नॉन क्लीनिकल पीजी कोर्स की फीस घटी, बांड खत्म

प्रदेश के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में पीजी के नॉन क्लीनिकल पाठ्यक्रमों में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को राहत मिल गई है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 03 Jul 2020 08:32 PM (IST) Updated:Fri, 03 Jul 2020 08:32 PM (IST)
नॉन क्लीनिकल पीजी कोर्स  की फीस घटी, बांड खत्म
नॉन क्लीनिकल पीजी कोर्स की फीस घटी, बांड खत्म

राज्य ब्यूरो, देहरादून

प्रदेश के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में पीजी के नॉन क्लीनिकल पाठ्यक्रमों में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को राहत मिल गई है। उन्हें अब सालाना पांच लाख के बजाय एक लाख रुपये फीस देनी होगी। साथ में इस पाठ्यक्रम में रियायती फीस पर बांड की व्यवस्था खत्म कर दी गई है।

स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी ने शुक्रवार को इस संबंध में चिकित्सा शिक्षा निदेशक को आदेश जारी किए हैं। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कुछ दिन पहले नॉन क्लीनिकल पीजी पाठ्यक्रमों के लिए फीस पांच लाख से घटाकर एक लाख करने को मंजूरी दी थी। सरकार के इस कदम से प्रदेश के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में पीजी की नॉन क्लीनिकल पाठ्यक्रम की रिक्त सीटें तेजी से भर सकेंगी। पीजी के नॉन क्लीनिकल पाठ्यक्रम की फीस ज्यादा होने की वजह से इसमें छात्र-छात्राओं की रुचि घटने की प्रवृत्ति देखी गई है।

एनाटॉमी, फिजियोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी, फॉर्मेकोलॉजी, बायोकेमिस्ट्री जैसे विषयों में कम ही दाखिले होते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार जिन विषयों में प्रैक्टिस नहीं है, उनमें डॉक्टर दाखिला लेना ही नहीं चाहते। कई बार वह क्लीनिकल सब्जेक्ट की सीट खाली न होने पर, नॉन क्लीनिकल में दाखिला लेते हैं। बाद में क्लीनिकल की सीट मिलने पर नॉन क्लीनिकल की सीट छोड़ देते हैं। विगत वर्षो में देखा गया है कि नॉन क्लीनिकल में अधिकाश पीजी की सीटें खाली रह गईं। इससे मेडिकल कॉलेजों व नर्सिग कॉलेजों में फैकल्टी की कमी भी दूर हो सकेगी।

शासनादेश में पीजी नॉन क्लीनिकल पाठ्यक्रम में बांड की व्यवस्था खत्म कर दी गई है। इस पाठ्यक्रम में बांडधारी छात्रों के लिए फीस 60 हजार रुपये निर्धारित की गई थी।

chat bot
आपका साथी