अटल बिहारी वाजपेयी पैरामेडिकल कॉलेज को शासन ने पाया अवैध

मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह की अध्यक्षता में हुई शासन के अधिकारियों की बैठक में अटल बिहारी वाजपेयी पैरामेडिकल कॉलेज को विधि सम्मत नहीं पाया गया।

By Edited By: Publish:Thu, 16 May 2019 09:42 PM (IST) Updated:Fri, 17 May 2019 12:27 PM (IST)
अटल बिहारी वाजपेयी पैरामेडिकल कॉलेज को शासन ने पाया अवैध
अटल बिहारी वाजपेयी पैरामेडिकल कॉलेज को शासन ने पाया अवैध

देहरादून, राज्य ब्यूरो। आयुष एवं आयुष शिक्षा मंत्री डॉ हरक सिंह रावत भले ही भारतीय चिकित्सा परिषद की ओर से अटल बिहारी वाजपेयी पैरामेडिकल कॉलेज खोलने को सही ठहराएं, लेकिन मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह की अध्यक्षता में हुई शासन के अधिकारियों की बैठक में उक्त कॉलेज को विधि सम्मत नहीं पाया गया। बैठक का कार्यवृत्त मिलने के बाद आयुष व आयुष शिक्षा सचिव आरके सुधांशु ने कॉलेज खोले जाने के संबंध में परिषद से पूरा ब्योरा तलब किया है। माना जा रहा है कि विधिक तरीके से स्थापित नहीं किए गए कॉलेज को लेकर परिषद के पदाधिकारियों पर गाज गिर सकती है। उधर, उक्त कॉलेज को लेकर शासन और विभागीय मंत्री डॉ हरक सिंह रावत के बीच तनातनी बढ़ने के आसार हैं।

बगैर जरूरी प्रक्रिया पूरी किए खोले गए अटल बिहारी वाजपेयी पैरामेडिकल कॉलेज का विवाद अब गहरा गया है। मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक में उक्त कॉलेज के संबंध में चर्चा की गई थी। मुख्य सचिव ने उक्त कॉलेज की स्थापना को ही अवैध माना है। बैठक का कार्यवृत्त जारी होने के बाद विभागीय सचिव आरके सुधांशु ने भी परिषद से कॉलेज के संबंध में विस्तृत ब्योरा तलब किया है। आनन-फानन नियमों को ताक पर रखकर खोले गए कॉलेज से संबंधित तमाम पत्रावलियां भी शासन ने मांगी हैं। सचिव आरके सुधांशु ने परिषद से ब्योरा तलब करने की पुष्टि की है। 

उधर, इस मामले में आयुष एवं आयुष शिक्षा मंत्री डॉ हरक सिंह रावत और शासन के बीच भी रार बढ़ सकती है। दरअसल विभागीय मंत्री ने कॉलेज की स्थापना को विधि सम्मत माना था। हालांकि उनके स्तर पर भी मामले का परीक्षण कराने के निर्देश दिए गए हैं। दरअसल प्रदेश में आयुर्वेदिक और आयुष पैरामेडिकल कॉलेजों के संचालन को अनुमति देने वाली नियामक संस्था भारतीय चिकित्सा परिषद की उत्तराखंड इकाई की ओर से खुद ही पैरामेडिकल कॉलेज का संचालन करने को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। बताया जा रहा है कि उक्त कॉलेज की स्थापना और संचालन के लिए भी शासन से अनुमति लेने की जरूरी प्रक्रिया पूरी नहीं की गई। 

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