आइआइपी ने प्लास्टिक कचरे से बनाया ईंधन, मिला प्रथम पुरस्कार
राज्यपाल डा.कृष्ण कांत पाल ने प्लास्टिक कचरे से ईंधन बनाने के लिए इंडियन इंस्टीट्यूट आफ पेट्रोलियम (आईआईपी) को इनोवेटर अवार्ड प्रदान किए।
देहरादून, [जेएनएन]: प्लास्टिक कचरे से ईंधन बनाने के लिए इंडियन इंस्टीट्यूट आफ पेट्रोलियम (आईआईपी) को प्रथम, सेंसर आधारित स्मार्ट डस्टबिन बनाने के लिए ग्राफिक एरा हिल विवि को द्वितीय व एलईडी बल्ब रिपेयरिंग तकनीक के लिए स्पैक्स को तृतीय स्थान मिला। इस वर्ष राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर राजभवन में आयोजित की गई विज्ञान प्रदर्शनी के प्रतिभागियों में से विजेताओं का चयन किया गया है।
गुरुवार को राजभवन में आयोजित संक्षिप्त कार्यक्रम में राज्यपाल डा.कृष्ण कांत पाल ने इनोवेटर अवार्ड प्रदान किए।
राज्यपाल डा. कृष्ण कांत पाल ने कहा कि इनोवेटिव सोच रखना सबसे महत्वपूर्ण है। इनोवेटिव सोच से ही देश व समाज प्रगति कर सकता है। उन्होंने जापान का उदाहरण दिया कि वहां लौह अयस्क, कोयला व पेट्रोलियम नहीं है फिर भी विश्व बाजार में अग्रणी अर्थव्यवस्था है। जापान ने कारों में नई तकनीकों का प्रयोग कर कार उद्योग में अग्रणी स्थान प्राप्त किया।
राज्यपाल ने विजेताओं को बधाई देते हुए कहा कि इनोवटर अवार्ड से सम्मानित किए गए तीनों विजेताओं की कन्सेप्ट सराहनीय है। तीनों की कन्सेप्ट सामयिक व समाज हित में हैं। आशा है कि इनसे अन्य संस्थाओं व शोध छात्रों को प्रेरणा मिलेगी। राज्यपाल ने ग्राफिक ऐरा विवि को सेंसर आधारित स्मार्ट डस्टबिन सचिवालय व कुछ अन्य स्थानों पर लगाने को कहा।
राज्यपाल के निर्देश पर इनोवेशन व वैज्ञानिक शोध को बढ़ावा देने के लिए इस वर्ष राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर विज्ञान प्रदर्शनी आयोजित की गई थी। इसमें 10 संस्थानों के 26 माडल प्रदर्शित किए गए थे। श्रेष्ठ इनोवेशन के चयन के लिए दो सदस्यीय पैनल में सचिव राज्यपाल, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी रविनाथ रमन व महानिदेशक, यूकास्ट डा. राजेंद्र डोभाल सदस्य थे।
राज्यपाल ने प्रथम स्थान प्राप्त करने पर आईआईपी को पांच हजार रुपये व प्रमाण पत्र, दूसरे स्थान पर रहे ग्राफिक ऐरा को चार हजार रुपये व प्रमाण पत्र और तीसरे स्थान पर रहे स्पैक्स को तीन हजार रुपये व प्रमाण पत्र से सम्मानित किया गया। यह सम्मान राशि राज्यपाल विवेकाधीन कोष से प्रदान की गई है।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए यूकास्ट के महानिदेशक डा. राजेंद्र डोभाल ने बताया कि आईआईपी द्वारा विकसित तकनीक का प्रयोग कर प्लास्टिक कचरे से ईंधन बनाया जा सकता है। इससे प्लास्टिक प्रदूषण से निजात मिल सकती है। ग्राफिक ऐरा द्वारा विकसित सेंसर युक्त डस्टबिन के नजदीक जाते ही इसका ढक्कन अपने आप खुल जाएगा। इसी प्रकार स्पैक्स द्वारा विकसित की गई तकनीक में नाम मात्र की लागत में ही फ्यूज एलईडी बल्ब को सुधारा जा सकता है।
कार्यक्रम में आइआइपी के डा. अन्जन रे, अमन कुमार जैन व डा. सनत कुमार, ग्राफिक ऐरा हिल विवि के राहुल चैहान, राकेश थपलियाल, नीरज कुमार व स्पैक्स के डा. बृजमोहन शर्मा, मोना बाली व रामतीर्थ मौर्या उपस्थित थे।
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