गैरसैंण होगी उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी, बजट सत्र के दौरान सीएम ने की घोषणा

आखिरकार उत्तराखंड की जनभावनाओं के केंद्र गैरसैंण को राजधानी का रुतबा हासिल हो गया। सीएम रावत ने बजट सत्र के दौरान इसकी घोषणा की।

By Raksha PanthariEdited By: Publish:Wed, 04 Mar 2020 08:35 PM (IST) Updated:Thu, 05 Mar 2020 07:09 AM (IST)
गैरसैंण होगी उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी, बजट सत्र के दौरान सीएम ने की घोषणा
गैरसैंण होगी उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी, बजट सत्र के दौरान सीएम ने की घोषणा

देहरादून, राज्य ब्यूरो। लंबी जद्दोजहद के बाद आखिरकार राज्य की जनभावनाओं के केंद्र गैरसैंण को राजधानी का रुतबा हासिल हो गया। विधानसभा के बजट सत्र के दौरान बुधवार को वर्ष 2020-21 का बजट पेश करने के बाद अंत में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने घोषणा की कि गैरसैंण राज्य की ग्रीष्मकालीन राजधानी होगी। इस पर सत्ता पक्ष के सभी विधायकों ने मेजें थपथपाकर और खड़े होकर मुख्यमंत्री की इस घोषणा का स्वागत किया। बाद में पत्रकारों से बातचीत में मुख्यमंत्री ने कहा कि बहुत सोच विचार और मंथन के बाद उन्होंने यह फैसला लिया। यह राज्य आंदोलन के शहीदों, मातृशक्ति, नौजवानों व आंदोलनकारियों को सर्मिपत है। इससे दूरस्थ क्षेत्रों के अंतिम व्यक्ति तक विकास के लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी।

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपने एक घंटे 36 मिनट का बजट भाषण पूरा करते ही कहा कि पूरे उत्तराखंड और देश-दुनिया में रह रहे प्रवासियों की नजर इस सत्र पर टिकी है। उनकी अनेक आशाएं, अपेक्षाएं सत्र से हैं। उत्तराखंड आंदोलन का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि जब यह पर्वतीय राज्य बना तो इसके पीछे सीधे तौर पर यहां का पिछड़ापन केंद्र में था। दूरस्थ क्षेत्रों तक अंतिम व्यक्ति तक विकास का लाभ पहुंचे, यह हमारा लक्ष्य है। यह कहते हुए वह भावुक भी हुए और फिर घोषणा की कि गैरसैंण राज्य की ग्रीष्मकालीन राजधानी होगी। इस दौरान जय उत्तराखंड का उद्घोष भी हुआ। विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने इसका स्वागत करते हुए कहा गैरसैंण ग्रीष्मकालीन राजधानी की घोषणा पर सदस्य ताली भी बजा सकते हैं।

बाद में मीडिया सेंटर में पत्रकारों से बातचीत में मुख्यमंत्री ने कहा कि विकास दूरस्थ क्षेत्रों तक पहुंचे, इसीलिए उत्तराखंड राज्य बना। यह सीमांत राज्य है और सामरिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। आपदा की दृष्टि से संवेदनशील है। कभी कहा जाता था कि पहाड़ का पानी और जवानी यहां के काम नहीं आते। ग्रीष्मकालीन राजधानी का निर्णय इन सब भावनाओं और चिंतन का परिणाम है। आज का दिन राज्य के लिए ऐतिहासिक है। यह समस्त राज्यवासियों का सम्मान है। उन्होंने कहा कि इसके स्वरूप आदि को लेकर बैठकर निर्णय लिया जाएगा। इस कड़ी में तमाम व्यवस्थाएं भी यहां जुटाई जा रही हैं।

उन्होंने कहा कि सदन में जब उन्होंने यह घोषणा की तो वह काफी भावुक क्षण था। गैरसैंण ग्रीष्मकालीन राजधानी से जनभावनाओं का सम्मान हुआ है। साथ ही खुलासा किया कि जब वह बजट पेश करने सदन में पहुंचे तो किसी को भी भान नहीं था कि मुख्यमंत्री ऐसी घोषणा करेंगे। सोच-समझकर और चिंतन-मनन के बाद उन्होंने यह घोषणा की। यह दूरस्थ क्षेत्रों के विकास में सहायक होगा। उन्होंने कहा कि 2017 के विस चुनाव के दौरान भाजपा के दृष्टिपत्र में भी इसका  उल्लेख था। यह वादा पूरा हो गया है। इस मौके पर मौजूद विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने मुख्यमंत्री के प्रति आभार जताया और कहा कि उन्हें उम्मीद थी कि मुख्यमंत्री इसका पटाक्षेप करेंगे और इस दिन का उन्हें भी इंतजार था। उन्होंने प्रदेश की जनता की ओर से मुख्यमंत्री का आभार जताया।

मुख्यमंत्री की इस घोषणा के बाद जहां विपक्षी कांग्रेस के सदस्य शांत रहे, वहीं निर्दलीय विधायक राम सिंह कैड़ा ने गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने के लिए मुख्यमंत्री के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया। उनके निर्दलीय विधायक प्रीतम सिंह पंवार ने भी देर शाम को सदन में सरकार की घोषणा का स्वागत किया। साथ ही गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनाने की मांग पर जोर दिया।

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विधानसभा के बजट सत्र के दौरान मंगलवार को जिस तरह कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक, अरविंद पांडेय के साथ ही भाजपा विधायकों ने ये बात कही थी कि गैरसैंण पर निर्णय हो जाना चाहिए, उससे यह संकेत मिलने लगे थे कि सरकार कुछ निर्णय ले सकती है।

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