गढ़वाल विश्वविद्यालय ने दो साल में दस गुना बढ़ाया परीक्षा शुल्क, पढ़िए पूरी खबर

हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालयने दो साल में एक इंटरनल परीक्षा की फीस दस गुना तक बढ़ा दी है।

By Raksha PanthariEdited By: Publish:Sun, 28 Jul 2019 04:54 PM (IST) Updated:Sun, 28 Jul 2019 08:44 PM (IST)
गढ़वाल विश्वविद्यालय ने दो साल में दस गुना बढ़ाया परीक्षा शुल्क, पढ़िए पूरी खबर
गढ़वाल विश्वविद्यालय ने दो साल में दस गुना बढ़ाया परीक्षा शुल्क, पढ़िए पूरी खबर

देहरादून, आयुष शर्मा। हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय छात्रों की मुश्किलें बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। विवि में व्याप्त कई प्रकार की अव्यवस्थाओं को दुरुस्त करने के बजाय यहां शुल्क में बढ़ोत्तरी कर छात्रों पर भार थोपा जा रहा है। विवि ने दो साल में एक इंटरनल परीक्षा की फीस दस गुना तक बढ़ा दी है। इंटरनल परीक्षाएं छूटने पर हर पेपर के लिए अब छात्र को 2500 रुपये फीस देनी होगी। पिछले साल तक विवि हर पेपर पर 1250 रुपये शुल्क लेता था, जबकि 2017-18 में यह महज 250 से 300 रुपये थी। 

गढ़वाल विवि और इससे संबद्ध कॉलेजों को छात्र सुलभ और सस्ती शिक्षा के चलते चुनते हैं। लेकिन, विवि में इसके ठीक विपरीत काम हो रहा है। डिग्री फीस बढ़ाने के बाद अब गढ़वाल विश्वविद्यालय ने इंटरनल परीक्षा की फीस में भी इजाफा कर दिया है। विवि ने इसमें दो-चार सौ नहीं, बल्कि पूरे 1250 रुपये बढ़ा दिए हैं। विवि ने पिछले दो सालों में ही छूटी इंटरनल परीक्षा शुल्क में दस गुना की वृद्धि की है।

दो साल पहले विवि एक पेपर छूटने पर 250 से 300 रुपये लेकर परीक्षा से वंचित रह गए छात्रों को दोबारा परीक्षा देने का मौका देता था। लेकिन, पिछले साल विवि ने यह फीस बढ़ाकर 1250 रुपये कर दी। जबकि इस साल फीस दोगुनी करते हुए 2500 रुपये कर दी गई है। इंटरनल परीक्षाओं में विवि का कोई खास किरदार नहीं होता। इन परीक्षाओं में पेपर बनाने, परीक्षा व्यवस्था करने, कॉपी चेक  करने से लेकर नंबर विवि को भेजने की जिम्मेदारी कॉलेज पर होती है। विवि को केवल नंबर अंकतालिका में छापने होते हैं। ऐसे में विवि का एक पेपर के लिए 2500 वसूलने पर सवाल खड़े हो गए हैं। 

खत्म होगा री-एडमिशन का प्रावधान 

इंटरनल परीक्षा छूट जाने पर फीस बढ़ाने को लेकर विवि का अपना तर्क है। अब तक चल रहे नियम के अनुसार अगर कोई छात्र किसी भी कारण से इंटरनल की परीक्षाएं देने से वंचित रह जाता था तो उसे एक परीक्षा देने के लिए री-एडमिशन लेना होता था। यूजी में छठा सेमेस्टर पूरा होने के बाद और पीजी में चौथा सेमेस्टर पूरा होने के बाद री-एडमिशन लेकर परीक्षा देनी होती थी। आपात स्थिति में विवि पावर ज्योति बैक परीक्षा के तहत 1250 रुपये फीस वसूलकर छूटे हुए छात्रों को परीक्षा में बैठने का मौका देता था। गढ़वाल विवि के परीक्षा नियंत्रक प्रोफेसर आरसी भट्ट का कहना है कि छात्रों की सुविधा के लिए फीस में बदलाव किया गया है। अब किसी कारण से कोई छात्र इंटरनल की परीक्षा देने से वंचित रह जाता है तो उसे कोर्स खत्म होने का इंतजार करने की जरूरत नहीं है। 

सालभर की फीस से ज्यादा है एक परीक्षा की फीस 

गढ़वाल विवि की यह फीस यूजी के पूरे पाठ्यक्रम से भी ज्यादा है। बीए में प्रयोगात्मक परीक्षा के साथ छात्रों की सालाना फीस 1623 और छात्राओं की फीस 1253 रुपये है। बीकॉम की सालाना फीस छात्रों के लिए 1323 और छात्राओं के लिए 1208 है। वहीं बीएससी की सालाना फीस छात्रों के लिए 1883 और छात्राओं के लिए 1775 रुपये है। 

डीएवी शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ. यूएस रावत ने बताया कि इंटरनल परीक्षाओं की जिम्मेदारी कॉलेज की होती है। विवि का 2500 रुपये एक परीक्षा के लिए फीस वसूलना छात्रों के साथ नाइंसाफी है। इस परीक्षा के लिए सौ रुपये से ज्यादा फीस वसूलना बेईमानी है। 

डीएवी कॉलेज के शिक्षक डॉ. डीके त्यागी का कहना है कि पिछले साल भी फीस 1250 करने पर हमने विरोध जताया था। अब विवि ने फीस 2500 कर दी है। हमारे पास सामान्य परिवारों के छात्र पढ़ते हैं। इन छात्रों के साथ नाइंसाफी की जा रही है। 

डीबीएस के प्राचार्य वीसी पांडे कहते हैं कि छात्रों पर आर्थिक बोझ बढ़ाना गलत है। विवि को छात्रों से मनमानी फीस वसूलना बंद करना चाहिए। विवि को इस पर दोबारा विचार कर फीस को कम से कम कर देनी चाहिए। 

वहीं, एसजीआरआर कॉलेज के छात्रसंघ अध्यक्ष प्रविंद गु्प्ता का कहना है कि गढ़वाल विवि छात्रों के खिलाफ काम कर रहा है। मनमाने तरीके से विवि हर साल छात्रों से गलत फीस वसूल रहा है। इसके खिलाफ छात्रसंघ आंदोलन करेगा। 

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