उधड़ी सड़कें दे रही दर्द

जागरण संवाददाता, देहरादून: यह सिस्टम लोगों के लिए है, सिस्टम से लोग नहीं हैं। लेकिन, राजधानी दून की

By Edited By: Publish:Wed, 26 Nov 2014 05:23 AM (IST) Updated:Tue, 25 Nov 2014 10:49 PM (IST)
उधड़ी सड़कें दे रही दर्द

जागरण संवाददाता, देहरादून: यह सिस्टम लोगों के लिए है, सिस्टम से लोग नहीं हैं। लेकिन, राजधानी दून की सूरत बिल्कुल उलट कहानी बयां करती है। लोगों को सीवरेज व्यवस्था मुहैया कराने को ऐसे रुलाया जा रहा है, जैसे एहसान किया जा रहा हो। इस कार्य में लगे पेयजल निगम व एडीबी विंग के अधिकारी मनमर्जी से जहां-तहां सड़क खोद रहे हैं और फिर महीनों तक उसे ऐसे ही छोड़ दिया जा रहा है। नतीजा, उधड़ी सड़कें, दुखता बदन, कराहते लोग और उनके उखड़े मूड के रूप में नजर आता है। ऐसी स्थिति शहर में एक-आध किलोमीटर पर नहीं, बल्कि 23 से अधिक कॉलोनियों के 30 किलोमीटर भाग पर है। ये मार्गों का वह हिस्सा है, जहां सीवर लाइन महीनों पहले बिछाई जा चुकी हैं, मगर अधिकारियों को सड़क मरम्मत की सुध नहीं है। स्थिति यह है कि बारिश में ये मार्ग कीचड़ से सन जाते हैं, तो धूप में धूल-मिट्टी के गुबार जनता का दम फुला देते हैं। बड़े-बड़े गड्ढे रोज नए हादसों को जन्म दे रहे हैं। सड़कों की बदहाली से घरों की सूरत बिगड़ चुकी है, तो व्यापारियों का कारोबार भी प्रभावित हुआ है। कुछ स्थानों को देखकर सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि जनसुविधाओं के नाम पर किस तरह जन की जीना मुहाल हो रहा है।

आकाशदीप कॉलोनी

कॉलोनी में दो साल पहले शुरू हुआ सीवर लाइन डालने का काम आज तक अधर में है। यहां कुछ हिस्से में तो सीवर लाइन डाल दी गई, लेकिन कुछ को यूं ही छोड़ दिया गया। जितने हिस्से में सीवर लाइन डाली जा चुकी है, वहां भी अब तक सड़क का निर्माण नहीं हो सका। लोग आए दिन शिकायतें करते हैं, लेकिन सब बेअसर।

ब्रह्मपुरी

ब्रह्मपुरी में विभाग ने कुछ हिस्से में तीन महीने पहले सीवर लाइन बिछाने के लिए सड़क खोदी थी, जबकि कुछ हिस्से में अब सीवर लाइन का काम किया जा रहा है। पहले खोदी गई सड़क की भी अब तक मरम्मत नहीं की गई है। विभाग की इस लापरवाही से लोग खुर्दबुर्द सड़कों पर चलने को विवश तो हैं ही धूल-मिट्टी से भी उनका बुरा हाल है।

इंदरपुर

इंदरपुर क्षेत्र के बद्रीपुर में 18 महीने पहले पेयजल निगम ने सीवर लाइन बिछाने के लिए सड़क खोद डाली। लोगों ने जब जल्द काम पूरा करने की मांग की तो विभाग ने आनन-फानन में लाइन बिछाकर सड़क को यूं ही छोड़ दिया। स्थिति ये है कि गड्ढे, धूल-मिट्टी व बारिश में कीचड़ होने से लोगों का हाल बुरा है। अब तक कई लोग यहां दुर्घटनाओं में घायल भी हो चुके हैं। कई बार शिकायत के बावजूद भी सुध नहीं ली जा रही।

रोचीपुरा

शहर के रोचीपुरा की हालत भी ऐसी ही है। रोचीपुरा में छह महीने पहले सड़क खोद दी गई, लेकिन अब तक वहां सीवर लाइन डालने का काम शुरू भी नहीं हुआ। यहां लोग आए दिन हादसों का शिकार हो रहे हैं। इसके अलावा विजय पार्क हरि विहार में भी छह महीने पहले सड़क खोद दी गई है। हालांकि, यहां सीवर लाइन तो डाली जा चुकी है, लेकिन अब तक सड़क का निर्माण नहीं किया गया।

मुसीबतों के इलाके

इंदर रोड, जाखन, रोचीपुरा, चमनपुरी, ब्रह्मपुरी, राजपुर रोड क्षेत्र, ब्राह्मणवाला, आकाशदीप कॉलोनी, त्यागी रोड, चंदर रोड, सालावाला, हाथीबड़कला, महबूब कॉलोनी, कांवली गांव, कालिंदी एनक्लेव, विजय पार्क, हरि विहार, पटेलनगर, पुलिस लाइन के पास, बल्लूपुर एनक्लेव, अशोक विहार, शिवाजी मार्ग नई बस्ती, रेसकोर्स, प्रगति विहार आदि।

योजना में जनसुविधा ऊपर, हकीकत में धरातल पर

अधिकारियों ने कार्यों में जनता की सुविधा को ही दरकिनार नहीं किया, साथ में योजना से वे पहलू भी गायब कर दिए, जिनमें जनता की सुविधा की पैरवी की गई थी। आइए जानते हैं किस तरह योजना में लोगों को छला गया।

-यदि सड़क की खुदाई में किसी का व्यापार प्रभावित हो रहा है तो उसका आंकलन कर योजना में मुआवजे का प्रावधान भी दिया गया है।

-जिस भी गली में सड़क खोदी जाएगी पहले उसकी सूचना दिए जाने का प्रावधान है, लेकिन अधिकारियों ने इसका कुछ भी पालन नहीं किया।

-यहां तक कि अधिकारियों को सड़क खोदने से पहले यह भी पूछना था कि उनका वाहन कितने बजे घर से बाहर निकलता है और कितने बजे उसे घर में वापस खड़ा किया जाता है। ताकि उसी के अनुरूप सड़क खोदी जा सके।

-इन तमाम बातों को लोगों तक पहुंचाने के लिए एनजीओ के माध्यम से प्रचार-प्रसार भी किया जाना था। कितने लोग यह बता सकते हैं कि उन्हें इन नियमों के बारे बताया गया। शायद एक भी नहीं।

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सभी जगह काम तेजी से कराया जा रहा है। जहां भी कार्य पूर्ण होता जाएगा, सड़क का निर्माण भी करा दिया जाएगा।

-वीके कौशिक, परियोजना प्रबंधक, एडीबी विंग

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निगम की ओर से 15 किलोमीटर सड़क का निर्माण करा दिया गया है। बाकी 15 किलोमीटर सड़क का निर्माण जल्द पूरा करा दिया जाएगा।

-ए हसन, अधीक्षण अभियंता, पेयजल निगम

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