Holi 2021: होलिका दहन रविवार को, सोमवार को खेली जाएगी रंगों की होली

होलिका दहन के लिए उत्तराखंड पूरी तरह तैयार है। रविवार सुबह से विधि विधान पूजा बाद शाम छह बजकर 36 मिनट से रात आठ बजकर 56 मिनट तक शुभ मुहूर्त के अनुसार होलिका दहन किया जाएगा। इसके बाद सोमवार को हर्षोल्लास के साथ रंगों का पर्व होली मनाया जाएगा।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Sat, 27 Mar 2021 05:44 PM (IST) Updated:Sat, 27 Mar 2021 09:24 PM (IST)
Holi 2021: होलिका दहन रविवार को, सोमवार को खेली जाएगी रंगों की होली
रविवार सुबह से विधि विधान पूजा बाद शुभ मुहूर्त के अनुसार होलिका दहन किया जाएगा।

जागरण संवाददाता, देहरादून। Holi 2021 होलिका दहन के लिए उत्तराखंड पूरी तरह तैयार है। रविवार सुबह से विधि विधान पूजा बाद शाम छह बजकर 36 मिनट से रात आठ बजकर 56 मिनट तक शुभ मुहूर्त के अनुसार होलिका दहन किया जाएगा। इसके बाद सोमवार को हर्षोल्लास के साथ रंगों का पर्व होली मनाया जाएगा। इसके लिए दून के बाजारों में भी होली की रौनक खूब दिख रही है। पर्व के लिए खरीदारी को बड़ी संख्या में लोग बाजारों में उमड़ रहे हैं।

चौक चौराहों पर होलिका दहन की तैयारी पूरी 

होलिका दहन के लिए दून के अधिकांश चौराहों और मैदानों में तैयारियां पूरी हो गई हैं। सामाजिक संगठनों के साथ ही लोग घरों से लकड़ी लेकर वहां एकत्र कर रहे हैं। इसके अलावा होलिका के लिए बनी लकड़ि‍यों का ढेर के चारों और रंगोली बनाकर सजाने का कार्य किया गया। विशेष पूजन के साथ रविवार शाम को मुहूर्त के अनुसार होलिका दहन होगा। आचार्य डा. सुशांत राज के मुताबिक इस बार होलिका दहन का शुभ मुहूर्त दो घंटे 19 मिनट का है, जो शाम छह बजकर 36 मिनट से शुरू होगा। इस बार भद्रा की छाया नहीं रहेगा। उन्होंने बताया कि होलिका दहन शरद ऋतु की समाप्ति व वंसत के आगमन पर किया जाता है। इसके अलावा मान्यता है कि हिरण्यकशिपु ने अपने बेटे प्रह्लाद को मारने के लिए बहन होलिका को आदेश दिया था वह प्रह़्लाद को गोद में लेकर आग में बैठे। आग में बैठने पर होलिका तो जल गई, लेकिन ईश्वर की भक्ति में लीन प्रह्लाद बच गए। ईश्वर भक्त प्रह़्लाद की याद में इस दिन होली जलाई जाती है।

इस तरह करें होली पूजन

होलिका दहन से पहले होली का पूजन किया जाता है। पूजन सामग्री में एक लोटा गंगाजल यदि उपलब्ध न हो तो ताजा जल भी लिया जा सकता है। रोली, माला, रंगीन अक्षत, धूप या अगरबत्ती, पुष्प, गुड़, कच्चे सूत का धागा, साबुत हल्दी, मूंग, बताशे, नारियल एवं नई फसल के अनाज गेंहू की बालियां, पके चने आदि शामिल करें। पूजा सामग्री के साथ होलिका के पास गोबर से बनी ढाल भी रखी जाती है। होलिका दहन के शुभ मुहूर्त पर जो मौली, फूल, गुलाल, ढाल और खिलौनों से बनी चार मालाएं अलग से रख लें। इसमें एक माला पितरों के नाम की, दूसरी हनुमान जी के लिए, तीसरी शीतला माता और चौथी परिवार के नाम की रखी जाती है। पूरी श्रद्धा से होली के चारों और परिक्रमा करते हुए कच्चे सूत के धागे को लपेटा जाता है। तीन से सात बार होलिका की परिक्रमा करें। शुद्ध जल सहित अन्य पूजा सामग्रियों को एक-एक कर होलिका को अर्पित करें। होली का पूजन कर जल से अर्घ्य दें और होलिका दहन के बाद होलिका में कच्चे आम, नारियल, सतनाज, चीनी के खिलौने, नई फसल इत्यादि की आहुति दें। सतनाज में गेहूं, उड़द, मूंग, चना, चावल जौ और मसूर मिश्रित करके इसकी आहुति दी जाती है।

दुकानों में उमड़ी भीड़, दुकानदारों के खिले चेहरे 

होली की तैयारी को लेकर राजधानी के बाजारों में खरीदारों की भीड़ रही। सुबह से ही हनुमान चौक, पलटन बाजार, करनपुर बाजार, चकराता रोड, धर्मपुर, पटेलनगर, प्रेमनगर आदि क्षेत्रों की दुकानों में कपड़े, खाद्य सामग्री, मिष्ठान, रंग, पानी के गुब्बारे, पिचकारी आदि को लेकर खरीदारों की भीड़ उमड़ी रही। इसके अलावा गुजिया, पापड़ चिप्स, रेडीमेड दहीबड़ा पाउडर, पनीर, दही की खूब खरीदारी हुई। दर्शनी गेट स्थित दुकानदार मनोज कुमार गुप्ता ने बताया कि कोरोनाकाल को देखते हुए लोग ज्यादा भीड़ के साथ होली नहीं मनाएंगे, लेकिन खरीदारी में इसका असर नहीं दिख रहा है। बीते वर्षों की तरह इस बार भी रंग, गुलाल की खूब बिक्री हो रही है।

यह भी पढ़ें-Holi 2021: होली मिलन में जमकर उड़ा गुलाल, गीतों पर खूब झूमे होल्यार 

Uttarakhand Flood Disaster: चमोली हादसे से संबंधित सभी सामग्री पढ़ने के लिए क्लिक करें

chat bot
आपका साथी