उत्तराखंड में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी भूखे पेट करेंगे काम, इन मांगों को लेकर हैं मुखर

उत्तराखंड में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी आज से बिना अन्न ग्रहण किए काम करेंगे। कर्मचारी बीते सात सितंबर से आंदोलन पर हैं। कभी उन्होंने काली पट्टी बांधकर काम किया तो कभी ज्ञापन के माध्यम से उच्चाधिकारियों तक अपनी बात पहुंचाई।

By Raksha PanthariEdited By: Publish:Thu, 24 Sep 2020 06:00 AM (IST) Updated:Thu, 24 Sep 2020 06:00 AM (IST)
उत्तराखंड में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी भूखे पेट करेंगे काम, इन मांगों को लेकर हैं मुखर
उत्तराखंड में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी भूखे पेट करेंगे काम(प्रतीकात्मक फोटो)

देहरादून, जेएनएन। चतुर्थ श्रेणी राज्य कर्मचारी संघ (चिकित्सा, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण सेवाएं) के आह्वान पर प्रदेशभर के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी आज से बिना अन्न ग्रहण किए काम करेंगे। कर्मचारी बीते सात सितंबर से आंदोलन पर हैं। कभी उन्होंने काली पट्टी बांधकर काम किया, तो कभी ज्ञापन के माध्यम से उच्चाधिकारियों तक अपनी बात पहुंचाई। पर न मांगों पर कोई कार्रवाई हुई और न किसी ने उनसे वार्ता ही की। इससे आहत कर्मचारियों ने यह निर्णय लिया है कि जब तक उनकी मांगों का निस्तारण नही हो जाता वह भूखे पेट ही ड्यूटी करेंगे। 

प्रदेश अध्यक्ष मनवर सिंह नेगी और महामंत्री दिनेश लखेड़ा ने कहा कि संघ ने 21 अगस्त को सभी विभागाध्यक्षों को 7 सितंबर से आंदोलन का ज्ञापन दिया था, पर अभी तक इसका कोई संज्ञान नही लिया गया है। ऐसे में अब आंदोलन के चौथे चरण में कर्मचारी बिना अन्न ग्रहण किए अपनी करेंगे। उन्होंने कहा कि चतुर्थ श्रेणी कर्मियों को टेक्निकल घोषित कर स्टाफिंग पैटर्न पर उद्यान विभाग और निर्वाचन विभाग की ही तरह 4200 ग्रेड पे दिया जाए। 

उनको पशुपालन विभाग के चतुर्थ श्रेणी कर्मियों की तरह ही वेक्सीनेटर के पद पर पदोन्नति दी जाए। साथ ही स्टाफ नर्स की तरह पौष्टिक आहार भत्ता और जोखिम भत्ता भी उन्हें दिया जाए। पुलिस विभाग के चतुर्थ श्रेणी कर्मियों और वाहन चालकों की तरह एक माह का मानदेय देने की मांग भी उन्होंने की। उनका ये भी कहा कि लैब सहायक, डार्करूम सहायक, एनएमए, ओटी सहायक के सर्जित पदों पर नियमावली में संशोधन कर चतुर्थ श्रेणी कर्मियों को पदोन्नति की जाए। 

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प्रदेश संयुक्त मंत्री शिवनारायण सिंह और प्रदेश संगठन मंत्री नेलसन अरोड़ा ने कहा कि आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कर्मचारियों के डीडीओ कोड बहाल ना होने के कारण पेंशन और देयकों का भुगतान नहीं हो रहा है। न उन्हें वेतन ही समय से मिल पा रहा है। डीडीओ कोड बहाल किया जाए अन्यथा आंदोलन को उग्र करते हुए सामूहिक अवकाश, अधिकारियों का घेराव किया जाएगा।

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