राजधानी दून में पानी की गुणवत्ता पर नहीं थम रहा विवाद, कई सालों से पेयजल आपूर्ति की पोल खोल रही ये संस्था

दून में पानी की गुणवत्ता पर विवाद थम नहीं रहा है। स्पेक्स संस्था ने पिछली रिपोर्ट में भी पेयजल आपूर्ति की पोल खोली थी। वहीं स्पेक्स की रिपोर्ट को हमेशा की तरह खारिज करने वाले जल संस्थान इस दफा भी अपने रुख पर कायम है।

By Raksha PanthriEdited By: Publish:Sun, 12 Dec 2021 09:40 AM (IST) Updated:Sun, 12 Dec 2021 09:40 AM (IST)
राजधानी दून में पानी की गुणवत्ता पर नहीं थम रहा विवाद, कई सालों से पेयजल आपूर्ति की पोल खोल रही ये संस्था
राजधानी दून में पानी की गुणवत्ता पर नहीं थम रहा विवाद।

जागरण संवाददाता, देहरादून। राजधानी दून में पानी की गुणवत्ता पर विवाद थम नहीं रहा है। कई साल से दून में पानी की गुणवत्ता की जांच कर रही स्पेक्स संस्था ने पिछली रिपोर्ट में भी पेयजल आपूर्ति की पोल खोली थी। वहीं, स्पेक्स की रिपोर्ट को हमेशा की तरह खारिज करने वाले जल संस्थान इस दफा भी अपने रुख पर कायम है। हालांकि, इस बार आरटीआइ और मानवाधिकार कार्यकर्त्ता भूपेंद्र कुमार प्रकरण को लेकर मानवाधिकार आयोग के पास पहुंचे तो कहानी में नया मोड़ आ गया। आरोप-प्रत्यारोप तक सीमित पेयजल गुणवत्ता पर अब आयोग ने स्थिति स्पष्ट कराने को कहा है।

आयोग सदस्य अखिलेश चंद्र शर्मा ने स्पेक्स के सचिव डा. बृजमोहन शर्मा को नोटिस जारी कर पेयजल गुणवत्ता पर विस्तार से पक्ष रखने को कहा है। इससे पहले आरटीआइ कार्यकर्त्ता भूपेंद्र कुमार की शिकायत पर मानवाधिकार आयोग ने जल संस्थान को नोटिस जारी किया था। नोटिस के जवाब में जल संस्थान ने भी पानी की गुणवत्ता की जांच कराई। विभाग की तरफ से दाखिल जवाब में कहा गया कि स्पेक्स ने 53 स्थानों पर क्लोरीन की मात्रा मानक से कहीं अधिक बताई है। सच्चाई यह है कि विभागीय परीक्षण में क्लोरीन की मात्रा भारतीय मानक ब्यूरो के मानकों के अनुरूप ही है। इसके अलावा विभाग की तरफ से कराए गए परीक्षण में पानी में फिकल कालीफार्म व अन्य हानिकारक तत्व भी नहीं पाए गए।

प्रकरण की सुनवाई करते हुए आयोग ने कहा कि यह प्रकरण आमजन की सेहत से जुड़ा है और अत्यंत गंभीर है। लिहाज, पेयजल गुणवत्ता को आरोप-प्रत्यारोप से बाहर निकालकर स्पष्ट कराना जरूरी है। आयोग ने कहा कि सच्चाई जानने के लिए स्पेक्स सचिव डा. शर्मा के पक्ष को भी जानना जरूरी है, ताकि स्पष्ट हो सके कि जो जांच वह कर रहे हैं वह किस तरह जल संस्थान की जांच से भिन्न है। डा. बृजमोहन शर्मा को पक्ष रखने के लिए चार सप्ताह का समय दिया गया है। प्रकरण में अगली सुनवाई अब 24 फरवरी 2022 को होगी।

यह भी पढ़े- जहां लगातार जाते हैं उत्तराखंड के सीएम, मंत्री और विधायक वहीं उखड़ रही नई सड़क, जांच के निर्देश

chat bot
आपका साथी