हेस्को के संस्थापक अनिल जोशी बोले, हिमालय के उत्पादों को राष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाएंगे

हिमालय के उत्पादों को राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए विशेष प्रयास किए जाएंगे। इसके लिए सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं को साथ आना होगा। स्थानीय उत्पादों को बाजार मिलने का सीधा फायदा किसानों को होगा।

By Raksha PanthriEdited By: Publish:Tue, 02 Mar 2021 10:03 AM (IST) Updated:Tue, 02 Mar 2021 10:03 AM (IST)
हेस्को के संस्थापक अनिल जोशी बोले, हिमालय के उत्पादों को राष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाएंगे
हिमालय के उत्पादों को राष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाएंगे।

जागरण संवाददाता, देहरादून। हिमालय के उत्पादों को राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए विशेष प्रयास किए जाएंगे। इसके लिए सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं को साथ आना होगा। स्थानीय उत्पादों को बाजार मिलने का सीधा फायदा किसानों को होगा। यह बात हिमालयन पर्यावरण अध्ययन और संरक्षण संगठन (हेस्को) के संस्थापक पद्मभूषण डॉ. अनिल जोशी ने स्वदेशी तत्व एवं हेस्को के ऑर्गेनिक उत्पादों की लांचिंग के मौके पर कही।

सोमवार को प्रेस क्लब में आयोजित लांचिंग कार्यक्रम का उद्घाटन डॉ. अनिल जोशी ने किया। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के उत्पाद औषधीय गुणों से भरपूर हैं, जिनकी मांग बाजार में बढ़ रही है। यही समय है, प्रदेश के किसानों को प्रोत्साहित कर उन्हें आर्गेनिक खेती के लिए जागरूक किया जाए। स्वदेशी तत्व की संस्थापक अंजली अंथवाल ने कहा कि स्वदेशी तत्व संगठन किसानों की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के प्रयास कर रहा है। इसके लिए ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। इस मौके पर सीएमआइ अस्पताल के निदेशक आरके जैन, उत्तराखंड अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमैन जोगिंदर सिंह, सह संस्थापक सीएमआइ अस्पताल डॉ. महेश कुडिय़ाल समेत अन्य मौजूद रहे।

लोकेंद्र कैंतुरा के 'नेगी दा' गीत का विमोचन

लोकगायक लोकेंद्र कैंतुरा के गढ़वाली वीडियो गीत 'नेगी दा तुम्हर गीत मा भलि कन रस्यांण छा....' का विमोचन महापौर सुनील उनियाल गामा ने किया। लोकेंद्र ने यह गीत लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी को समर्पित किया है। सोमवार को नगर निगम में गीत का विमोचन किया गया। इस दौरान महापौर ने गीत की सराहना करते हुए कहा कि उत्तराखंड की संस्कृति को भावी पीढ़ी से जोड़ने के लिए यह गीत बेहतर माध्यम है। लोकेंद्र कैंतुरा ने बताया कि वह शुरू से ही लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी के गीतों से प्रभावित रहे हैं। इसीलिए उनको यह गीत समर्पित किया है। छह मिनट 16 सेकेंड के इस गीत की शूटिंग देहरादून में हुई है। इस गीत में नरेंद्र सिंह के गीतों के माध्यम से पहाड़ की पीड़ा, पलायन आदि के बारे में बताया गया है। 

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