और ईसीएस 100 वर्गमीटर तल पर 1.5 होना आवश्यक। 

हॉस्पिटल (50 बेड तक): 450 वर्गमीटर का न्यूनतम भूखंड आवश्यक और 12 मीटर चौड़ी सड़क जरूरी, साथ ही 1.5 ईसीएस की व्यवस्था हो। 

हॉस्पिटल (50 बेड तक): न्यूनतम भूखंड 1000 वर्गमीटर, 12 मीटर की सड़क और प्रति 100 वर्गमीटर तक पर 1.5 ईसीएस। 

हॉस्पिटल (100 बेड तक): न्यूनतम 2000 वर्गमीटर भूखंड, 18 मीटर सड़क और प्रति 100 वर्गमीटर तक पर 1.5 ईसीएस। 

हॉस्पिटल (200 बेड तक): न्यूनतम भूखंड 5000 वर्गमीटर, 18 मीटर मार्ग होना जरूरी और प्रति 100 वर्गमीटर तल पर 1.5 ईसीएस। 

750 की जगह 300 वर्गमीटर पर स्कूली भवन होंगे पास 

वन टाइम सेटेलमेंट स्कीम में स्कूली भवनों को भी खासी राहत दी गई है। अब नर्सरी, क्रेच एवं प्ले ग्रुप स्कूल 750 वर्गमीटर के न्यूनतम भूखंड की जगह 300 वर्गमीटर के भूखंड पर भी पास हो सकेंगे। इसके अलावा न्यूनतम पहुंच मार्ग को नौ मीटर की जगह 7.50 मीटर कर दिया गया है। इस चौड़ाई का लाभ इंटरमीडिएट तक के स्कूलों को मिल पाएगा। 

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