उत्तराखंड के वीर सपूतों ने बढ़ाया मान, आइएमए से पासआउट होने वाला हर 12वां अधिकारी यहां से

देश की सुरक्षा और सम्मान के लिए देवभूमि के वीर सपूत हमेशा ही आगे रहे हैं। यही कारण है कि आइएमए से पासआउट होने वाला हर 12वां अधिकारी उत्तराखंड से है।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Sat, 01 Jun 2019 09:39 AM (IST) Updated:Sat, 01 Jun 2019 09:39 AM (IST)
उत्तराखंड के वीर सपूतों ने बढ़ाया मान, आइएमए से पासआउट होने वाला हर 12वां अधिकारी यहां से
उत्तराखंड के वीर सपूतों ने बढ़ाया मान, आइएमए से पासआउट होने वाला हर 12वां अधिकारी यहां से

देहरादून, जेएनएन। उत्तराखंड को वीरों की भूमि यूं ही नहीं कहा जाता। यहां के लोकगीतों में शूरवीरों की जिन वीर गाथाओं का जिक्र मिलता है, पराक्रम के वह किस्से देश-विदेश तक फैले हैं। देश की सुरक्षा और सम्मान के लिए देवभूमि के वीर सपूत हमेशा ही आगे रहे हैं। यही कारण है कि आइएमए से पासआउट होने वाला हर 12वां अधिकारी उत्तराखंड से है। वहीं भारतीय सेना का हर पाचवां जवान भी इसी वीरभूमि में जन्मा है।

आइएमए में आयोजित एसीसी की ग्रेजुएशन सेरेमनी में भी इस समृद्ध सैन्य विरासत की झलक साफ दिखी। सैन्य अफसर बनने की तरफ कदम बढ़ाने वाले युवाओं में छह फीसद से अधिक कैडेट उत्तराखंड से हैं। प्रदेश की जनसंख्या के लिहाज से यह संख्याबल ध्यान खींचता है। उत्तराखंड की आबादी देश की कुल जनसंख्या का 0.84 प्रतिशत है। जबकि सैन्य वर्दी की ललक यहां के युवाओं में इससे कई ज्यादा है। यह दिखाता है कि देश रक्षा में उत्तराखंडी वीर हमेशा अग्रिम पंक्ति में खड़े हैं। इसके अलावा एसीसी में आतंक प्रभावित जम्मू-कश्मीर का प्रतिनिधित्व भी देखने लायक है। इसके अलावा उत्तर प्रदेश, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, बिहार, पंजाब, राजस्थान आदि का भी अच्छा संख्याबल है। गुजरात व पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों का प्रतिनिधित्व भी बढ़ा है।

कहां से कितने कैडेट 

हरियाणा-03, उप्र-04, पंजाब-05, बिहार-05, हिमाचल प्रदेश-05, उत्तराखंड-04, कर्नाटक-02- गुजरात-03, पश्चिम बंगाल-04, मणिपुर-01, राजस्थान-03, जम्मू-कश्मीर-04, उड़ीसा-01, दिल्ली-02, मध्य प्रदेश-03, केरल-04, मेघालय-01, नेपाल-04, महाराष्ट्र-02, तेलंगाना-01, मिजोरम-01, असम-01, झारखंड-01, आंध्र प्रदेश-01

किसान के बेटे सैन्य अफसर बनने की राह पर

भारत विविधता में एकता का देश है। बात जब देश की आन, बान और शान की हो तो यहां के हर जर्रे में देशप्रेम की गूंज साफ सुनाई पड़ती है। कॅरियर के तमाम विकल्पों के बीच भी युवाओं में वर्दी की ललक कम नहीं हुई है। एसीसी के दीक्षांत समारोह में शामिल कैडेटों पर नजर दौड़ाएं तो यहां जय जवान-जय किसान का नारा भी चरितार्थ होता दिखा है। झारखंड के हजारीबाग जनपद के रहने वाले चंदन कुमार सिंह के पिता ग्रीन सिंह किसान हैं। खेती से ही परिवार की गुजर बसर होती है। 

