विकास योजनाओं की धनराशि पर बजट पर महकमों ने मारी कुंडली, चेतावनी
बैंक खातों में लंबे समय से दबाई गई धनराशि का हिसाब-किताब देने को महकमे तैयार नहीं हैं। बड़ी संख्या में निर्माण कार्यो की राशि भी खातों से बाहर निकलने को तरस गई है।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। विकास योजनाओं की धनराशि पर महकमे कुंडली मारकर बैठे हुए हैं। बैंक खातों में लंबे समय से दबाई गई धनराशि का हिसाब-किताब देने को महकमे तैयार नहीं हैं। बड़ी संख्या में निर्माण कार्यो की राशि भी खातों से बाहर निकलने को तरस गई है। सरकार इससे खफा है। मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने इसे वित्तीय गड़बड़ी करार दिया। साथ ही महकमों को चेतावनी के साथ ब्याज समेत उक्त धनराशि वापस करने को कहा है। साथ ही महकमों को हिदायत दी गई है कि किसी भी सूरत में एक वर्ष से ज्यादा सरकारी फंड की पार्किंग नहीं की जाए।
मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने सभी अपर मुख्य सचिवों, प्रमुख सचिवों और सचिवों के साथ ही समस्त विभागाध्यक्षों को फंड पार्किंग पर चेतावनी दी है। उन्होंने 31 जुलाई, 2008 को जारी शासनादेश का हवाला देते हुए कहा कि बजट में समेकित निधि से धन निकालकर विभागीय बैंक खाते में जमा रखना पार्किंग ऑफ फंड कहा जाता है। महालेखाकार की ओर से महकमों में फंड की पार्किंग की समस्या पर सख्त आपत्ति जताई जा चुकी है।
दरअसल, विकास योजनाओं और निर्माण कार्यों के लिए दी जाने वाली धनराशि को महकमे और विश्वविद्यालय अपने खातों में जमा कर रहे हैं, लेकिन समयबद्ध इस्तेमाल से कन्नी काट रहे हैं। नतीजतन कई सालों से बैंक खातों में ही सरकारी धन अटक गया है। इस धनराशि पर मिलने वाला ब्याज वापस करने में महकमों की उदासीनता पर सरकार को सख्त रुख अपनाना पड़ा है।
उन्होंने कहा कि अपरिहार्य स्थिति में ही समेकित निधि से धनराशि आहरित कर महकमों के खाते में जमा होनी चाहिए। किसी महकमे ने एक वर्ष से ज्यादा अवधि तक धनराशि विभागीय खातों में जमा पाई गई तो इसके लिए संबंधित विभागाध्यक्ष और वित्त नियंत्रक जवाबदेह होंगे। उन्होंने पार्किंग धनराशि को ब्याज समेत 20 जनवरी तक लौटाने की मोहलत महकमों को दी है। अन्यथा विभागाध्यक्षों के साथ प्रमुख सचिव और सचिव भी कार्रवाई की जद में होंगे।