स्वामी चिदानंद बोले, खाद्य पदार्थ और जल की गुणवत्ता को अक्षुण्ण बनाने को मिलकर हों प्रयास

परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि पृथ्वी पर प्रत्येक मनुष्य के अस्तित्व को बचाये रखने के लिए शुद्ध भोजन स्वच्छ जल और प्रदूषण रहित वायु की जरूरत होती है। अगर ये तीनों तत्व प्रदूषित हो जाएं तो जीवन पर संकट मंडराने लगता है।

By Raksha PanthriEdited By: Publish:Mon, 07 Jun 2021 02:05 PM (IST) Updated:Mon, 07 Jun 2021 02:05 PM (IST)
स्वामी चिदानंद बोले, खाद्य पदार्थ और जल की गुणवत्ता को अक्षुण्ण बनाने को मिलकर हों प्रयास
खाद्य पदार्थ और जल की गुणवत्ता को अक्षुण्ण बनाने को मिलकर हों प्रयास।

जागरण संवाददाता, ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि पृथ्वी पर प्रत्येक मनुष्य के अस्तित्व को बचाये रखने के लिए शुद्ध भोजन, स्वच्छ जल और प्रदूषण रहित वायु की जरूरत होती है। अगर ये तीनों तत्व प्रदूषित हो जाएं तो जीवन पर संकट मंडराने लगता है। खाद्य पदार्थ और जल की गुणवत्ता को अक्षुण्ण बनाये रखने के लिए सभी को मिलकर प्रयास करना होगा।

विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस पर स्वामी चिदानंद सरस्वती ने दूषित भोजन और प्रदूषित जल से होने वाली बीमारियों के प्रति जागरूक रहने का संदेश दिया। इस अवसर पर परमार्थ निकेतन की ओर से निराश्रितों और जरूरतमंद परिवारों को राशन और दैनिक उपयोग में आने वाली वस्तुओं के किट वितरित किए गए। स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि इस समय कई लोग बेरोजगार हुए हैं, ऐसे में सबसे पहली जरूरत है भोजन। सभी मिलकर मदद के लिए आगे आएं तो उन परिवारों को संबल प्राप्त होगा और कुछ राहत भी मिलगी।

विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस मनाने का उद्देश्य है कि खाद्य सुरक्षा, मानव स्वास्थ्य, आर्थिक समृद्धि और सतत विकास में योगदान देने के साथ खाद्य और जल जनित जोखिमों को कम करना और सुरक्षित खाद्य मानकों को बनाए रखने के लिये जागरूकता पैदा करना है। विश्व में 1.8 बिलियन लोग दूषित जल का उपयोग करते हैं जिसके कारण विभिन्न प्रकार की बीमारियां जैसे हैजा, पेचिश, टाइफाइड और पोलियो का खतरा बढ़ जाता है। वर्तमान समय में भी 663 मिलियन लोगों के पास स्वच्छ जल के स्रोतों का अभाव है। भारत में खाद्य और जल की समस्या से सामान्यतः गरीब अथवा समाजिक रूप से संवेदनशील समुदाय अधिक पीड़ित होते हैं। उन्होंने कहा कि भोजन से हमारे शरीर को ऊर्जा मिलती है। शारीरिक विकास के लिए हमारे शरीर को कार्बोहाइड्रेट, वसा और प्रोटीन आदि सभी पोषक तत्वों की जरूरत होती है।

दूषित भोजन के कारण बीमारियां तो होती ही हैं साथ ही यह दीर्घकालिक तौर पर भी प्रभाव डालता है। इससे शिक्षा, श्रम और उत्पादकता के साथ-साथ भारत की आर्थिक समृद्धि भी प्रभावित होती है। इस समय तो नागरिकों को रोटी की फ्रिक है, कईयों के पास तो रोजगार भी नहीं है। इस समय देश उस दौर से गुजर रहा है, जहां पर केवल जिंदा रहना ही अपने आप में विकास है। इसलिये इस कोरोना काल में ब्लैक मार्केटिंग न करें। यह समय कमाने का नहीं, बल्कि काम आने का है। एक दूसरे के काम आये और एक समृद्ध भारत के निर्माण में सहयोग प्रदान करें।

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