सबको साथ लेकर चलने की रही कोशिश

निकाय चुनाव में महापौर व अध्यक्ष पदों पर प्रत्याशी तय करने में कांग्रेस ने सभी जिलों में पूर्व सांसदों व मौजूदा विधायकों के साथ ही पूर्व विधायकों और जिला पदाधिकारियों की पसंद को पूरी तवज्जो देने का प्रयास किया।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 22 Oct 2018 03:00 AM (IST) Updated:Mon, 22 Oct 2018 03:00 AM (IST)
सबको साथ लेकर चलने की रही कोशिश
सबको साथ लेकर चलने की रही कोशिश

राज्य ब्यूरो, देहरादून: निकाय चुनाव में महापौर व अध्यक्ष पदों पर प्रत्याशी तय करने में कांग्रेस ने सभी जिलों में पूर्व सांसदों व मौजूदा विधायकों के साथ ही पूर्व विधायकों और जिला पदाधिकारियों की पसंद को पूरी तवज्जो देने का प्रयास किया। ऐसा कर पार्टी नेतृत्व ने सबकी सामूहिक जिम्मेदारी तय करते हुए पूरी ताकत से चुनाव में उतरने की रणनीति बनाई है। विधायक व पूर्व विधायकों को अपनी पंसद का उम्मीदवार देकर नेतृत्व ने इन्हें अपने उम्मीदवारों को जिताने की जिम्मेदारी तय की है।

कांग्रेस के लिए यह चुनाव किसी चुनौती से कम नहीं है। जिस तरह विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा उसे देखते हुए अब प्रदेश नेतृत्व पार्टी में फिलहाल कोई अंतरकलह झेलने के मूड में नहीं है। विशेषकर पूर्व विधायक व जिलों में पार्टी की कमान संभालने वालों को टिकट वितरण में साधने का प्रयास किया गया। इसका मकसद यह कि उम्मीदवारों को जिताने के लिए इनकी सीधी जिम्मेदारी तय हो सके। टिकटों की घोषणा करने से पहले पार्टी पदाधिकारी भी सामूहिक सहमति से उम्मीदवार चुनने की बात पर जोर देते रहे। दरअसल, बीते चुनावों में कांग्रेस बिखरी हुई थी। चुनाव के दौरान पार्टी को भितरघात से खासा नुकसान उठाना पड़ा था। कई जगह पार्टी केवल बागियों की वजह से ही चुनाव हारी। ऐसे में कांग्रेस ने पुराने अनुभव से सबक लेते हुए सभी को तवज्जो दी। जिस तरह से विधायकों की पत्‍‌नी, जिलाध्यक्षों के नजदीकियों के नाम टिकट वितरण में नजर आए, उससे साफ है कि केंद्रीय नेतृत्व ने हर जगह अपनी पसंद थोपने का प्रयास नहीं किया। इसे पार्टी की दूरगामी रणनीति के रूप में भी देखा जा रहा है। दरअसल, निकाय चुनाव के कुछ समय बाद लोकसभा चुनाव भी होने हैं। इसके लिए कांग्रेस को बूथ स्तर तक कार्यकर्ताओं की टीम तैयार करनी है। इसका जिम्मा भी विधायकों व जिलों के पदाधिकारियों पर रहेगा। निकाय चुनावों में इन सबके सक्रिय होने का फायदा पार्टी को लोकसभा चुनाव में भी मिलेगा। अभी से पार्टी कार्यकर्ताओं के सक्रिय होने से लोकसभा चुनावों में पार्टी को जगह-जगह अपनी पहुंच बनाने में दिक्कत भी नहीं आएगी। सक्रिय कार्यकर्ताओं में देखी गई मायूसी

प्रदेश कांग्रेस ने भले ही प्रत्याशियों का चयन करते हुए स्थानीय नेताओं को पूरी तवज्जो दी, लेकिन लंबे समय से पार्टी का झंडा-डंडा बुलंद करने वाले कार्यकर्ताओं को जरूर कुछ निराशा हाथ लगी है। दरअसल, पार्टी में कई कार्यकर्ता ऐसे हैं जो दशकों से पार्टी से जुड़े हैं। बावजूद इसके कोई ठोस पैरोकारी न मिलने के कारण इन्हें टिकट नहीं मिल पाता है। ऐसे कार्यकर्ता सूची जारी होने के बाद अपनी पीड़ा दर्ज कराते भी नजर आए।

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