इको सेंसिटिव जोन में दस हाइड्रो परियोजनाओं पर जगी उम्मीद

भागीरथी इको सेंसिटिव जोन में पड़ने वाली 16 में से 10 जलविद्युत परियोजनाओं को लेकर एक बार फिर नई उम्मीद जगी है।

By BhanuEdited By: Publish:Thu, 29 Sep 2016 01:11 PM (IST) Updated:Thu, 29 Sep 2016 01:17 PM (IST)
इको सेंसिटिव जोन में दस हाइड्रो परियोजनाओं पर जगी उम्मीद

देहरादून, [सुभाष भट्ट]: भागीरथी इको सेंसिटिव जोन में पड़ने वाली 16 में से 10 जलविद्युत परियोजनाओं को लेकर एक बार फिर नई उम्मीद जगी है। प्रदेश सरकार के अनुरोध पर केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की एक्सपर्ट कमेटी ने 25 मेगावाट से कम क्षमता वाली इन परियोजनाओं के निर्माण की अनुमति पर विचार करने का आश्वासन दिया है। साथ ही, इस संबंध में राज्य सरकार से केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की गाइडलाइन के अनुरूप धारक क्षमता का अध्ययन कराने के भी निर्देश दिए हैं।
गौमुख से उत्तरकाशी तक भागीरथी नदी के संपूर्ण जल संभरण क्षेत्र को केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने इको सेंसिटिव जोन घोषित किया है। बिजली के भारी संकट के जूझ रहे उत्तराखंड के लिए यह नया इको सेंसिटिव जोन नई मुसीबत भी लेकर आया।

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इस क्षेत्र में करीब 1743 मेगावाट की 16 जलविद्युत परियोजनाओं को स्वीकृति मिली है। हालांकि, इनमें से तीन बड़ी परियोजनाएं लोहारी नागपाला, पाला मनेरी व भैरोंघाटी को नेशनल गंगा रिवर बेसिन अथॉरिटी द्वारा पहले ही रद किया जा चुका है। इको सेंसिटिव जोन की अधिसूचना में दो मेगावाट तक के प्रोजेक्ट को ही अनुमति दी गई है।
लिहाजा, शेष परियोजनाएं इको सेंसिटिव जोन की वजह से अधर में लटक गई थीं। पिछले दिनों राज्य सरकार ने केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की एक्सपर्ट कमेटी के समक्ष इस मुद्दे को जोरशोर से उठाया था।
राज्य सरकार ने तर्क दिया कि परियोजनाएं बंद होने से उत्तराखंड को 17 हजार करोड़ के निवेश अवसर से हाथ धोना पड़ेगा। साथ ही, इससे 2000 करोड़ के राजस्व का नुकसान भी उठाना पड़ेगा। ऐसा इसलिए क्योंकि, इनमें 10 परियोजनाएं 25 मेगावाट से कम की हैं, जो केंद्रीय पर्यावरण नियंत्रण बोर्ड से तय 'व्हाइट' कैटेगरी में आती हैं।
साथ ही, उनकी मंजूरी भी इको सेंसिटिव जोन की अधिसूचना से पहले मिल चुकी थी। लिहाजा, इन परियोजनाओं के निर्माण के लिए अधिसूचना में शिथिलता दी जानी चाहिए।

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हिमाचल में भी कुछ समय पूर्व 25 मेगावाट से कम की चार परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। एक्सपर्ट कमेटी ने राज्य सरकार की इस मांग पर विचार करने की बात कही है। साथ ही, इस संबंध में निर्णय के लिए राज्य सरकार को तत्काल केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की गाइडलाइन के अनुरूप धारक क्षमता का अध्ययन कराने के भी निर्देश दिए। ऐसे में 82.3 मेगावाट की इन 10 परियोजनाओं पर एक बार फिर नई उम्मीद जगी है।
ये बड़ी परियोजनाएं लटकी
प्रोजेक्ट---------------------क्षमता
पाला मनेरी-----------------480
भैरोंघाटी---------------------381
लोहारी नागपाला------------600
किर्मोली----------------------140
जाड़गंगा------------------------50
कुल क्षमता-----------------1651
इन छोटी परियोजनाओं पर जगी उम्मीद...
प्रोजेक्ट-----------------------क्षमता
असीगंगा-1------------------4.50
असीगंगा-2------------------4.50
असीगंगा-3------------------9.00
काल्दीगाड़-------------------9.00
लिमचीगाड़-------------------3.50
स्वारीगाड़--------------------2.00
सोनगाड़---------------------7.50
पिलंगगाड़-2----------------4.00
जलंधरीगाड़----------------25.00
काकोरागाड़----------------12.50
स्यानगाड़------------------11.50
कुल क्षमता----------------92.00
(नोट: परियोजनाओं की क्षमता मेगावाट में)
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