उत्‍तराखंड में मौसम की मार से खेती को नुकसान, सड़क बंद होने से कृषि उत्पाद नहीं पहुंच पा रहे बाजार तक

उत्‍तराखंड में तीन दिन हो रही बारिश से खेतबाड़ी को खासा नुकसान हो रहा है। बारिश से किसानों को दो तरफा मार पड़ रही है। एक तो खेतों में फसलों को नुकसान हो रहा है जबकि मार्ग बंद होने से कृषि उत्‍पाद बाजारों तक नहीं पहुंच पा रहा है।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Fri, 27 Aug 2021 05:37 PM (IST) Updated:Fri, 27 Aug 2021 05:37 PM (IST)
उत्‍तराखंड में मौसम की मार से खेती को नुकसान, सड़क बंद होने से कृषि उत्पाद नहीं पहुंच पा रहे बाजार तक
चकराता-त्यूणी स्टेट राजमार्ग पर चकराता छावनी बाजार के पास भूस्खलन के चलते बाधित यातायात।

जागरण संवाददाता, देहरादून। उत्तराखंड में बीते तीन दिन से हो रही भारी बारिश खेती-किसानी के लिए भी आफत बन गई है। खेतों में खड़ी फसलों को तो भारी बारिश से नुकसान पहुंच ही रहा है। सड़क मार्गों पर भूस्खलन के कारण आ रही रुकावट कृषि उत्पादों को बाजार तक नहीं पहुंचने दे रही है। ऐसे में किसानों के सामने उत्पादों के खराब होने का संकट बना हुआ है।

इस बार जुलाई में हुई सामान्य बारिश के बाद अगस्त के शुरुआती पखवाड़े में बारिश न के बराबर हुई। लेकिन, पिछले कुछ दिन से आसमान से आफत बरस रही है। खासकर देहरादून, ऋषिकेश, विकासनगर, मसूरी, धनोल्टी और चकराता में जमकर बारिश हो रही है। ऐसे में खेतों और सड़कों को खासा नुकसान पहुंच रहा है। कुमाऊं समेत पूरे प्रदेश के नौ जिलों में 30 से 50 फीसद तक फसलें चौपट हो गईं हैं। इस दौरान महकमें भी नुकसान का आकलन करना करने में जुट गए हैं। साथ ही मई में हुए नुकसान के संबंध में सभी जिलों से रिपोर्ट मांगी गई है। मानसून सीजन में राज्य में इस मर्तबा भी जून में सामान्य बारिश रही, इसके बाद जुलाई में क्रम धीमा ही रहा। हालांकि, अब मानसून की बारिश अफत बन गई है। जिससे औद्यानिकी फसलों विशेषकर सेब समेत अन्य फलों के अलावा सब्जियों व मसालों को भारी नुकसान पहुंचा है।

इस समय केवल 33 फीसद से अधिक प्रभावित क्षेत्र वाले जिलों में क्षति का अनुमानित मूल्य 50 करोड़ रुपये से अधिक आंका गया है। इसके अलावा नकदी फसलों को पहुंचे नुकसान का अभी सटीक आकलन नहीं किया जा सका है।

हाईवे खोलने का कार्य अंतिम चरण में पहुंचा

चमोली में भारत-चीन सीमा पर नीति मलारी घाटी के गांवों को जोड़ने वाला जोशीमठ मलारी राष्ट्रीय राजमार्ग 13 दिन से अभी भी बंद है। जिससे सीमांत वासियों सहित सेना को दिक्कतें हो रही है। जिलाधिकारी हिमांशु खुराना ने बताया कि हाईवे खोलने का कार्य अंतिम चरण में है। सीमा क्षेत्र के गांवों की पैदल आवाजाही अब सड़क मार्ग से ही हो रही है। उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ने पर प्रशासन के पास हेली मौजूद है। मौसम साफ होने पर आवश्यकता अनुसार हैली का इस्तेमाल होगा।

बीआरओ हाईवे खोलने कार्य में जुटा है, बीआरओ की पांच मशीन और 30 मजदूर मौके पर ही कार्य में जुटे हुए है, बीआरओ ने सड़क निर्माण का कार्य कर दिया केवल सड़क से बड़े बड़े बोल्डरों को हटाने का काम कर रही है, लेकिन स्लाइड से रुक रुक कर मलवा पत्थर गिरने का सिलसिला जारी है। सीमा क्षेत्र में बिजली सप्लाई भी सुचारू करने के लिए लाइन पर मरम्मत का कार्य किया जा रहा है।

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