कर्मचारी संगठन ने आंदोलन वापस लेकर गेंद सीएम के पाले में डाली
कैबिनेट बैठक से निराश कर्मचारियों ने फिलहाल आंदोलन वापस लेकर गेंद सीएम के पाले में डाल दी है।
देहरादून, जेएनएन। कैबिनेट बैठक से निराश कर्मचारियों ने आखिरकार प्रदेश सरकार को मौका दे ही दिया। कर्मचारी संगठन ने फिलहाल आंदोलन वापस लेकर गेंद सीएम के पाले में डाल दी है। कर्मचारियों का कहना है कि उन्होंने सरकार पर भरोसा जताया है। अब आंदोलन पूरी तरह सीएम के रुख पर निर्भर करेगा।
दरअसल, कैबिनेट में कर्मचारियों की दस सूत्री मांगों पर कोई बड़ा फैसला न होने से कर्मचारियों में निराशा नजर आ रही थी। इसके बाद अंदाजा लगाया जा रहा था कि कर्मचारी संगठन चार फरवरी को महारैली का आयोजन अवश्य करेंगे। लेकिन, शनिवार को हुई बैठक में उत्तराखंड अधिकारी-कर्मचारी-शिक्षक समन्वय मंच ने विमर्श कर महारैली को स्थगित करने करने का निर्णय लिया। इसके पीछे यह तर्क दिया कि कर्मचारियों को सरकार को भी कुछ समय देना चाहिए। हठपूर्ण रवैया उचित नहीं है।
सरकार न भूले 2019 चुनाव: समन्वय समिति ने सरकार को चेताते हुए कहा कि यदि कर्मचारियों के साथ छलावा किया गया तो वह 2019 लोकसभा का चुनाव न भूले। क्योंकि यदि कर्मचारियों के साथ न्याय नहीं हुआ तो चुनाव में सरकार को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। इसे कर्मचारियों की चुनाव के नाम पर सरकार पर दबाव बनाने की कारगर रणनीति बताया जा रहा है।
निष्ठा पर भी सवाल
समन्वय समिति के अध्यक्ष दीपक जोशी ने कहा कि 31 जनवरी को सामूहिक अवकाश के दिन हजारों कर्मचारी ऐसे थे, जिन्होंने कार्यालयों में सुबह पहुंचकर ही बायोमीटिक हाजिरी लगा दी। इसके बाद वे दिखावे के लिए आंदोलन में शामिल हो गए। कहा कि ऐसे कर्मचारियों की वजह से आंदोलन कमजोर होता है। इसके लिए उन्होंने सचिवालय संघ के सदस्यों को भी कोसा और ऐसे कर्मचारियों की सूची तैयार कर उन्हें चिह्नित करने की बात कही।
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