छोटे अस्पतालों को मिलेगी क्लीनिकल एस्टेबलिशमेंट एक्ट में छूट, स्वास्थ्य मंत्री ने कहा- आगामी कैबिनेट में आएगा प्रस्ताव

राज्य के छोटे अस्पतालों को क्लीनिकल एस्टेबलिशमेंट एक्ट में छूट मिल सकती है। स्वास्थ्य मंत्री डा. धन सिंह रावत ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) पदाधिकारियों को आश्वस्त किया कि उनकी मांग जल्द पूरी होगी। कहा वह चाहते थे कि चिकित्सकों की मांग पूरी होने के बाद ही उनके बीच पहुंचें।

By Sumit KumarEdited By: Publish:Sun, 12 Dec 2021 10:59 PM (IST) Updated:Sun, 12 Dec 2021 10:59 PM (IST)
छोटे अस्पतालों को मिलेगी क्लीनिकल एस्टेबलिशमेंट एक्ट में छूट, स्वास्थ्य मंत्री ने कहा- आगामी कैबिनेट में आएगा प्रस्ताव
रविवार देर शाम चकराता रोड स्थित आइएमए भवन में आइएमए दून शाखा की नयी कार्यकारिणी के शपथ ग्रहण समारोह हुआ।

जागरण संवाददाता, देहरादून: राज्य के छोटे अस्पतालों को क्लीनिकल एस्टेबलिशमेंट एक्ट में छूट मिल सकती है। स्वास्थ्य मंत्री डा. धन सिंह रावत ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) पदाधिकारियों को आश्वस्त किया कि उनकी मांग जल्द पूरी होगी। बता दें, आइएमए 30 बेड से कम वाले अस्पतालों को क्लीनिकल एस्टेबलिशमेंट एक्ट में छूट और 50 से कम बेड वाले अस्पतालों को ईटीपी व एसटीपी में छूट की मांग कर रहा है।

रविवार देर शाम चकराता रोड स्थित आइएमए भवन में आइएमए दून शाखा की नयी कार्यकारिणी के शपथ ग्रहण समारोह में मुख्य अतिथि स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि वह चाहते थे कि चिकित्सकों की मांग पूरी होने के बाद ही उनके बीच पहुंचें। उन्होंने आश्वस्त किया कि क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट से संबंधित प्रस्ताव 17 दिसंबर को होने वाली कैबिनेट बैठक में लाया जाएगा। विशिष्ट अतिथि महपौर सुनील उनियाल गामा ने चिकित्सकों की तारीफ करते कहा कि कोविड-19 में जब लोग अपनों से भी दूरी बनाए हुए थे, चिकित्सकों ने अपनों की तरह मरीजों की सेवा की।

आइमए के प्रदेश अध्यक्ष डा. अरविंद शर्मा ने कहा कि राज्य के दूरस्थ क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव और चिकित्सकों की भारी कमी है। ऐसे में उत्तराखंड जैसे छोटे प्रदेश में क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट को स्थगित रखा जाना चाहिए था। एक्ट में जिस तरह के कड़े प्राविधान हैं, पहाड़ के छोटे क्लीनिक, नर्सिंग होम एक-एक कर बंद हो जाएंगे। इनके प्रोत्साहन के लिए दूरगामी नीति बनाने की मांग उन्होंने की। उन्होंने कहा कि आज 80 प्रतिशत स्वास्थ्य सेवाएं निजी क्षेत्र मुहैया कराता है। उत्तराखंड भी इससे अछूता नहीं हैं।

कोरोनाकाल में भी निजी अस्पतालों ने सक्रिय भागीदारी निभाई। ऐसे में निजी क्षेत्र की सेवाओं को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। आइएमए दून शाखा के नवनिर्वाचित अध्यक्ष डा. आलोक सेमवाल ने संगठनात्मक मजबूती पर बल दिया। उन्होंने कहा कि सक्रिय सहभागिता,निरंतर संवाद और सुझाव से ही संगठन चलता है। एथिकल प्रैक्टिस पर भी उन्होंने जोर दिया। नवनिर्वाचित सचिव डा. अखिल कुकरेजा ने धन्यवाद ज्ञापित किया। संचालन कोषाध्यक्ष डा. जया नवानी ने किया।

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इस दौरान स्वास्थ्य महानिदेशक डा. तृप्ति बहुगुणा, एचएनबी उत्तराखंड चिकित्सा शिक्षा विवि के कुलपति डा.हेमचंद्र पंत, एसआरएचयू के कुलपति डा. विजय धस्माना, दून मेडिकल कालेज के प्राचार्य डा. आशुतोष सयाना, मुख्य चिकित्साधिकारी डा. मनोज उप्रेती, प्रांतीय चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा संघ के प्रांतीय अध्यक्ष डा. मनोज वर्मा, आइएमए ब्लड बैंक के निदेशक डा. संजय उप्रेती, आइएमए के पूर्व जिलाध्यक्ष डा. अमित सिंह, पूर्व सचिव डा. रूपा हंसपाल, डा. महेश कुडिय़ाल, डा विपुल कंडवाल, डा. हरीश कोहली डा. डीसी ध्यानी आदि मौजूद रहे।

स्वास्थ्य मंत्री की भड़ास, मुझपर निकली

स्वास्थ्य मंत्री अन्य व्यस्तता के चलते कार्यक्रम से जल्दी निकल गए। बाद में  आइएमए पदाधिकारियों ने लंबित मसलों में ढिलाई का आरोप लगाया। जिस पर महापौर ने चुटकी लेते कहा कि स्वास्थ्य मंत्री पर जो भड़ास निकलनी थी, उनकी अनुपस्थिति पर मुझपर निकली। मंत्री शायद भावनाओं को भांप गए, तभी जल्दी निकल गए। इस पर प्रांतीय अध्यक्ष ने कहा कि यह भड़ास नहीं उदगार हैं।

150 कुर्सी, वह भी नहीं भरी

प्रांतीय महासचिव डा. अजय खन्ना ने कार्यक्रम में कम उपस्थिति पर दुख व्यक्त किया। उन्होंने कहा सभागार में 150 कुर्सी हैं और वह भी नहीं भर पाई हैं। उन्होंने कहा कि हर आयोजन में अधिकाधिक सहभागिता जरूरी है।

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