चातुर्मास की नींद से जागे भगवान विष्णु

देवोत्थान एकादशी पर दून के तमाम मंदिरों और घरों में भगवान की पूजा की गई।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 19 Nov 2018 07:58 PM (IST) Updated:Mon, 19 Nov 2018 07:58 PM (IST)
चातुर्मास की नींद से जागे भगवान विष्णु
चातुर्मास की नींद से जागे भगवान विष्णु

जागरण संवाददाता, देहरादून : देवोत्थान एकादशी पर दून के तमाम मंदिरों और घरों में भगवान विष्णु की विशेष पूजन-अर्चना की गई। श्रद्धालुओं ने व्रत रख सुख-समृद्धि की कामना की। मंदिरों और घरों में सत्यनारायण कथा का पाठ किया गया। वहीं तुलसी विवाह की रस्म भी धूमधाम से की गई। मान्यता अनुसार देवोत्थान एकादशी पर भगवान विष्णु अपनी चातुर्मास नींद पूरी करने के बाद जागते हैं। इसके बाद से सभी शुभ कार्य शुरू हो जाते हैं।

सोमवार को सहारनपुर चौक स्थित श्री पृथ्वीनाथ महादेव मंदिर में तुलसी व शालिग्राम प्रभु का विधिवत पूजन कर उन्हें सिंहासन पर विराजमान किया गया। श्रद्धालुओं ने मूंगफली, आवंला, सिंघाड़े, रेवड़ी और फल आदि चढ़ाए। वहीं तुलसी का श्रृंगार कर चूड़ी, बिंदी, चूनर आदि अर्पित किए गए। इसके बाद तुलसी और शालिग्राम प्रभु का विवाह कराया गया। इस दौरान दिगंबर भागवत, दिगंबर दिनेश पुरी, पंडित आशीष उनियाल, पंडित भरत भूषण, नवीन गुप्ता, दीपक मित्तल, सचिन गुप्ता, विकी गोयल आदि मौजूद रहे।

श्री श्याम सुंदर मंदिर पटेल नगर में तुलसी और शालिग्राम का विवाह धूमधाम से संपन्न हुआ। सुबह के समय क्षेत्र में प्रभात फेरी निकाली गई। शाम के समय श्रद्धालुओं ने सुंदर भजनों की प्रस्तुति दी। इस दौरान प्रधान अवतार मुनियाल, ओम प्रकाश सूरी, प्रवीन कुकरेजा, नवीन टुटेजा, राज कुमार छाबड़ा, दिनेश सूरी, यशपाल मग्गो आदि मौजूद रहे। इस दिन पूजा करने से अनंत पुण्य की होती है प्राप्ति

आचार्य सुशांत राज ने बताया कि इसे प्रबोधिनी एकादशी भी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा, दान, तप, हवन आदि करने से अनंत पुण्य की प्राप्ति होती है। जो इस दिन विधान पूर्वक व्रत करते हैं, उन्हें अनंत सुख की प्राप्ति होती है।

भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं का किया वर्णन

कालिका मंदिर में चल रही भागवत कथा में पंडित देवेंद्र शास्त्री उपाध्याय ने भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं का सुंदर वर्णन किया। कहा कि कृष्ण को यशोदा मैया ने ऊखल से बांधा तो उनका नाम दामोदर पड़ गया। जब वह गोकुल छोड़कर वृंदावन आए तो बिहारी कहलाए। उन्होंने कहा कि कृष्ण ने अपनी तर्जनी अंगुली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर इंद्र के अहंकार को तोड़ा था। इस मौके पर भजनों की प्रस्तुति पर श्रद्धालु झूम उठे। इस दौरान ट्रस्टी दयाल भवन, साहिब राम डोरा, एलडी भाटिया, उमेश मिनोचा, जितेंद्र अरोड़ा, प्रेम आनंद, महेश डोरा आदि मौजूद रहे।

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