11 जिलों में भू अभिलेख डिजिटलीकरण की मंजूरी

प्रदेश के सभी जिलों में भू-अभिलेख न सिर्फ महफूज रहेंगे बल्कि कोई भी इन्हें आसानी से देख सकेगा।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 28 Aug 2019 10:33 PM (IST) Updated:Wed, 28 Aug 2019 10:33 PM (IST)
11 जिलों में भू अभिलेख डिजिटलीकरण की मंजूरी
11 जिलों में भू अभिलेख डिजिटलीकरण की मंजूरी

राज्य ब्यूरो, देहरादून: प्रदेश के सभी जिलों में भू-अभिलेख न सिर्फ महफूज रहेंगे, बल्कि कोई भी इन्हें आसानी से देख सकेगा। केंद्र सरकार ने अब 11 जिलों भी डिजिटल इंडिया लैंड रिकार्ड मॉर्डनाइजेशन प्रोग्राम (डीआइएलआरएमपी)के तहत भूमि अभिलेखों के डिजिटलीकरण को मंजूरी दे दी है। सरकार की कोशिश है कि एक माह के भीतर इन जिलों में यह कार्य शुरू करा दिया जाए। इससे पहले इस कार्यक्रम के तहत अल्मोड़ा और पौड़ी जिलों में भू-अभिलेखों का डिजिटलीकरण किया जा चुका है।

पूर्व में जमीनों के नक्शे समेत अन्य अभिलेख कपड़े अथवा कागज पर बनते थे। ऐसे में इन्हें लंबे समय तक बचाए रखना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं होता। रिकार्ड दुरुस्त न होने के कारण आ रही दिक्कतों को देखते हुए केंद्र सरकार ने भू अभिलेखों के डिजिटलीकरण पर जोर दिया। इस कड़ी में पूर्व में उत्तराखंड के दो जिलों पौड़ी व अल्मोड़ा को डीआइएलआरएमपी में शामिल किया गया। राजस्व परिषद इन जिलों में यह कार्य पूरा करा चुकी है। इन जिलों की तहसीलों में रिकार्ड को सुरक्षित रखने के लिए मॉडल रिकार्ड रूम भी बनाए गए हैं।

इन जिलों की सफलता से उत्साहित राजस्व परिषद ने राज्य के शेष 11 जिलों को भी इस योजना में शामिल करने का आग्रह केंद्र सरकार से किया। आयुक्त एवं सचिव राजस्व परिषद बीएम मिश्र के अनुसार केंद्र सरकार ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। उन्होंने बताया कि भूलेखों के डिजिटलीकरण के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू की जा रही है। कोशिश ये है कि एक माह के भीतर यह कार्रवाई पूर्ण कर डिजिटलीकरण का कार्य प्रारंभ कर दिया जाए। इस मुहिम के परवान चढ़ने पर राज्य के सभी जिलों में भूमि अभिलेख डिजिटल हो जाएंगे।

जमीनों की सही स्थिति आएगी सामने

राजस्व परिषद के आयुक्त मिश्र ने बताया कि राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में जमीनों की स्थिति भी अपडेट नहीं है। इसे दुरुस्त करने के मद्देनजर योजना के तहत मॉडर्न तकनीक से एरियल सर्वे किया जाएगा। इसके साथ ही पार्सल सर्वे (खेत को इकाई मानकर किया जाने वाला सर्वे) भी किया जाएगा। एरियल और पार्सल सर्वे से ग्रामीण क्षेत्रों में जमीनों की सही स्थिति सामने आ सकेगी।

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