Governors Research Award-2019: पांच शोधार्थियों को गवर्नर्स रिसर्च अवॉर्ड, राज्यपाल ने किया सम्मानित

शोध के लिए पांच शोधार्थियों को गवर्नर्स रिसर्च अवॉर्ड-2019 से सम्मानित किया गया। राजभवन में आयोजित कार्यक्रम में राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने पुरस्कार प्रदान किए।

By Raksha PanthariEdited By: Publish:Tue, 11 Feb 2020 08:05 PM (IST) Updated:Tue, 11 Feb 2020 08:05 PM (IST)
Governors Research Award-2019: पांच शोधार्थियों को गवर्नर्स रिसर्च अवॉर्ड, राज्यपाल ने किया सम्मानित
Governors Research Award-2019: पांच शोधार्थियों को गवर्नर्स रिसर्च अवॉर्ड, राज्यपाल ने किया सम्मानित

देहरादून, जेएनएन। विज्ञान और तकनीक के साथ ही सामाजिक क्षेत्र में शोध के लिए पांच शोधार्थियों को गवर्नर्स रिसर्च अवॉर्ड-2019 से सम्मानित किया गया। राजभवन में आयोजित कार्यक्रम में राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने पुरस्कार प्रदान किए। इस बार सामाजिक विषय और लोकभाषा के क्षेत्र में दो नए पुरस्कार भी जोड़े गए हैं। यह अलग बात है कि लोकभाषा में कोई भी शोध पत्र प्राप्त नहीं हुआ। 

राज्यपाल ने कहा कि उत्तराखंड को उत्कृष्ट और प्रगतिशील राज्य बनाने में शोधार्थियों की महत्वपूर्ण भूमिका है। शोधार्थियों को उत्तराखंड की स्थानीय समस्याओं व चुनौतियों पर अधिक से अधिक शोध करने होंगे। पलायन, पर्वतीय और जैविक कृषि, महिला सशक्तीकरण, लोक संस्कृति, लोक परम्पराओं, लोकभाषाओं और राज्य के अन्य अनछुए पहलुओं पर शोध किया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में ऐसे शोध कार्य होने चाहिए जिनका समाज को सीधा लाभ मिल सके। रिसर्च को अब 'लैब टू लैंड' यानी प्रयोगशालाओं से वास्तविक जमीन तक पहुंचाने की आवश्यकता है। रिसर्च करने वालों का मूल लक्ष्य यह होना चाहिए कि कैसे किसानों की आमदनी बढ़े, उद्योगों को कम लागत में अच्छा उत्पादन करने में मदद मिले और आम व्यक्ति को जीवन में सहूलियत मिल सके। राज्यपाल ने कहा कि शोध कार्यों की गुणवत्ता और सुचिता बनाए रखना भी बहुत आवश्यक है। हमें ऐसा तंत्र विकसित करना होगा कि विदेशी वैज्ञानिक और समाजशास्त्री हमारे विश्वविद्यालयों में शोध करने के इच्छुक हों।

सचिव राज्यपाल आरके सुधांशु ने कहा कि शोधार्थियों द्वारा ई-वेस्ट और पलायन पर किए गए शोध कार्य राज्य के लिए महत्वपूर्ण हैं। न्यू ई-वेस्ट पॉलिसी में शोधार्थियों के सुझावों को शामिल किया जाएगा। हमें समस्याओं के त्वरित समाधान के स्थान पर स्थायी समाधान खोजने के लिए गुणवत्तापूर्ण शोध कार्यों को प्रोत्साहित करना होगा। पुरस्कार स्क्रूटनी कमेटी के अध्यक्ष और जीबी पंत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. तेजप्रताप ने कहा कि राज्य में शोध कार्यों व नवाचारों को प्रोत्साहित करने में गवर्नर्स रिसर्च अवार्ड प्रेरणा का कार्य कर रहे हैं। एचएनबी चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. हेमचंद्र ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि समाज व देश के विकास व प्रगति में गुणवत्तापूर्ण शोध कार्यों का महत्वपूर्ण योगदान है। 

विज्ञान और तकनीक में प्रथम, द्वितीय और तृतीय पुरस्कार के रूप में क्रमश: पचास, तीस और 20 हजार रुपये की धनराशि व प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया। वहीं, सामाजिक विषय में 30 हजार रुपये और प्रशस्ति पत्र दिया गया। इस दौरान कुमाऊं विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. केएस राणा, दून विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एके कर्नाटक, श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. पीपी ध्यानी, आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. सुनील जोशी, तकनीक विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नरेंद्र एस चौधरी, उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. देवी प्रसाद त्रिपाठी आदि उपस्थित रहे। संचालन दून विवि के स्कूल ऑफ मैनेजमेंट के विभागाध्यक्ष प्रो. एचसी पुरोहित ने किया। 

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इन्हें मिला पुरस्कार 

विज्ञान और तकनीक क्षेत्र 

प्रथम पुरस्कार-रिचा चंदेल जीबी पंत इंस्टीट्यूट ऑफ इंजनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी। उनके शोध का विषय मीमो-डाइवर्सिटी एंटीना था। 

द्वितीय पुरस्कार-एई काते प्रौद्योगिकी महाविद्यालय (जीबी पंत कृषि एवं विश्वविद्यालय)। उन्होंने खुबानी के बीज से सुगमता से तेल निकालने को मशीन विकसित की। 

तृतीय पुरस्कार-डॉ. प्रसन्नजीत देववर्मा और डॉ. सौरभ गंगोला विज्ञान और मानविकी महाविद्यालय (जीबी पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय)। डॉ. प्रसन्नजीत ने ई-कचरा प्रबंधन के लिए पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने और डॉ. गंगोला ने साइपरमेथरिन रसायन का बायोडिग्रेडेशन पर काम किया है। 

सामाजिक क्षेत्र 

नियति नौडियाल दून विश्वविद्यालय। उन्होंने पर्वतीय कृषि और पलायन पर शोध किया। 

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