तो नैनीताल हाई कोर्ट से ऊपर है देहरादून डीएम कोर्ट

हाई कोर्ट ने नदी श्रेणी की जमीनों पर किए गए सभी आवंटन को निरस्त करने के आदेश दिए थे, लेकिन यह मामला लंबे समय से जिलाधिकारी की ही कोर्ट में लंबित है।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Mon, 07 Jan 2019 09:48 AM (IST) Updated:Mon, 07 Jan 2019 09:48 AM (IST)
तो नैनीताल हाई कोर्ट से ऊपर है देहरादून डीएम कोर्ट
तो नैनीताल हाई कोर्ट से ऊपर है देहरादून डीएम कोर्ट

देहरादून, सुमन सेमवाल। ऐसा लगता है देहरादून के जिलाधिकारी अपनी कोर्ट को नैनीताल हाई कोर्ट से भी ऊपर समझने लगे हैं। 10 अगस्त 2018 के आदेश में हाई कोर्ट ने नदी श्रेणी की जमीनों पर किए गए सभी आवंटन को निरस्त करने के आदेश दिए थे, जबकि उत्तराखंड सचिवालय आवासीय सहकारी समिति के भूखंडों के मामले में अधिकारी हाई कोर्ट के आदेश पर पर्दा डालने से भी नहीं चूक रहे। गंभीर यह कि समिति ने भारूवाला ग्रांट में जिन भूखंडों 374 प्लॉट प्रस्तावित किए हैं, उनमें से करीब 90 बीघा भूमि नदी श्रेणी की है और यह मामला लंबे समय से जिलाधिकारी की ही कोर्ट में लंबित है।

अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) बीर सिंह बुदियाल की अध्यक्षता वाली जांच टीम की रिपोर्ट में भी इस बात का जिक्र किया गया है कि भारूवाला ग्रांट में खसरा नंबर 51, 53, 50, 246, 957क, 958क व 959 नदी श्रेणी की भूमि के हैं। इस रिपोर्ट को ताजा मानकर अभी कार्रवाई को अपेक्षित माना जा सकता है। मगर, वर्ष 2016 में भी सचिवालय समिति के अंतर्गत आने वाले भूखंडों की जांच तत्कालीन अपर जिलाधिकारी (प्रशासन) प्रताप शाह की अध्यक्षता वाली समिति कर चुकी है। तब भी यही बात निकलकर आई थी कि इस क्षेत्र की भूमि नदी श्रेणी है।

45 बीघा की थी खरीद, म्यूटेशन हुआ था 90 बीघा पर

वर्ष 2016 की जांच से पहले इस क्षेत्र में एक निजी कंपनी ने 45 बीघा जमीन खरीदी थी, जबकि म्यूटेशन 90 बीघा पर करा लिया गया था। तब यह भूमि चार अलग-अलग लोगों के कब्जे में थी। जिन दो कब्जेदारों से भूमि नहीं खरीदी थी, उन्होंने जिलाधिकारी के यहां वाद दायर कर म्यूटेशन को निरस्त करने की मांग की थी। इसी क्रम में जब जांच रिपोर्ट सामने आई तो उसमें स्थिति स्पष्ट कर दी गई थी।

जांच टीम ने कहा था कि जितने भूखंड की खरीद होनी दिखाई गई है, उसमें से आधे पर ही खरीद की गई थी। हालांकि, टीम ने यह भी कहा कि इसके बाद भी कुल क्रयशुदा भूमि भी नदी श्रेणी की है, लिहाजा क्रेता को कब्जा दिलाया जाना संभव नहीं है। इसके लिए अधिकारियों ने राजस्व व न्याय विभाग से निर्देश प्राप्त करने की संस्तुति की थी। उस समय हाई कोर्ट का आदेश नहीं आया था, जबकि अब कोर्ट के स्पष्ट दिशा निर्देश के बाद भी अधिकारी मामले में सिर्फ लीपापोती ही कर रहे हैं।

हाई कोर्ट के आदेश का किया जाएगा अनुपालन 

जिलाधिकारी एसए मुरूगेशन का कहना है कि नदी श्रेणी की भूमि के मामले में हाई कोर्ट के आदेश का अनुपालन किया जाएगा। जहां तक बात मेरे कोर्ट में चल रहे वाद की है तो उसका निपटारा कोर्ट के अनुरूप ही किया जाएगा। इस पर अभी किसी तरह की टिप्पणी करना संभव नहीं है।

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