चंदन का बचपन से ही सपना था कि वह सेना का अफसर बने। इसके लिए खूब मेहनत की, लेकिन कई परिस्थितियों के चलते वे कामयाब नहीं हुए। इसके बाद उन्होंने सेना को बतौर सिपाही ज्वाइन कर लिया। पर हौसला बनाए रखा और कड़ी मेहनत के बूते एसीसी में दाखिला लेने में कामयाब हुए। उन्हें कला वर्ग में कमांडेंट सिल्वर मेडल मिला है। इसी तरह मंडी हिमाचल प्रदेश के हरि सिंह भी छोटे किसान हैं। उनके बेटे लक्ष्मण दास भी तीन साल पहले सेना में भर्ती हुए थे। इसके बाद लक्ष्मण भी यहा एसीसी में प्रवेश पाने में सफल हो गए। उन्हें चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ ब्राज मेडल से नवाजा गया। उनके भाई हंसराज भी आर्मी मेडिकल कोर का हिस्सा हैं।

 पिता का काम नहीं, फौजी वर्दी को चुना आर्मी कैडेट कॉलेज के 113वें दीक्षांत समारोह में पंजाब के होशियापुर निवासी गौतम को तीन मेडल हासिल हुए। उन्होंने न केवल सेना प्रमुख स्वर्ण पदक प्राप्त किया बल्कि सर्विस सब्जेक्ट व विज्ञान वर्ग में कमांडेंट सिल्वर मेडल मिला। उनके पिता विजय कुमार शर्मा रेडीमेड कपड़ों की दुकान चलाते हैं। छोटा बेटा अमित भी इसी में हाथ बंटाता है। पर गौतम ने इससे अलग राह चुनी। 2012 में बतौर सिपाही एयरफोर्स के भर्ती हुए और अब अफसर बनने की राह पर हैं।

असफलता पर भी नहीं डिगा हौसला जम्मू-कश्मीर निवासी अजित सिंह काटल ने चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ सिल्वर मेडल प्राप्त किया। उनकी पढ़ाई केवि सांबा से हुई है। दो बार एनडीए की परीक्षा दी पर सफल नहीं हुए। पर असफलता पर भी उनका हौसला नहीं डिगा। वर्ष 2013 में एयरफोर्स ज्वाइन की और फिर कड़े परिश्रम के बूते यहां तक का सफर तय किया। उनके पिता सुखदेव सिंह सीआरपीएफ से सेवानिवृत्त हैं और भाई गुरमीत सीआरपीएफ में हेड कांस्टेबल है।

तस्वीरों में दिखा फील्ड मार्शल फिलिप चेटवुड का जीवन

सैन्य प्रशिक्षण सिर्फ सैन्य कौशल व हथियारों की महराथ हासिल करना ही नहीं है। बल्कि कैडेटों को विभिन्न क्लब के माध्यम से तरह-तरह की गतिविधियों से उनकी ओवर ऑल क्षमता को भी निखारा जाता है। आइएमए की चेटवुड बिल्डिंग में द एंड ऑफ टर्म इंडोर क्लब एग्जीबीशन में कैडेटों का ऐसा ही हुनर दिखाई दिया। प्रदर्शनी का आइएमए के कमांडेंट ले. जनरल एसके झा की पत्नी अनिता झा ने शुभारंभ किया। जिसमें 1930 के आर्मी चीफ फील्ड मार्शल फिलिप वॉलहाउस चेटवुड की 150वीं जयंती को समर्पित फोटो, पेंटिंग व स्कैच लगाए गए। 

इनके माध्यम से उनका जीवन दर्शन दिखाया गया। इसके अलावा आर्ट क्लब, फोटोग्राफी एंड वाइल्ड लाइफ क्लब और कंप्यूटर क्लब की प्रतिभा भी खूब दिखी। ऑयल एंड चारकोल पेंटिंग और स्केच ने सभी का ध्यान खींचा। फोटोग्राफी क्लब ने वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफी में अपना हुनर प्रस्तुत किया। कंप्यूटर क्लब ने टेक्निकल फील्ड की जानकारी दी। इस दौरान बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले कैडेटों को मुख्य अतिथि ने पुरस्कार भी प्रदान किए।

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