VIDEO Ganesh Chaturthi Mahotsav 2020 घर-घर विराजे गणपति बप्पा, अनंत चतुर्दशी पर होगा विसर्जन

Ganesh Chaturthi Mahotsav 2020 गणेश चतुर्थी पर विधिवत पूजा-अर्चना के बाद घरों में गणेश प्रतिमा स्थापित की गई।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Sat, 22 Aug 2020 08:37 AM (IST) Updated:Sat, 22 Aug 2020 09:49 PM (IST)
VIDEO Ganesh Chaturthi Mahotsav 2020 घर-घर विराजे गणपति बप्पा, अनंत चतुर्दशी पर होगा विसर्जन
VIDEO Ganesh Chaturthi Mahotsav 2020 घर-घर विराजे गणपति बप्पा, अनंत चतुर्दशी पर होगा विसर्जन

देहरादून, जेएनएन। Ganesh Chaturthi Mahotsav 2020 गणेश चतुर्थी पर में शुभ मुर्हूत में विधिवत पूजा-अर्चना के बाद घरों में गणेश प्रतिमा स्थापित की गई। गणेश चतुर्थी को लेकर शहर में सुबह ही उत्साह देखा गया। लोग बाजार से गणपति बप्पा की प्रतिमा खरीदने में जुटे रहे। पटेलनगर स्थित गणेश मंदिर, मन्नुगंज स्थित मंदिर में श्रद्धालुओं ने विधिवत पूजा की गई। क्लेमेनटाउन गणपति समिति की की ओर से भी मंदिर में गणपति की प्रतिमा विराजमान की गई। पंडित विपिन मेमनी के अनुसार भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी के दिन गणपति का जन्म हुआ था। इसलिए इस दिन को गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। आज से शुरू हुआ गणपति उत्सव का त्योहार लगभग दस दिनों तक चलेगा। इसके बाद अनंत चतुर्दशी के दिन गणपति का विसर्जन किया जाएगा।

भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र गणोश का जन्म जिस दिन हुआ था, उस दिन भाद्र मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी थी। इसलिए इस दिन को गणोश चतुर्थी और विनायक चतुर्थी नाम दिया गया। दून में गणोश उत्सव हर वर्ष सार्वजनिक कार्यक्रमों के बीच धूमधाम से मनाया जाता था, लेकिन इस बार कोरोना संकट काल के चलते गणपति बप्पा घर में पधारेंगे। भक्त घर में मूर्ति स्थापित करके पूजा करेंगे। गणोश उत्सव शनिवार से शुरू होगा और एक सितंबर अनंत चतुर्दशी पर विजर्सन के साथ संपन्न होगा।

घर में सुख-समृद्धि के लिए आज से गणोश चतुर्थी मनाई जा रही हैं। देहरादून के खुड़बुड़ा मोहल्ला के गणेश चौक स्थित गणेश मंदिर में आरती करते श्रद्धालु। #GaneshChaturthi pic.twitter.com/HOCtPSGFUC

— sunil singh negi (@negi0010) August 22, 2020

आचार्य विजेंद्र प्रसाद ममगाईं ने बताया कि शनिवार को गणोश प्रतिमा विराजमान करने का शुभ मुहूर्त सुबह छह से नौ बजकर 25 मिनट और 11:30 से 12:30 तक रहेगा। मान्यता है कि भगवान गणोश का जन्म मध्याह्न् में हुआ था, इसलिए मध्याह्न्न को ही शुभ माना जाता है। गणपति को मोदक का भोग लगाएं। वहीं, ज्योतिषाचार्य सुशांत राज का कहना है कि मध्याह्न्काल में सोमवार, स्वाति नक्षत्र और सिंह लग्न में भगवान गणोश का जन्म होने के कारण यह दिन गणोश चतुर्थी या विनायक चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। उत्तरभारत के कुछ राज्यों में मंदिरों में भगवान गणोश की अस्थायी प्रतिमा स्थापित कर मनाया जाता है।

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नहीं सजाए गए पांडाल

बंगाली लाइब्रेरी पूजा समिति करनपुर के अध्यक्ष आलोक चक्रवर्ती ने बताया कि कोरोना के चलते इस बार पांडाल नहीं सजे हैं। इसलिए बड़ी मिट्टी की प्रतिमा नहीं बनाई गईं। घरों में पूजा होगी, इसके लिए लोग बाजार से ही छोटी प्रतिमा की खरीदारी कर रहे हैं। गणोश उत्सव धामावाला समिति के सचिव संतोष माने ने बताया कि प्रतिमा स्थापित होने के तीन दिन बाद 24 अगस्त को विसर्जित की जाएगी। गणोश उत्सव समिति पटेल नगर के मीडिया प्रभारी भूपेंद्र चड्ढा ने बताया कि इस बार भव्य आयोजन नहीं होंगे, इसलिए घर में ही गणपति पूजे जाएंगे।

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